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देश में पहली बार जम्मू-कश्मीर में लिथियम के भंडार मिले, जानें माइंस मिनस्ट्री की ओर से क्या कहा गया

जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया ने रणनीतिक और महत्वपूर्ण खनिजों पर 115 परियोजनाएं और उर्वरक खनिजों पर 16 परियोजनाएं स्थापित की हैं.

केंद्र सरकार ने गुरुवार को कहा कि देश में पहली बार जम्मू-कश्मीर में 59 लाख टन लिथियम का भंडार पाया गया है. लिथियम एक नॉन फेरस मेटल है और ईवी बैटरी में प्रमुख कंपाउंड में से एक है. माइंस मिनिस्ट्री ने गुरुवार को कहा, “जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया ने पहली बार जम्मू-कश्मीर के रियासी जिले के सलाल-हैमाना क्षेत्र में 5.9 मिलियन टन के लिथियम अनुमानित संसाधन (जी3) की स्थापना की है.” इसने आगे कहा कि लिथियम और गोल्ड सहित 51 खनिज ब्लॉक संबंधित राज्य सरकारों को सौंप दिए गए.

51 खनिज ब्लॉकों में से 5 ब्लॉक सोने से संबंधित

मंत्रालय ने कहा इन 51 खनिज ब्लॉकों में से 5 ब्लॉक सोने से संबंधित हैं और अन्य ब्लॉक जम्मू और कश्मीर (यूटी), आंध्र प्रदेश, छत्तीसगढ़, गुजरात, झारखंड, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, ओडिशा, राजस्थान, तमिलनाडु और तेलंगाना, के 11 राज्यों में फैले पोटाश, मोलिब्डेनम, बेस मेटल आदि जैसी वस्तुओं से संबंधित हैं. जीएसआई द्वारा फील्ड सीजन 2018-19 से अब तक किए गए कार्यों के आधार पर ब्लॉक तैयार किए गए थे.

7897 मिलियन टन संसाधन वाले कोयला और लिग्नाइट की 17 रिपोर्टें कोयला मंत्रालय को सौंपी गईं

इनके अलावा कुल 7897 मिलियन टन संसाधन वाले कोयला और लिग्नाइट की 17 रिपोर्टें भी कोयला मंत्रालय को सौंपी गईं. बैठक के दौरान विभिन्न विषयों और इंटरवेंशन क्षेत्रों जिसमें जीएसआई संचालित होता है, पर सात प्रकाशन भी जारी किए गए. मंत्रालय ने आगे कहा. “आगामी फील्ड सीजन 2023-24 के लिए प्रस्तावित वार्षिक कार्यक्रम बैठक के दौरान प्रस्तुत किया गया और चर्चा की गई. आगामी वर्ष 2023-24 के दौरान, GSI 12 समुद्री खनिज जांच परियोजनाओं सहित 318 खनिज अन्वेषण परियोजनाओं सहित 966 कार्यक्रम कर रहा है,”

महत्वपूर्ण खनिजों पर 115 परियोजनाएं और उर्वरक खनिजों पर 16 परियोजनाएं

भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण ने रणनीतिक और महत्वपूर्ण खनिजों पर 115 परियोजनाएं और उर्वरक खनिजों पर 16 परियोजनाएं स्थापित की हैं. माइंस मिनस्ट्री ने कहा, “जियोइन्फॉर्मेटिक्स पर 55 कार्यक्रम, मौलिक और बहु-विषयक भूविज्ञान पर 140 कार्यक्रम और प्रशिक्षण और संस्थागत क्षमता निर्माण के लिए 155 कार्यक्रम भी शुरू किए गए हैं.” बता दें कि भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (GSI) की स्थापना 1851 में रेलवे के लिए कोयले के भंडार का पता लगाने के लिए की गई थी. इन वर्षों में, GSI न केवल देश में विभिन्न क्षेत्रों में आवश्यक भू-विज्ञान सूचनाओं के भंडार के रूप में विकसित हुआ है, बल्कि अंतर्राष्ट्रीय ख्याति के भू-वैज्ञानिक संगठन का दर्जा भी प्राप्त किया है.

भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण का मुख्य काम

इसका मुख्य कार्य राष्ट्रीय भू-वैज्ञानिक सूचना और खनिज संसाधन मूल्यांकन को बनाने से संबंधित है. इन उद्देश्यों को जमीनी सर्वेक्षण, हवाई और समुद्री सर्वेक्षण, खनिज पूर्वेक्षण और जांच, बहु-विषयक भू-वैज्ञानिक, भू-तकनीकी, भू-पर्यावरण और प्राकृतिक खतरों के अध्ययन, हिमनद विज्ञान, सिस्मो-टेक्टोनिक अध्ययन और मौलिक अनुसंधान करने के माध्यम से प्राप्त किया जाता है.

ये है GSI का मेन रोल

GSI की मुख्य भूमिका में उद्देश्यपरक, निष्पक्ष और अपडेटेड भूवैज्ञानिक विशेषज्ञता और सभी प्रकार की भू-वैज्ञानिक जानकारी प्रदान करना शामिल है, जिसमें नीति-निर्माण संबंधी निर्णय लेने और कमर्शियल और सोसियो-इकोनॉमिक आवश्यकताओं पर ध्यान केंद्रित किया गया है.

Anita Tanvi
Anita Tanvi
Senior journalist, senior Content Writer, more than 10 years of experience in print and digital media working on Life & Style, Education, Religion and Health beat.

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