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गर्म तासीर वाली मेथी के लज्जतभरे जायके

स्वाद की गलियों में घूमनेवाली शख्सियतें किसी एक ही खाद्य पदार्थ से बने व्यंजनों के कितने ही आकार-प्रकार खोज लेती हैं, यहां इसकी मिसाल पेश है. इस बार मेथी के पत्तों और मेथी दानों के अनेक पकवानों के बारे में बता रहे हैं व्यंजनों के माहिर प्रोफेसर पुष्पेश पंत… इस साल जाड़ा पीछा नहीं छोड़ […]

स्वाद की गलियों में घूमनेवाली शख्सियतें किसी एक ही खाद्य पदार्थ से बने व्यंजनों के कितने ही आकार-प्रकार खोज लेती हैं, यहां इसकी मिसाल पेश है. इस बार मेथी के पत्तों और मेथी दानों के अनेक पकवानों के बारे में बता रहे हैं व्यंजनों के माहिर प्रोफेसर पुष्पेश पंत…
इस साल जाड़ा पीछा नहीं छोड़ रहा! लोहड़ी, मकर संक्रांति मनाने के बाद भी शीत लहर जारी है. ठिठुरते-ठिठुरते तन क्या मन भी गरम तासीर वाले खाने के लिए मचल रहा है. हाल में राजस्थान के रेगिस्तानी इलाके के मूल निवासी हमारे एक मित्र ने हमें अपने घर पर एक अनोखी दावत में तृप्त कर दिया. यह दावत अनोखी इसलिए थी कि इसमें लगभग सभी व्यंजन नमकीन और मीठे मेथी से बनाये गये थे. कुछ में मेथी की कुदरती कड़वाहट का पुट था, तो कुछ में मेथी है, यह बताने के बाद ही उसकी मौजूदगी का पता चल सका.
मेथी अपनी गरम तासीर के लिए मशहूर है. जरा याद करें उस नटखट लोकगीत को, जिसमें कहा जाता है- ‘आलू-मेथी की भुजिया गरम होती है!’
बहरहाल, बात उस जायकेदार दावत की. मेथी मुर्ग और मेथी वाले कीमे का साथ मेथी की भुजिया तो दे ही रहे थे, वहां पड़ोसी गुजरात में लोकप्रिय मेथी के थेपले भी मौजूद थे. हमारे साथी पंजाबी मेहमान को यह देख कर अपने मेथी के परांठे याद आने लगे. मगर, जिस व्यंजन का जायका सबसे मनमोहन था, वह मेथी किशमिश की सब्जी थी.
दिल्ली और उत्तर प्रदेश में कई जगह बेड़वी पूरी सीताफल तथा आलू की सात्विक सब्जी के साथ मेथी की चटनी भी परोसी जाती है, जिसमें एक साथ तीन रसों का संगम होता है- खट्टा, कड़वा और तीखा.
खाने के शौकीनों का मानना है कि यही चटनी खाने को षडरस भोजन बनाती है! पर यहां चटनी नहीं, बल्कि बाकायदा सब्जी के तौर पर मेथी के पत्तों की नहीं, मेथी दाने की जुगलबंदी भी किशमिश के साथ करायी गयी थी. फिर तो मेथी में कड़वाहट नाममात्र को नहीं बची थी.
बहुत कुरेदने पर ही मेजबान ने यह राज फाश किया कि रातभर दूध में भिगाये रखने के बाद फिर भली-भांति धोकर मेथी दाने को उबाला गया था. इसलिए इसकी कड़वाहट खत्म हो गयी थी. मिर्च-मसाले और खटाई के अलावा प्रचुर मात्रा में किशमिश और रेगिस्तान की सौगात खजूर के कतरे भी इसमें घुल-मिल गये महसूस हो रहे थे.
कई बरस नवाबों के शहर में बिता चुके एक मित्र को जब हमने इसके बारे में बताया, तो उन्होंने फरमाया कि अवध के नायाब बावर्ची इसी तरह मेथी की लौंजी पेश करते हैं. अब इसे लौंजी कहिए या सब्जी, हमें तो ठंड भगाने का यह स्वादिष्ट नुस्खा बहुत भाया. फिर सामने आये मेथी के लड्डू, जिन्होंने पहाड़ों में बिताये बचपन की यादें ताजा करा दीं.
पहले जाड़ों में अक्सर आटे के, गोंद के, तिल के लड्डू भी मेथी के लड्डुओं के साथ हर घर में बनाये जाते थे. इन्हें पौष्टिक मौसम के माफिक खुराक माना जाता था. समय के साथ यह घरेलू मीठे जायके जाने कहां गायब हो गये!
कुछ बरस पहले तक गिने-चुने हलवाई पुराने ग्राहकों की फरमाइश पर इन्हें बनाते थे, पर अब बहुत तलाशने पर भी यह कहीं नजर नहीं आते. हालांकि, हाल के दिनों में मधुमेह के उपचार में मेथी के चूर्ण या अंकुरित मेथी का सेवन अनुभव सिद्ध या प्रयोगशाला में प्रमाणित होने के कारण लोगों का ध्यान फिर से अाकर्षित करने लगा है.
हमारे मित्र ने जो बेहद जायकेादर लड्डू खिलवाये थे, वह पारंपरिक पद्धति का पालन करनेवाले थे, यानी इसमें मावा तो नाम मात्र को था, आटा ही प्रमुख तत्व था, और इसकी मिठास सफेद चीनी की नहीं, बल्कि गुड़ या खांड़ की थी और मिठास को मेथी की कुदरती कड़वाहट पर हावी नहीं होने दिया गया था. घर लौटने तक मेथी का गरम दुशाला ठंड को दूर भगाता रहा.
रोचक तथ्य
मेथी की तासीर गर्म होती है.
मेथी मुर्ग, मेथी कीमे, मेथी की भुजिया और गुजरात में मेथी के थेपले भी बनते हैं.
पहले जाड़ों में आटे के, गोंद के, तिल के लड्डू भी मेथी के लड्डुओं के साथ हर घर में बनाये जाते थे. इन्हें पौष्टिक मौसम के माफिक खुराक माना जाता था.
नवाबों के शहर में अवध के नायाब बावर्ची मेथी की लौंजी पेश करते हैं. अब इसे लौंजी कहिए या सब्जी, पर ठंड भगाने का यह स्वादिष्ट नुस्खा है.

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