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करतारपुर पर पाक ने दिया भरोसा, भारत विरोधी किसी गतिविधि की इजाजत नहीं

अटारी/वाघा : भारत ने पाकिस्तान द्वारा एक नदीपथ के निर्माण से करतारपुर साहिब गुरुद्वारा से लगे क्षेत्रों में पानी भरने की संभावना से जुड़ी अपनी चिंताओं से रविवार को उसे (पाक को) अवगत कराया. साथ ही, पड़ोसी देश से भारत की तरह ही एक पुल बनाने का अनुरोध किया. एक आधिकारिक बयान के मुताबिक, यहां […]

अटारी/वाघा : भारत ने पाकिस्तान द्वारा एक नदीपथ के निर्माण से करतारपुर साहिब गुरुद्वारा से लगे क्षेत्रों में पानी भरने की संभावना से जुड़ी अपनी चिंताओं से रविवार को उसे (पाक को) अवगत कराया. साथ ही, पड़ोसी देश से भारत की तरह ही एक पुल बनाने का अनुरोध किया.

एक आधिकारिक बयान के मुताबिक, यहां हुई एक द्विपक्षीय बैठक में भारत ने पाकिस्तान को करतारपुर साहिब गुरुद्वारा की तीर्थयात्रा करने के लिए पूरे साल सुगम और निर्बाध पहुंच से जुड़ी श्रद्धालुओं की भावनाओं पर विचार करने का भी अनुरोध किया. भारत की चिंताओं से जुड़ा एक दस्तावेज पाकिस्तान को सौंपा गया है, जिस पर पड़ोसी देश ने भारतीय प्रतिनिधिमंडल को भरोसा दिलाया कि भारत विरोधी किसी भी गतिविधि की इजाजत नहीं दी जायेगी. करतारपुर परियोजना पर दूसरे दौर की चर्चा के बाद जारी बयान के मुताबिक, इस संदर्भ में पाकिस्तान स्थित वैसे लोगों या संगठनों से जुड़ी चिंताएं साझा की गयी, जो तीर्थयात्रा में खलल डाल सकते हैं और इस अवसर का दुरुपयोग श्रद्धालुओं की भावनाओं से खिलवाड़ करने में कर सकते हैं.

भारतीय प्रतिनिधिमंडल ने गुरुद्वारा में राजनयिक द्वारा श्रद्धालुओं को सहायता उपलब्ध कराने की व्यवस्था करने को भी कहा है. भारत ने डेरा बाबा नानक और इससे लगे भारत की ओर के इलाकों में पानी भरने की संभावना से जुड़ी अपनी चिंताओं से भी पाक को अवगत कराया क्योंकि पाकिस्तान की ओर प्रस्तावित मिट्टी भर कर तटबंध या नदीपथ (बनाये जाने) से इलाके में संभवत: यह खतरा पैदा होगा. भारतीय प्रतिनिधिमंडल ने इन चिंताओं का उल्लेख करने के लिए पाकिस्तान के साथ बाढ़ का विस्तृत विश्लेषण साझा किया. बयान में कहा गया है कि इस बात से स्पष्ट रूप से अवगत कराया गया है कि मिट्टी भर कर बनाया गया तटबंध या नदीपथ भारत के लोगों के लिए समस्याएं पैदा करेगा और इसे अस्थायी तौर पर भी नहीं बनाया जाना चाहिए.

भारत अपनी ओर जो पुल बना रहा है उसका ब्योरा साझा किया गया है और पाकिस्तान से भी अपनी ओर ऐसा ही एक पुल बनाने का अनुरोध किया गया है. यह न सिर्फ इलाके में पानी भरने से जुड़ी चिंताओं को दूर करेगा, बल्कि गुरुद्वारा करतारपुर साहिब के लिए पूरे साल सुगम, निर्बाध और बारहमासी तीर्थयात्रा को सुनिश्चित करेगा. बयान में कहा गया है कि पाकिस्तान सैद्धांतिक रूप से यथाशीघ्र एक पुल बनाने के लिए सहमत हो गया है. पुरानी रावी क्रीक पर पाकिस्तान की ओर पुल के निर्माण के लंबित रहने पर भारत ने नवंबर में गलियारा को शुरू करने के लिए अंतरिम व्यवस्था करने की पेशकश की है. नवंबर 2019 में गुरुनानक देव की 550 वीं जयंती के ऐतिहासिक महत्व के मद्देनजर भारत ने यह पेशकश की है.

