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Supreme Court: अगर बिहार में चल रही एसआईआर प्रक्रिया गड़बड़ी होने पर अदालत देगा दखल

न्यायाधीश सूर्यकांत और न्यायाधीश जयमाला बागची की खंडपीठ ने कहा कि अदालत दशहरा के कारण 28 सितंबर को बंद हो रहा है और मामले की सुनवाई छुट्टी के बाद ही होगी और मतदाता सूची के अंतिम प्रकाशन से मामले पर कोई असर नहीं पड़ेगा. शीर्ष अदालत ने कहा कि अंतिम मतदाता सूची में अगर कोई गलती पायी जाती है ताे अदालत दखल देगा.

Supreme Court: बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण(एसआईआर) को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सोमवार को सुनवाई हुई. याचिकाकर्ताओं की ओर से मांग की गयी है कि एक अक्टूबर को चुनाव आयोग अंतिम मतदाता सूची प्रकाशित करेगा और ऐसे में अदालत को इससे पहले मामले की सुनवाई कर आदेश जारी करना चाहिए. हालांकि अदालत ने याचिकाकर्ताओं की इस मांग को अस्वीकार करते हुए मामले की अगली सुनवाई 7 अक्टूबर को करने पर हामी भरी.

न्यायाधीश सूर्यकांत और न्यायाधीश जयमाला बागची की खंडपीठ ने कहा कि अदालत दशहरा के कारण 28 सितंबर को बंद हो रहा है और मामले की सुनवाई छुट्टी के बाद ही होगी और मतदाता सूची के अंतिम प्रकाशन से मामले पर कोई असर नहीं पड़ेगा. शीर्ष अदालत ने कहा कि अंतिम मतदाता सूची में अगर कोई गलती पायी जाती है ताे अदालत दखल देगा.


एसोसिएशन ऑफ डेमोक्रेटिक रिफार्म(एडीआर) की ओर से पेश वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने कहा कि एसआईआर प्रक्रिया में चुनाव आयोग अपने तय दिशा निर्देशों का पालन नहीं कर रहा है. चुनाव आयोग लोगों की ओर से उठायी गयी आपत्ति को वेबसाइट पर अपलोड नहीं कर रहा है. इस पर न्यायाधीश सूर्यकांत ने कहा कि अगर चुनाव आयोग की ओर से किसी तरह की गड़बड़ी पायी जाती है तो अदालत अंतिम सूची प्रकाशित होने के बाद भी हस्तक्षेप कर सकता है. इससे कोई फर्क नहीं पड़ने वाला है.

 
याचिकाकर्ता की ओर से पेश वरिष्ठ वकील गोपाल शंकर नारायण ने अदालत से गुजारिश करते हुए कहा कि चुनाव आयोग को आपत्तियों संबंधी जानकारी रोजाना प्रकाशित करने का आदेश दिया जाना चाहिए. इसपर चुनाव आयोग की ओर से पेश वरिष्ठ वकील राकेश द्विवेदी ने कहा कि आयोग की ओर से हर हफ्ते इस बाबत जानकारी दी जा रही है. शिकायत संबंधी जानकारी रोजाना मुहैया कराना संभव नहीं है. इस पर खंडपीठ ने कहा कि जानकारी को सार्वजनिक करने से पारदर्शिता बढ़ती है. हालांकि पीठ ने इस बात को आदेश में शामिल करने से इंकार कर दिया. 


एसआईआर पर शीर्ष अदालत का फैसला पूरे देश पर होगा लागू

सुनवाई के दौरान राजद की ओर से पेश वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी और वृंदा ग्रोवर ने बिहार में चल रहे एआईआर की सुनवाई एक अक्टूबर से पहले करने की मांग की. लेकिन अदालत ने इस मांग को अस्वीकार कर दिया. याचिकाकर्ता की ओर से पेश वरिष्ठ वकील की ओर से कहा गया कि बिहार विधानसभा का गठन 22 नवंबर से पहले होना तय है और चुनाव तारीख की घोषणा अगले महीने कभी भी हो सकती है. ऐसे में इस मामले की सुनवाई पहले की जानी चाहिए. 


पीठ ने भाजपा नेता अश्विनी उपाध्याय की पिछले हफ्ते शीर्ष अदालत के एसआईआर में आधार कार्ड को शामिल करने के फैसले में बदलाव करने की मांग को भी स्वीकार कर लिया. उपाध्याय ने याचिका में कहा कि बिहार में लाखों बांग्लादेशी और रोहिंग्या घुसपैठी है. ऐसे में आधार को प्रमाणपत्र के तौर पर स्वीकार करने के आदेश का प्रतिकूल असर पड़ना तय है. कोई भी घुसपैठी आधार कार्ड बनाकर देश में मतदान करने का अधिकार हासिल कर सकता है, जबकि आधार नागरिकता का प्रमाणपत्र नहीं है.

अदालत ने कहा कि उसका मानना है कि भारत का चुनाव आयोग एक संवैधानिक संस्था होने के तौर पर बिहार में हो रहे एसआईआर में कानून का पालन कर रहा है. लेकिन अगर प्रक्रिया में कोई गड़बड़ी पायी गयी तो इसे रद्द कर दिया जायेगा. पीठ ने कहा कि बिहार एसआईआर पर अदालत का फैसला पूरे देश में एसआईआर पर लागू होगा.

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