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Joshimath Crisis: जोशीमठ डूब रहा ? जीने के लायक नहीं, खतरनाक इमारतों पर किया जा रहा रेड क्रॉस

जिलाधिकारी ने बताया, पिछले कुछ दिनों में कई घरों और सड़कों में दरार पड़ी है. भूस्खन की घटना बढ़ने के साथ जोशीमठ को सिंकिंग जोन घोषित किया गया. 6150 फीट की ऊंचाई पर स्थित जोशीमठ कई हिमालयी पर्वतारोहण अभियानों, ट्रेकिंग ट्रेल्स और केदारनाथ और बद्रीनाथ जैसे लोकप्रिय तीर्थ स्थलों का प्रवेश द्वार है.

उत्तराखंड के जोशीमठ को भूस्खलन और धंसाव क्षेत्र घोषित किये जाने के बाद राहत और बचाव के प्रयास तेज कर दिये गये हैं. वहीं की स्थिति गंभीर है. प्रशासन की ओर से खतरनाक इमारतों को चिह्नित किया जा रहा है. चमोली के जिलाधिकारी हिमांशू खुराना ने बताया, पवित्र शहर में सभी खतरनाक इमारतों का चुनाव किया जा रहा है और उनमें रेड क्रॉस किया जा रहा है. प्रशासन द्वारा इन इमारतों को असुरक्षित क्षेत्र घोषित किये जाने के बाद निवासियों को स्थानांतरित कर दिया गया है. जिलाधिकारी ने बताया, आपदा प्रबंधन अधिनियम के अनुसार, हमने कुछ असुरक्षित क्षेत्रों को चिह्नित किया है. जिसमें सिंधी गांधीनगर और मनोहर बाग शामिल है.

जोशीमठ को सिंकिंग जोन घोषित किया गया

जिलाधिकारी ने बताया, पिछले कुछ दिनों में कई घरों और सड़कों में दरार पड़ी है. भूस्खन की घटना बढ़ने के साथ जोशीमठ को सिंकिंग जोन घोषित किया गया. 6150 फीट (1875 मीटर) की ऊंचाई पर स्थित जोशीमठ कई हिमालयी पर्वतारोहण अभियानों, ट्रेकिंग ट्रेल्स और केदारनाथ और बद्रीनाथ जैसे लोकप्रिय तीर्थ स्थलों का प्रवेश द्वार है. अधिकारियों ने कहा कि भूस्खलन और धंसने के कारण क्षेत्र में 600 से अधिक घरों में दरारें आ गई हैं.

जोशीमठ की घटना पर अलर्ट मोड़ में केंद्र की मोदी सरकार

जोशीमठ की घटना पर केंद्र की मोदी सरकार भी अलर्ट मोड़ में आ गयी है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से फोन पर बात कर निवासियों की सुरक्षा और पुनर्वास के लिए अब तक उठाए गए कदमों सहित स्थिति की जानकारी ली और उन्हें आवश्यक सहायता का आश्वासन दिया.

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केंद्र सरकार की एजेंसियां और विशेषज्ञ जोशीमठ की स्थिति से निपटने के लिए कर रहे काम

प्रधानमंत्री कार्यालय ने बताया कि केंद्र सरकार की एजेंसियां और विशेषज्ञ जोशीमठ की स्थिति से निपटने के लिए योजनाएं तैयार करने में उत्तराखंड की मदद कर रहे हैं. पीड़ित परिवारों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया जा रहा है. राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) की एक टीम और राज्य आपदा मोचन बल (एसडीआरएफ) की चार टीम पहले ही जोशीमठ पहुंच चुकी हैं.

229 कमरों की पहचान की गयी है, जहां 1271 लोगों को ठहराया जा सकता है

चमोली के जिलाधिकारी हिमांशु खुराना ने राहत और बचाव प्रयासों के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि शहर के भीतर विभिन्न स्थानों पर 229 कमरों की पहचान की गई है जिनमें 1,271 लोगों को ठहराया जा सकता है. उन्होंने बताया कि इनमें से 46 परिवारों को आवश्यक घरेलू सामान खरीदने के लिए 5000 रुपये प्रति परिवार की दर से 2.30 लाख रुपये की अनुग्रह राशि के अलावा राशन किट वितरित की गई है.

जोशीमठ में भूस्खलन के पीछे क्या है कारण

विशेषज्ञों का कहना है कि उत्तराखंड के जोशीमठ में जमीन का धंसना मुख्य रूप से राष्ट्रीय ताप विद्युत निगम (एनटीपीसी) की तपोवन विष्णुगढ़ जल विद्युत परियोजना के कारण है और यह एक बहुत ही गंभीर चेतावनी है कि लोग पर्यावरण के साथ इस हद तक खिलवाड़ कर रहे हैं कि पुरानी स्थिति को फिर से बहाल कर पाना मुश्किल होगा.

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