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VP Election: इंडिया गठबंधन के उपराष्ट्रपति प्रत्याशी को लेकर भाजपा ने उठाया नक्सलवाद का मुद्दा

इंडिया गठबंधन के उपराष्ट्रपति प्रत्याशी के चयन पर भाजपा ने आरोप लगाया कि देश में केंद्र सरकार के नक्सलवाद को लेकर अपनाए गए जीरो टॉलरेंस नीति के कारण नक्सलवाद का दायरा सीमित होता जा रहा है. जबकि विपक्ष ऐसे व्यक्ति को उपराष्ट्रपति प्रत्याशी बनाने का काम किया है, जिसने देश में नक्सलवाद के खिलाफ लड़ाई को कमजोर करने का काम किया.

VP Election: उपराष्ट्रपति चुनाव के लिए एनडीए और इंडिया गठबंधन की ओर से उम्मीदवार की घोषणा हो चुकी है. एनडीए की ओर से महाराष्ट्र के राज्यपाल और तमिलनाडु भाजपा के अनुभवी नेता सीपी राधाकृष्णन उम्मीदवार बनाए गए है. सीपी राधाकृष्णन तमिलनाडु की प्रभावशाली पिछड़ी जाति से ताल्लुक रखते हैं. एनडीए के इस फैसले से इंडिया गठबंधन के प्रमुख सहयोगी दल डीएमके के सामने राजनीतिक दुविधा पैदा हो गयी. एनडीए की ओर से उपराष्ट्रपति का उम्मीदवार घोषित होने के बाद इंडिया गठबंधन की ओर से भी दक्षिण भारत का कार्ड खेला गया और सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश बी सुदर्शन रेड्डी को उम्मीदवार बनाया गया. हालांकि विपक्ष के इस फैसले से उपराष्ट्रपति के चुनाव परिणाम पर खास प्रभाव पड़ने की संभावना नहीं है. 

संख्या बल के लिहाल से एनडीए उम्मीदवार का उपराष्ट्रपति चुना जाना लगभग तय है. लेकिन भाजपा को मात देने के लिए इंडिया गठबंधन की ओर से उपराष्ट्रपति पद के लिए रेड्डी के नाम का चयन हैरान करने वाला है. इंडिया गठबंधन को इस फैसले से सियासी लाभ मिलने की संभावना नहीं है. इंडिया गठबंधन के उपराष्ट्रपति प्रत्याशी के चयन पर भाजपा ने हमला किया. भाजपा ने आरोप लगाया कि देश में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में नक्सलवाद समाप्त होने की कगार पर है. केंद्र सरकार के नक्सलवाद को लेकर अपनाए गए जीरो टॉलरेंस नीति के कारण नक्सलवाद का दायरा सीमित होता जा रहा है. जबकि विपक्ष ऐसे व्यक्ति को उपराष्ट्रपति प्रत्याशी बनाने का काम किया है, जिसने देश में नक्सलवाद के खिलाफ लड़ाई को कमजोर करने का काम किया. 

इंडिया गठबंधन के प्रत्याशी देश में नक्सलवाद बढ़ाने के रहे हैं हिमायती

भाजपा ने उपराष्ट्रपति पद के लिए विपक्ष की ओर से रेड्डी को प्रत्याशी बनाए जाने के फैसले की आलोचना करते हुए कहा कि उनकी पहचान देश में नक्सल विरोधी लड़ाई को कमजोर करने की रही है. मौजूदा समय में देश में नक्सलवाद जब अपने अंतिम पड़ाव पर है, विपक्ष की ओर से  उपराष्ट्रपति पद के लिए ऐसे उम्मीदवार का चयन किया गया है कि जो देश में नक्सल विरोधी लड़ाई को कमजोर करने की मुहिम का सक्रिय भागीदार रहा है. पूर्व न्यायाधीश बी सुदर्शन रेड्डी ने वर्ष 2011 में नक्सली संगठनों से निपटने के लिए छत्तीसगढ़ सरकार के सलवा जुडूम को अवैध घोषित कर उस अभियान पर रोक लगाने का आदेश जारी किया था. 

भाजपा ने आरोप लगाया कि नक्सल समर्थक नंदिनी सुंदर सलवा जुडूम पर रोक लगाने का अभियान चलाए हुई थी. हालांकि सुंदर पर माओवादी संगठनों के नजदीकी संबंधों के आरोप लगते रहे. सुप्रीम कोर्ट के फैसले के कारण छत्तीसगढ़ में नक्सल विरोधी अभियान को गहरा नुकसान पहुंचा. भाजपा ने आरोप लगाया कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला ऐसे समय में आया जब छत्तीसगढ़ में नक्सली हिंसा अपने चरम पर थी. इंडिया गठबंधन के प्रत्याशी के चयन से साफ है कि भाजपा जहां देश विरोधी ताकतों के खिलाफ कठोर है, वहीं विपक्ष ऐसे व्यक्ति को उम्मीदवार बनाया, जिसकी भूमिका को लेकर हमेशा से संदेह रहा है. 

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