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Shashi Tharoor : राहुल गांधी के ‘सरेंडर’ वाले बयान पर क्या बोले शशि थरूर ?

Shashi Tharoor : वाशिंगटन डीसी में मौजूद शशि थरूर ने कहा कि जब तक पाकिस्तान आतंकवाद की भाषा का इस्तेमाल करता रहेगा, भारत को भी उसी भाषा में जवाब देने में कोई आपत्ति नहीं है. उन्होंने कहा कि भारत ताकत की भाषा बोलेगा और किसी तीसरे पक्ष की जरूरत नहीं है. जानें राहुल गांधी के सरेंडर विवाद पर क्या बोले कांग्रेस नेता थरूर?

Shashi Tharoor : लोकसभा में राहुल गांधी के पीएम मोदी पर ‘सरेंडर’ बयान को लेकर चर्चा जारी है. अब कांग्रेस सांसद शशि थरूर की भी इस मामले में एंट्री हो चुकी है. वे ऑपरेशन सिंदूर के तहत भारत के आउटरिच मिशन का नेतृत्व करते हुए फिलहाल वाशिंगटन डीसी में हैं. यहां उनसे राहुल के बयान को लेकर रिएक्शन मांगा गया. प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान शशि थरूर ने ‘सरेंडर’ बयान पर प्रतिक्रिया दी.

एक महिला पत्रकार ने शशि थरूर से पूछा कि भारत-पाकिस्तान के बीच हालिया टकराव में राष्ट्रपति ट्रंप की मध्यस्थता की कोशिश को लेकर बयानबाजी जारी है. आपकी पार्टी लगातार सवाल उठा रही है. उन्होंने यह भी जोड़ा कि कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने हाल ही में कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने ट्रंप के सामने सरेंडर कर दिया. इस पर जवाब देते हुए शशि थरूर ने कहा कि कांग्रेस पार्टी अमेरिका के राष्ट्रपति पद का पूरा सम्मान करती है. हमारे मन में उस पद के प्रति गहरी आस्था है. उन्होंने स्पष्ट किया कि भारत सरकार ने विशेष रूप से किसी से मध्यस्थता की मांग नहीं की है. इस मुद्दे पर रुख स्पष्ट है.

तीसरे पक्ष की मध्यस्थता की जरूरत नहीं : शशि थरूर

ऑपरेशन सिंदूर के तहत अमेरिका गए भारत के आउटरिच मिशन का नेतृत्व कर रहे शशि थरूर ने भारत के रुख को स्पष्ट किया. उन्होंने कहा कि जब तक पाकिस्तान आतंकवाद की भाषा बोलेगा, भारत उसी भाषा में जवाब देने से नहीं कतराएगा. भारत ताकत की भाषा में बात करेगा और इसके लिए किसी तीसरे पक्ष की मध्यस्थता की जरूरत नहीं है.

पहलगाम में आतंकवादियों ने धर्म के बारे में पूछकर मारा

वाशिंगटन, डीसी में भारतीय प्रवासियों से बातचीत करते हुए कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने कहा, ” पांच राजनीतिक दलों, सात राज्यों का प्रतिनिधित्व करने वाले सात सांसद और हमारे साथ दो राजदूत भी हैं. वाशिंगटन के वर्तमान और पूर्व राजदूत हमारे साथ हैं. हमारे पास आठ राज्य और तीन धर्म हैं. मैंने धर्मों का उल्लेख इसलिए नहीं किया क्योंकि यह मायने रखता है, बल्कि इसलिए क्योंकि पहलगाम में आतंकवादियों ने अपने पीड़ितों से उनके धर्म के बारे में पूछकर धर्म को मुद्दा बनाने की कोशिश की. फिर उनकी आंखों के बीच गोली मार दी और इस जघन्य अपराध को इस तरह से अंजाम दिया कि जीवित बचे लोग उनकी कहानी बता सकें. जब एक महिला, अपने पति को मरते हुए देखकर भयभीत हो गई और चिल्लाने लगी – मुझे भी मार दो, तो उन्होंने कहा कि नहीं, वापस जाओ और उन्हें बताओ.

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