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सुप्रीम कोर्ट ने जम्मू-कश्मीर में सीटों के परिसीमन को चुनौती देने वाली याचिका खारिज की

जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 को खत्म करने और जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के अलग-अलग केंद्र शासित प्रदेशों में जम्मू-कश्मीर के विभाजन को अलग-अलग कार्यवाही में सुप्रीम कोर्ट के समक्ष चुनौती दी जा रही है.

नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने जम्मू-कश्मीर में विधानसभा और संसदीय सीटों के परिसीमन की चुनौती वाली याचिका को सोमवार को खारिज कर दिया. सर्वोच्च अदालत ने कहा कि परिसीमन पर उसके फैसले का उन मामलों के एक अलग बैच पर असर नहीं पड़ेगा, जहां संविधान पीठ के समक्ष अनुच्छेद 370 को निरस्त करने को चुनौती दी जा रही है.

न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और न्यायमूर्ति एएस ओका की पीठ ने कहा कि इस फैसले में ऐसा कुछ भी नहीं लगाया जाएगा, जो अनुच्छेद 370 के तहत शक्तियों के प्रयोग की अनुमति देता है. जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 को खत्म करने और जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के अलग-अलग केंद्र शासित प्रदेशों में जम्मू-कश्मीर के विभाजन को अलग-अलग कार्यवाही में सुप्रीम कोर्ट के समक्ष चुनौती दी जा रही है.

अनुच्छेद 370 की शक्तियों के प्रयोग की अनुमति नहीं

जम्मू-कश्मीर में लोकसभा और विधानसभा सीटों के परिसीमन की याचिका पर अपना फैसला सुनाते हुए न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और न्यायमूर्ति एएस ओका की पीठ ने कहा, ‘हमने यह शर्त दी है कि पुनर्गठन अधिनियम का मुद्दा इस अदालत के समक्ष लंबित है और हमने इसके गुण-दोष के आधार पर कुछ नहीं कहा है. पीठ ने कहा कि इस फैसले में ऐसा कुछ भी नहीं लगाया जाएगा, जो अनुच्छेद 370 के तहत शक्तियों के प्रयोग की अनुमति देता है. अन्यथा यह याचिका खारिज की जाती है.

अनुच्छेद 370 के निरस्तीकरण को भी दी गई है चुनौती

बता दें कि जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 को खत्म करने और जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के अलग-अलग केंद्र शासित प्रदेशों में जम्मू-कश्मीर के विभाजन को अलग-अलग कार्यवाही में सुप्रीम कोर्ट के समक्ष चुनौती दी जा रही है. दिसंबर में, मोदी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि केंद्र शासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर के लिए परिसीमन 2026 तक इंतजार नहीं कर सकता क्योंकि इस क्षेत्र में तत्काल लोकतंत्र देने का विचार था.

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जम्मू-कश्मीर में बढ़ी विधानसभा सीटों की संख्या

पिछले साल 5 मई को तीन सदस्यीय परिसीमन आयोग ने केंद्रशासित प्रदेशों के नए चुनावी मानचित्र को अंतिम रूप दिया था. इसमें 43 सीटों को हिंदू-बहुल जम्मू और 47 को मुस्लिम-बहुल कश्मीर में रखा गया था. इस प्रकार, जम्मू-कश्मीर में विधानसभा की सीटों को 83 से बढ़ाकर 90 कर दिया गया है. जम्मू-कश्मीर को मिले विशेष राज्य का दर्जा समाप्त करने और लोकसभा और विधानसभा सीटों के परिसीमन को लेकर स्थानीय राजनीतिक दलों ने अपना विरोध दर्ज कराया था.

KumarVishwat Sen
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कुमार विश्वत सेन प्रभात खबर डिजिटल में डेप्यूटी चीफ कंटेंट राइटर हैं. इनके पास हिंदी पत्रकारिता का 25 साल से अधिक का अनुभव है. इन्होंने 21वीं सदी की शुरुआत से ही हिंदी पत्रकारिता में कदम रखा. दिल्ली विश्वविद्यालय से हिंदी पत्रकारिता का कोर्स करने के बाद दिल्ली के दैनिक हिंदुस्तान से रिपोर्टिंग की शुरुआत की. इसके बाद वे दिल्ली में लगातार 12 सालों तक रिपोर्टिंग की. इस दौरान उन्होंने दिल्ली से प्रकाशित दैनिक हिंदुस्तान दैनिक जागरण, देशबंधु जैसे प्रतिष्ठित अखबारों के साथ कई साप्ताहिक अखबारों के लिए भी रिपोर्टिंग की. 2013 में वे प्रभात खबर आए. तब से वे प्रिंट मीडिया के साथ फिलहाल पिछले 10 सालों से प्रभात खबर डिजिटल में अपनी सेवाएं दे रहे हैं. इन्होंने अपने करियर के शुरुआती दिनों में ही राजस्थान में होने वाली हिंदी पत्रकारिता के 300 साल के इतिहास पर एक पुस्तक 'नित नए आयाम की खोज: राजस्थानी पत्रकारिता' की रचना की. इनकी कई कहानियां देश के विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हुई हैं.

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