करतारपुर साहिब गलियारा को शुरू करने के तौर तरीकों पर पाकिस्तान के साथ वार्ता पाकिस्तान की सीमा के अंदर वाघा में हुई, जिसके लिए एक भारतीय प्रतिनिधिमंडल ने अंतरराष्ट्रीय सीमा को पार किया. भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व गृह मंत्रालय के संयुक्त सचिव एससीएल दास ने किया, जिसमें विदेश मंत्रालय, रक्षा मंत्रालय, पंजाब सरकार और भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण के प्रतिनिधि शामिल थे. बैठक में करतारपुर साहिब गलियारा पर तीर्थयात्रा को सुगम बनाने के लिए मसौदा समझौता और परियोजना के स्वरूप तथा इसके लिए निर्मित किये जाने वाले बुनियादी ढांचे पर चर्चा की गयी.

इस बैठक में तीन दौर की तकनीकी बैठकों में हुई प्रगति की समीक्षा की गयी. ये बैठकें मार्च, अप्रैल और मई 2019 में हुई थी. उन्होंने क्रॉसिंग प्वाइंट जीरो प्वाइंट के बारे में तकनीकी स्तर पर बनी सहमति को ध्यान में रखने का समर्थन किया. भारतीय पासपोर्ट धारक और ओसीआई कार्ड धारक को हफ्ते में सातों दिन वीजा मुक्त यात्रा की इजाजत देने पर भी सहमति बनी. पूरे साल 5,000 श्रद्धालुओं को प्रति दिन करतारपुर साहिब गुरुद्वारा की यात्रा करने की इजाजत दी जायेगी. बयान में कहा गया है कि तीर्थयात्रियों को व्यक्तिगत रूप से या समूह में तथा पद यात्रा के जरिये तीर्थयात्रा की इजाजत दी जायेगी.

पाकिस्तान ने अपनी ओर बुनियादी ढांचे की समस्याओं का जिक्र किया और इस बात से अवगत कराया कि वह भारत के कई प्रस्ताव को चरणबद्ध तरीके से पूरा कर सकता है. यह उम्मीद की जा रही है कि पाकिस्तान अधिक से अधिक श्रद्धालुओं को तीर्थयात्रियों की इजाजत देने और उनके लिए व्यवस्था करने में उदारता का रुख अपनायेगा. दोनों देश इस बारे में सहमत हुए कि एक संचार माध्यम कायम किया जायेगा और करतारपुर साहिब गलियारा पर समझौता को अंतिम रूप देने की दिशा में काम किया जायेगा. तकनीकी टीम की बैठक फिर से होगी, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि नवंबर से तीर्थयात्रा के लिए गलियारा को समय पर शुरू करने के लिए सुगम संपर्क मार्ग तैयार हो जाये.

इस परिप्रेक्ष्य में उन्होंने यह अनुरोध भी दोहराया कि श्रद्धालुओं की संख्या पर उनकी आस्था के संदर्भ में कोई सीमा नहीं हो और लंगर तथा प्रसाद बनाने एवं उसके वितरण के लिए प्रावधान किये जायें. तीर्थयात्रा के लिए सुरक्षित माहौल की अहमियत का भी जिक्र किया गया. उल्लेखनीय है कि भारत की सीमा में फोर लेन राजमार्ग बनाने पर काम जोरशोर से जारी है. इस राजमार्ग का काम सितंबर तक पूरा हो जायेगा. पिछले साल नवंबर में भारत और पाकिस्तान इस गलियारे के निर्माण के लिए सहमत हुए थे. 26 नवंबर को गुरदासपुर जिले में और इसके दो दिन बाद पाकिस्तान के नारोवाल (लाहौर से 125 किमी दूर) में इस गलियारे की आधारशिला रखी गयी थी.

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