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26 साल की उम्र में ज्वाइन किया था इन्फोसिस, अब 62 में दोबारा कंपनी के चीफ बने नीलेकणि

इन्फोसिस में चल रहे उठा – पटक के बीच नंदन नीलेकणि की आखिरकार वापसी हो गयी. नंदन नीलेकणि को कंपनी का नॉन एक्यजक्यूटिव चेयरमैन नियुक्त किया गया. नंदन नीलेकेणि के इस नियुक्ति के साथ ही इन्फोसिस को नेतृत्व प्रदान करने वाला ऐसा चेहरा मिल गया जो निवेशकों से लेकर ग्राहकों तक का भरोसा जीत पायेंगे. […]

इन्फोसिस में चल रहे उठा – पटक के बीच नंदन नीलेकणि की आखिरकार वापसी हो गयी. नंदन नीलेकणि को कंपनी का नॉन एक्यजक्यूटिव चेयरमैन नियुक्त किया गया. नंदन नीलेकेणि के इस नियुक्ति के साथ ही इन्फोसिस को नेतृत्व प्रदान करने वाला ऐसा चेहरा मिल गया जो निवेशकों से लेकर ग्राहकों तक का भरोसा जीत पायेंगे. नीलेकणि दस वर्ष पहले इन्फोसिस के सीइओ थे. ज्ञात हो कि कंपनी के सीइओ विशाल सिक्का व फाउंडर नारायण मूर्ति के बीच विवाद के बाद विशाल सिक्का ने इस्तीफा दे दिया था.

जब नीलेकणि के फिर से सीइओ बनने के कयास चल रहे थे. इन्फोसिस के शेयर में तीन प्रतिशत वृद्धि दर्ज की गयी. एक सफल सीइओ के ट्रैक रिकार्ड के साथ नीलेकणि की इमेज एक निष्पक्ष छवि के चेयरमैन की रही है. अपनी नियुक्ति के साथ उन्होंने ट्वीट कर कहा – 26 साल की उम्र में इन्फोसिस ज्वाइन किया था. अब 62 साल की उम्र में दोबारा फिर से ज्वाइन कर रहा हूं. जिंदगी ने फुल सर्कल पूरा किया.

इंडियन इंस्टीच्यूट टेक्नोलॉजी मुंबई से स्नातक करने वाले नंदन नीलेकणि के बड़े भाई न्यूक्लियर एनर्जी इंस्टीच्यूट में काम करते हैं. साल 1978 से पाटनी कम्पयूटर्स से अपनी करियर की शुरुआत की. पाटनी कम्पयूटर्स में ही उनकी मुलाकात नारायण मूर्ति से हुई. मूर्ति, नीलेकेणि और उनके पांच साथियों ने पाटनी कम्पयूटर्स से त्यागपत्र देकर इन्फोसिस की नींव डाली.
इन्फोसिस में फिर से वापसी को लेकर नीलेकणि ने कहा
‘ ‘मैं एन आर नारायणमूर्ति का प्रशंसक हूं. मेरी कोशिश रहेगी कि इंफोसिस, नारायणमूर्ति एवं अन्य संस्थापकों के बीच अच्छे संबंध रहें. ‘ ‘ निलेकणि ने कहा कि वह रणनीति संबंधी अधिक जानकारी अक्तूबर में दे सकेंगे. अभी उनका पूरा ध्यान स्थायित्व लाने पर है. उन्होंने कहा, ‘ ‘मैं यह कोशिश करुंगा कि कंपनी में कोई आपसी मनमुटाव नहीं हो और सभी लोग एकमत रहें. ‘ ‘ उन्होंने आगे कहा कि कंपनी के गैर कार्यकारी चेयरमैन होने के नाते उनकी जिम्मेदारी कंपनी के संचालन और कामकाज पर निगाह रखने तथा नये मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) की तलाश में मदद करने की होगी. इसके लिए कंपनी में कार्यरत लोग, पहले काम कर चुके लोग या बाहर के लोग, सभी को देखा जाएगा. उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि जब तक जरुरी होगा , तभी तक वह इस पद पर रहेंगे, लेकिन उन्होंने इसकी कोई समयसीमा बताने से मना कर दिया
वैश्विक और सम्मानित चेहरा
इन्फोसिस में सीइओ पद से हटने के बाद नंदन नीलेकणि भारत में यूआईडी का चेहरा बने. देश के सबसे बड़े टेक्नोलॉजी प्रोजेक्ट ‘आधार’ के लिए सरकार ने 2009 में नीलेकणी को यूनिक आइडेंटिफिकेशन अथॉरिटी ऑफ इंडिया का चेयरमैन बनाया था. वह 2014 तक इस पद पर थे. अपने इस प्रोजेक्ट के चलते दुनिया भर में उनकी प्रतिष्ठा है.
नारायणमूर्ति के करीबी
नीलेकेणि कंपनी के संस्थापक सदस्यों में से हैं और नारायणमूर्ति के बेहद करीबी हैं. कंपनी के तौर – तरीकों और कल्चर से वाकिफ है. कंपनी का पुराना चेहरा होने की वजह से उन्हें कस्टमर्स से लेकर कर्मचारियों का विश्वास हासिल है. कहा तो यह भी जाता है नारायणमूर्ति सिर्फ नीलेकेणि के सुनते हैं.
यूआईडी
यूआईडी जैसे बेहद जटिल प्रोजेक्ट को कामयाब बनाने का श्रेय नंदन नीलेकणि को जाता है, उनके इस सफल प्रोजेक्ट की वजह से भारत सरकार ने आम नागरिकों को कई फायदे सीधे उनके खाते में जमा करने में कामयाब रही.

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