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दिल्ली में पटाखों पर बैन के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंचे मनोज तिवारी, 10 अक्टूबर को होगी सुनवाई

अधिवक्ता शशांक शेखर झा द्वारा तत्काल सुनवाई के लिए मनोज तिवारी की याचिका का उल्लेख करने के बाद भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) उदय उमेश ललित की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि वह 10 अक्टूबर को सुनवाई करेगी.

नई दिल्ली : दिल्ली में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल सरकार की ओर से पटाखों पर लगाए गए प्रतिबंध के खिलाफ भाजपा के सांसद मनोज तिवारी ने शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है. मनोज तिवारी की याचिका पर सुनवाई करने के लिए हामी भर दी है. समाचार एजेंसी एएनआई की रिपोर्ट के अनुसार, सुप्रीम कोर्ट शुक्रवार को भाजपा के सांसद मनोज तिवारी की याचिका पर सुनवाई के लिए सहमत हो गया. याचिका में राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण के स्तर को रोकने के लिए सभी प्रकार के पटाखों के उत्पादन, भंडारण, बिक्री और उपयोग के खिलाफ दिल्ली सरकार के फैसले को चुनौती दी गई है.

मनोज तिवारी ने पटाखे फोड़ने पर केस न दर्ज करने की मांग की

अधिवक्ता शशांक शेखर झा द्वारा तत्काल सुनवाई के लिए मनोज तिवारी की याचिका का उल्लेख करने के बाद भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) उदय उमेश ललित की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि वह 10 अक्टूबर को सुनवाई करेगी. सीजेआई उदय उमेश ललित ने कहा कि याचिका दिवाली से पहले 10 अक्टूबर के लिए लिस्टेड है. भाजपा सांसद मनोज तिवारी ने अपनी याचिका में आम आदमी पार्टी सरकार को आगामी त्योहारी सीजन के दौरान पटाखों की बिक्री, खरीद और पटाखे छोड़े जाने के संबंध में नए दिशा-निर्देश जारी करने का निर्देश देने की मांग की. इसके साथ ही, भाजपा सांसद ने सभी राज्यों को यह निर्देश देने की भी मांग की कि वे पटाखों की बिक्री या उपयोग करने वाले आम लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने जैसी कोई दंडात्मक कार्रवाई न करें.

छीनी नहीं जा सकती धर्म की स्वतंत्रता

अधिवक्ता अश्विनी कुमार के माध्यम से दायर याचिका में कहा गया है कि जीवन के अधिकार के नाम पर धर्म की स्वतंत्रता छीनी नहीं जा सकती. इसके लिए एक संतुलन बनाना होगा जैसा कि सर्वोच्च अदालत के 29 अक्टूबर, 2021 के फैसले के माध्यम से किया गया है. बता दें कि वर्ष 2021 में सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि पटाखों के उपयोग पर कोई पूर्ण प्रतिबंध नहीं है और केवल वे आतिशबाजी जिनमें बेरियम लवण होते हैं, प्रतिबंधित हैं.

कई राज्यों ने पटाखों पर लगाए पूर्ण प्रतिबंध

याचिका में कहा गया है कि सर्वोच्च अदालत ने पटाखों के उपयोग पर प्रतिबंध लगा दिया था, जो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक पाए जाते हैं, जबकि यह स्पष्ट किया गया है कि पटाखों पर कोई पूर्ण प्रतिबंध नहीं है और लोग अपना त्योहार मनाने के लिए अनुमेय पटाखों को शामिल कर सकते हैं. याचिका में कहा गया है कि कई राज्य सरकारों और उच्च न्यायालयों ने 2021 में सुप्रीम कोर्ट के रुख के विपरीत आदेश पारित किए और पटाखों पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा दिया.

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दिल्ली सरकार ने नागरिकों पर दर्ज किए 210 केस

याचिका में कहा गया है कि सर्वोच्च अदालत के स्पष्ट आदेशों के बावजूद कुछ राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों ने दीपावली के जश्न की उचित व्यवस्था सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक कदम नहीं उठाए और प्राथमिकी दर्ज की और कर्फ्यू लगा दिया. याचिका में कहा गया है कि दिल्ली सरकार ने आम नागरिकों के खिलाफ 210 प्राथमिकी दर्ज की और पुलिस ने पटाखे फोड़ने के आरोप में 143 लोगों को गिरफ्तार किया, जबकि 125 प्राथमिकी दर्ज की और 138 लोगों को (पटाखे) बेचने के आरोप में 28 सितंबर, 2021 से 4 नवंबर, 2021 के बीच गिरफ्तार किया. दिल्ली में आप सरकार ने 7 सितंबर को राजधानी में एक जनवरी 2023 तक तत्काल प्रभाव से पटाखों पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया.

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