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AAP ने SC के फैसले को ‘बड़ी जीत” बताया, भाजपा ने दी पूर्ण राज्य का हठ छोड़ने की नसीहत

नयी दिल्ली : आम आदमी पार्टी (आप) ने दिल्ली सरकार और उपराज्यपाल के बीच अधिकारों की रस्साकशी पर उच्चतम न्यायालय के फैसले को जनता और लोकतंत्र की जीत बताया. वहीं प्रदेश भाजपा ने कहा कि सत्तारूढ़ दल को अब शहर को पूर्ण राज्य का दर्जा दिलाने की अपनी राजनीतिक मांग को छोड़ देना चाहिए. उच्चतम […]

नयी दिल्ली : आम आदमी पार्टी (आप) ने दिल्ली सरकार और उपराज्यपाल के बीच अधिकारों की रस्साकशी पर उच्चतम न्यायालय के फैसले को जनता और लोकतंत्र की जीत बताया.

वहीं प्रदेश भाजपा ने कहा कि सत्तारूढ़ दल को अब शहर को पूर्ण राज्य का दर्जा दिलाने की अपनी राजनीतिक मांग को छोड़ देना चाहिए. उच्चतम न्यायालय ने दिल्ली के मुख्यमंत्री और आप के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल के हाथों में बड़ी जीत दी है. उनकी उपराज्यपाल अनिल बैजल के साथ अधिकारों के लिए जोर आजमाइश चल रही थी.

शीर्ष अदालत ने व्यवस्था दी है कि उपराज्यपाल अनिल बैजल को स्वतंत्र रूप से निर्णय लेने का अधिकार नहीं है और मंत्री परिषद की सहायता और सलाह पर वह काम करने को बाध्य हैं. कांग्रेस ने कहा कि फैसले ने भाजपा और आप के बीच ‘ आरोप प्रत्यारोप ‘ की सारी संभावनाओं को खत्म कर दिया है और दोनों दलों को सुनिश्चित करना चाहिए कि सालों से रूका राष्ट्रीय राजधानी का विकास फिर शुरू हो.

केजरीवाल ने फैसले के कुछ मिनटों के बाद ट्वीट किया, दिल्ली के लोगों की एक बड़ी जीत … लोकतंत्र के लिए एक बड़ी जीत … उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने फैसले को ऐतिहासिक बताते हुए फरवरी 2015 के विधानसभा चुनाव में जनता द्वारा आप को दिए गए ऐतिहासिक जनादेश को याद किया.

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तब विधानसभा चुनाव में आप को दिल्ली की 70 सीटों में से 67 पर जीत मिली थी. सिसोदिया ने संवाददाताओं से कहा, दिल्ली के लोगों की ओर से इस ऐतिहासिक फैसले के लिए मैं उच्चतम न्यायालय और न्यायाधीशों का धन्यवाद करना चाहता हूं. उन्होंने निर्णय किया है कि दिल्ली के लोग सर्वोच्च हैं.

उन्होंने कहा, हमने अभी पूरा फैसला नहीं पढ़ा है लेकिन अदालत ने कहा है कि लोग सर्वोच्च हैं, चुनी हुई सरकार सर्वोच्च रहेगी और उपराज्यपाल के पास मनमानी का हक नहीं है. सिसोदिया ने कहा कि एक नयी पार्टी को दिया गया ‘ऐतिहासिक जनादेश’ विकास, लोगों के कल्याण और लंबे वक्त से लंबित कामों को फिर से शुरू करने के लिए था.उन्होंने आरोप लगाया कि संविधान की दुर्भावनापूर्ण तरीके से व्याख्या करके सरकार के काम में बाधा डाली गयी. उपमुख्यमंत्री ने कहा, चाहे वह सीसीटीवी कैमरा लगाने, राशन योजना, तबादला और नियुक्ति (अधिकारियों का) का मामला हो हर जगह हस्तक्षेप किया जा रहा था.

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प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अगुवाई में पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने अपने फैसले में यह भी कहा कि उप राज्यपाल अवरोधक के तौर पर कार्य नहीं कर सकते. दिल्ली प्रदेश भाजपा ने उच्चतम न्यायालय के फैसले का स्वागत किया और कहा कि सत्तारूढ़ दल को अब शहर को पूर्ण राज्य का दर्जा दिलाने की अपनी ‘राजनीतिक मांग’ को छोड़ देना चाहिए.

भाजपा विधायक और विधानसभा में विपक्ष के नेता गुप्ता ने कहा, हम उच्चतम न्यायालय के निर्णय का स्वागत करते हैं. दिल्ली सरकार को बिना अदालत के आदेश के भी कानून का पालन करना चाहिए था. हम उम्मीद करते हैं कि फैसले के बाद अब वे ऐसा करेंगे.

प्रदेश भाजपा प्रवक्ता प्रवीण शंकर कपूर ने कहा, अब यह तय हो गया है कि दिल्ली एक केंद्र शासित प्रदेश है. लिहाजा आप और मुख्यमंत्री को पूर्ण राज्य की मांग को छोड़ देना चाहिए. कपूर ने कहा कि फैसले में उपराज्यपाल और नगर कैबिनेट के बीच और सहयोग के निर्देश दिए हैं.

सभी संबंधित पक्षों को न्यायालय के फैसले का सम्मान करना चाहिए. दिल्ली प्रदेश कांग्रेस प्रमुख अजय माकन ने कहा, अब उच्चतम न्यायालय ने दिल्ली में शक्तियों की स्थिति को स्पष्ट कर दिया है. अब हम आशा करते हैं कि दिल्ली में कांग्रेस के सत्ता के बाहर होने के बाद से जो विकास कार्य रुका हुआ था वह आगे बढ़ सकेगा. उन्होंने कहा, उप राज्यपाल और मुख्यमंत्री आरोप-प्रत्यारोप का खेल बंद करें और दिल्ली का विकास करें जैसे कि हमने 15 वर्षों तक किया था.

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