Voter List: टीडीपी ने कहा, मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) किसी बड़े चुनाव के छह महीने के भीतर नहीं कराया जाना चाहिए. नवीनतम मतदाता सूची में पहले से नामांकित मतदाताओं को अपनी पहचान फिर से देने की आवश्यकता नहीं होनी चाहिए. बीजेपी के सहयोगी दल की ओर से निर्वाचन आयोग को दिए गए सुझाव बिहार में चल रहे एसआईआर को लेकर राजनीतिक विवाद के बीच आए हैं.
SIR का उद्देश्य स्पष्ट होना चाहिए
तेलुगु देशम पार्टी (TDP) के एक प्रतिनिधिमंडल ने निर्वाचन आयोग से कहा, ‘‘SIR का उद्देश्य स्पष्ट रूप से परिभाषित होना चाहिए. मतदाता सूची में सुधार और समावेशन तक सीमित होना चाहिए. यह भी साफ होना चाहिए कि यह अभ्यास नागरिकता सत्यापन से संबंधित नहीं है. तेदेपा ने कहा, जो मतदाता पहले से ही मतदाता सूची में नामांकित हैं, उन्हें अपनी पात्रता फिर से देने की आवश्यकता नहीं होनी चाहिए, जब तक कि विशिष्ट और सत्यापन योग्य कारण दर्ज न किए जाएं. टीडीपी ने कहा, ‘‘सबूत का भार ईआरओ (निर्वाचन पंजीकरण अधिकारी) या आपत्तिकर्ता पर होता है, मतदाता पर नहीं, विशेषकर जब नाम आधिकारिक सूची में मौजूद हो.’’
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एसआईआर की प्रक्रिया पर्याप्त समय के भीतर पूरी की जानी चाहिए
टीडीपी ने कहा, ‘‘मतदाताओं का विश्वास और प्रशासनिक तैयारी सुनिश्चित करने के लिए एसआईआर की प्रक्रिया पर्याप्त समय के भीतर पूरी की जानी चाहिए, आदर्श रूप से किसी भी प्रमुख चुनाव के छह महीने के भीतर नहीं.’’
RJD सांसद ने SIR दस्तावेजों में आधार को शामिल नहीं करने पर EC की आलोचना की
राष्ट्रीय जनता दल के सांसद सुधाकर सिंह ने बिहार की मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) के लिए आधार, मतदाता फोटो पहचान पत्र (ईपीआईसी) और राशन कार्ड पर विचार करने के सुप्रीम कोर्ट के सुझाव का पालन नहीं करने पर निर्वाचन आयोग की आलोचना की और कहा कि यह मुद्दा आगामी संसद सत्र में उठाया जाएगा. उन्होंने दावा किया कि कई लोगों को फॉर्म जमा करने की कोई रसीद नहीं मिली है और प्रक्रिया में कोई पारदर्शिता नहीं है.