Shakeel Ahmad: बिहार में मंगलवार को कांग्रेस पार्टी को जोर का झटका लगा है. पार्टी के वरिष्ठ नेता और बिहार कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष शकील अहमद ने इस्तीफा दे दिया है. उन्होंने पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से त्यागपत्र दे दिया है. उन्होंने कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे को अपना इस्तीफा भेज दिया है. शकील अहमद यूपीए सरकार में गृह राज्य मंत्री रह चुके हैं. अपने इस्तीफे के साथ शकील अहमद ने एक पत्र भी लिखा, जिसमें उन्होंने कहा “मेरे 16 अप्रैल 2023 के पत्र का स्मरण करें, जिसके द्वारा मैंने पार्टी को सूचित किया था कि मैं अब भविष्य में कभी चुनाव नहीं लडूंगा. अभी हाल ही में मैंने यह घोषणा भी कर दिया था कि मेरे तीनों पुत्र कनाडा में रहते हैं और उनमें से किसी की भी राजनीति में शामिल होने में कोई रुचि नहीं है, इसलिए वह भी चुनाव नहीं लड़ेंगे. लेकिन मैं फिर भी जीवन भर कांग्रेस में बना रहूंगा.परन्तु अध्यक्ष महोदय यह अब संभव नहीं लगता है.”
दुखी मन से दे रहा हूं इस्तीफा- शकील अहमद
अपने पत्र में शकील अहमद ने लिखा कि वो बहुत दुखी मन से मैं इस्तीफा दे रहे हैं. अहमद ने कहा कि पार्टी से इस्तीफा देने का मतलब नहीं कि वो दूसरी पार्टी या कोई और दल में शामिल हो रहे हैं. उन्होंने लिखा कि अपने पूर्वजों की तरह उन्हें भी कांग्रेस की नीतियों और सिद्धांतों में अटूट विश्वास है और मैं जीवन भर कांग्रेस की नीतियों और सिद्धांतों का शुभचिंतक और समर्थन करते रहेंगे. उन्होंने अपने जीवन की आखिरी वोट भी कांग्रेस को देने की बात कही है.
पार्टी को पांच वोट का भी नुकसान न हो- शकील
शकील अहमद ने लिखा “आपकी जानकारी के लिए बता दूं कि मेरे दादा स्व० अहमद गफूर 1937 में कांग्रेस के विधायक चुने गये थे. 1948 में उनकी मृत्यु के बाद मेरे पिता शकूर अहमद 1952 से 1977 के बीच पांच बार कांग्रेस पार्टी के टिकट पर विधायक चुने गये और अलग-अलग पदों पर रहे. 1981 में मेरे पिता के स्वर्गवास होने के बाद 1985 के बाद स्वयं मैं भी पांच बार कांग्रेस का विधायक और सांसद चुना जा चुका हूं. पार्टी की सदस्यता त्यागने का फैसला तो मैंने पहले ही कर लिया था परन्तु इसकी घोषणा आज मतदान समाप्त होने के बाद कर रहा हूं, क्योंकि मैं नहीं चाहता था कि मतदान से पहले कोई गलत संदेश जाये और मेरी वजह से पार्टी को पांच वोट का भी नुकसान हो.”
अपने पत्र में शकील अहमद ने लिखा कि तबीयत खराब होने के कारण वो प्रचार में हिस्सा नहीं ले पाए. उन्होंने उम्मीद जताई है कि इस बार कांग्रेस की सीटें भी बढ़ेगी और गठबंधन की एक मजबूत सरकार बनेगी. अपने पत्र में उन्होंने लिखा कि उनका मतभेद पार्टी के शीर्ष में बैठे लोगों से हो सकता है. लेकिन, पार्टी की नीतियों और सिद्धांतों पर उन्हें अटूट विश्वास है. अंत में शकील ने लिखा कि उनके पत्र को भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा माना जाये.
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