Manoj Jarange: महाराष्ट्र में मराठा आरक्षण आंदोलन ने एक बार फिर तूल पकड़ लिया है. आंदोलन के प्रमुख नेता मनोज जरांगे ने 30 अगस्त से सातवीं बार आमरण अनशन शुरू कर दिया है. दक्षिण मुंबई के आज़ाद मैदान में शुरू हुए इस अनशन को मराठा समुदाय की “अंतिम लड़ाई” बताया जा रहा है.
आरक्षण की मांग को लेकर जारी संघर्ष
मनोज जरांगे की प्रमुख मांग है कि मराठा समुदाय को ओबीसी श्रेणी के तहत आरक्षण दिया जाए. यह वही मुद्दा है जिसने पिछले कुछ वर्षों में महाराष्ट्र की राजनीति, समाज और प्रशासन को गहराई से प्रभावित किया है. जरांगे का कहना है कि सरकार बार-बार वादे करती है लेकिन समाधान टाल देती है.
कौन हैं मनोज जरांगे?
मनोज जरांगे का जन्म महाराष्ट्र के बीड जिले के मटोरी गांव में एक साधारण किसान परिवार में हुआ था. उन्होंने अपनी पढ़ाई वहीं की और बाद में जालना जिले की अंबाड़ तहसील के शाहगढ़ में जाकर होटल और चीनी मिल में नौकरी की. यहीं से उनका जुड़ाव सामाजिक आंदोलनों से शुरू हुआ.
जनता का समर्थन, सरकार पर दबाव
अनशन शुरू होते ही आजाद मैदान में हजारों की संख्या में मराठा समाज के लोग इकट्ठा हुए. जरांगे के पिछले आंदोलनों की तरह इस बार भी सरकार पर दबाव बनता दिख रहा है. पिछली बार की तरह सत्तारूढ़ दलों को टकराव टालने के लिए प्रतिनिधि भेजने पर मजबूर होना पड़ा था.
2023 से पहचान में आए, पुलिस कार्रवाई बनी टर्निंग पॉइंट
29 अगस्त 2023 को जरांगे ने जालना जिले के अंतरवाली सराटी गांव में मराठा आरक्षण को लेकर भूख हड़ताल शुरू की थी. शुरू में आंदोलन को कम महत्व मिला, लेकिन 1 सितंबर को पुलिस द्वारा उन्हें जबरन अस्पताल ले जाने की कोशिश और उसके विरोध में हुई हिंसा ने राज्य सरकार को झकझोर कर रख दिया.
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