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Space: आने वाले समय में भारत वैश्विक स्तर पर स्पेस क्षेत्र का बनेगा केंद्र

स्पेस क्षेत्र का महत्व कृषि और स्वास्थ्य से लेकर शिक्षा, शहरी विकास और शासन तक रोजमर्रा की जिंदगी में काफी बढ़ गया है. अंतरिक्ष के माध्यम से हर क्षेत्र को सशक्त बनाने का काम सरकार कर रही है. साथ ही अंतरराष्ट्रीय सहयोग पर भी जोर दिया जा रहा है. अमेरिका के साथ संयुक्त नासा-इसरो सिंथेटिक अपर्चर रडार (निसार) मिशन और जापान के साथ आगामी चंद्रयान-5 चंद्र मिशन पर काम हुआ है. इस तरह का सहयोग दर्शाता है कि अंतरिक्ष वैश्विक जुड़ाव के लिए एक सशक्त मंच के तौर पर उभरा है.

Space: भारत ने स्पेस क्षेत्र में उल्लेखनीय उपलब्धि हासिल की है. आने वाले समय में देश स्पेस क्षेत्र के परिवर्तनकारी चरण में प्रवेश करने वाला है. वर्ष 2035 तक भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन से लेकर 2040 तक चंद्रमा पर एक भारतीय अंतरिक्ष यात्री को उतारने की महत्वाकांक्षी योजना है. सोमवार को केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, पृथ्वी विज्ञान राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) तथा प्रधानमंत्री कार्यालय, परमाणु ऊर्जा विभाग, अंतरिक्ष विभाग, कार्मिक, लोक शिकायत और पेंशन राज्य मंत्री डॉक्टर जितेंद्र सिंह ‘वैश्विक प्रगति के लिए अंतरिक्ष का उपयोग: नवाचार, नीति और विकास’ के विषय पर आयोजित अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष सम्मेलन को संबोधित करते हुए यह बात कही. 

डॉ सिंह ने कहा कि चंद्रयान-3 की सफलता का जिक्र करते हुए कहा कि चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पास उतरने वाला भारत पहला देश बना. अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन की यात्रा करने वाले पहले भारतीय वायु सेना अधिकारी, ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला बने. मानव अंतरिक्ष उड़ान कार्यक्रम गगनयान के साथ-साथ मंगल, शुक्र और क्षुद्रग्रहों पर भारत के आगामी अभियानों पर काम कर रहा है. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में शुरू किए गए सुधारों का असर दिख रहा है. निजी क्षेत्र की भागीदारी बढ़ाने पर जोर दिया गया. सरकार के प्रयासों के कारण प्रक्षेपण यान, उपग्रह और भू-प्रणाली जैसे क्षेत्रों में 300 से अधिक स्टार्टअप देश में काम कर रहे है. इससे न केवल इनोवेशन को बढ़ावा मिल रहा है, बल्कि युवा पेशेवरों के लिए रोजगार, निवेश और अवसर भी पैदा हो रहे हैं.

हर क्षेत्र में बढ़ा है स्पेस क्षेत्र का महत्व

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि स्पेस क्षेत्र का महत्व कृषि और स्वास्थ्य से लेकर शिक्षा, शहरी विकास और शासन तक रोजमर्रा की जिंदगी में काफी बढ़ गया है. अंतरिक्ष के माध्यम से हर क्षेत्र को सशक्त बनाने का काम सरकार कर रही है. साथ ही अंतरराष्ट्रीय सहयोग पर भी जोर दिया जा रहा है. अमेरिका के साथ संयुक्त नासा-इसरो सिंथेटिक अपर्चर रडार (निसार) मिशन और जापान के साथ आगामी चंद्रयान-5 चंद्र मिशन पर काम हुआ है. इस तरह का सहयोग दर्शाता है कि अंतरिक्ष वैश्विक जुड़ाव के लिए एक सशक्त मंच के तौर पर उभरा है. कौशल विकास भारत की अंतरिक्ष रणनीति का एक महत्वपूर्ण स्तंभ बना हुआ है. इसरो के आउटरीच कार्यक्रमों, अकादमिक उत्कृष्टता केंद्रों और उद्योग-अकादमिक सहयोग के जरिये देश उपग्रह डिजाइन, प्रोपल्सन, एआई-संचालित अनुप्रयोगों और अंतरिक्ष कानून जैसे क्षेत्रों में प्रतिभाओं को आगे बढ़ाने का काम कर रहा है.


भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) द्वारा आयोजित इस सम्मेलन में भारत और विदेश से 500 से अधिक प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया, जिनमें सरकारी प्रतिनिधि, शिक्षाविद, उद्योग जगत के दिग्गज और स्टार्टअप शामिल हैं. 21वीं सदी भारत की है, जिसमें अंतरिक्ष एक ऐसे क्षेत्र के रूप में उभरेगा जहां राष्ट्र के नेतृत्व को विश्व स्तर पर मान्यता मिलेगी. अंतरिक्ष प्रौद्योगिकियों का इस्तेमाल न केवल कृषि, स्वास्थ्य और शिक्षा में बदलाव लाएगा, बल्कि शासन और सार्वजनिक सेवा वितरण को भी मजबूत करेगा. उन्होंने सीआईआई की राष्ट्रीय अंतरिक्ष समिति के गठन का स्वागत करते हुए कहा कि इससे एक मजबूत इको-सिस्टम का विकास होगा. 

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