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लद्दाख में नये रेजांग ल वार मेमोरियल में लगा है 108 फीट की ऊंचाई पर तिरंगा, जानें और क्या है खास

सेना के जवानों ने 18 दिसंबर 1962 को पांच घंटों में दुश्मन के सात हमले नाकाम कर लड़ते-लड़ते जान देन लद्दाख पर कब्जा करने की दुश्मन की साजिश को नाकाम किया था. इन नायकों को आज याद किया जाना है.

रक्षामंत्री राजनाथ सिंह आज रेजांग ला के शहीदों को सर्मपित नये वॉर मेमोरियल का उद्घाटन करेंगे. इस मौके पर वह एलएसी की ताजा स्थिति पर भी चर्चा करेंगे. आज का दिन बेहद खास है.पूर्वी लद्दाख के चुशुल में शून्य से 20 डिग्री नीचे के तापमान में 59 साठ पहले लड़ी गई रेजांगला की लड़ाई के 114 नायकों को रक्षामंत्री श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए इसका उद्धाटन करेंगे.

सेना के जवानों ने 18 दिसंबर 1962 को पांच घंटों में दुश्मन के सात हमले नाकाम कर लड़ते-लड़ते जान देन लद्दाख पर कब्जा करने की दुश्मन की साजिश को नाकाम किया था. इन नायकों को आज याद किया जाना है.

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क्या है पूरा कार्यक्रम

रक्षामंत्री राजनाथ सिंह वीरवार सुबह लेह पहुंचे हैं. यहां से वह पूर्वी लद्दाख के चुशुल के लिए रवाना होंगे रेंजाग ला के वीरों की याद में बने नये वार मेमोरियल का उद्घाटन कर चीन के हौसले परास्त करते बलिदान देने वाले सेना के वीरों को श्रद्धांजलि देंगे. रक्षामंत्री के साथ चीफ आफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत भी चुशल आ रहे हैं.

नये वार मेमोरियल में शहीदों को श्रद्धांजलि देने का कार्यक्रम सुबह 10 बजे के करीब शुरू होना है. वार मेमोरियल का विस्तार कर इसे नया रूप में बनाया गया है. वार मेमोरियल भारतीय सैनिकों की असाधरण वीरता का प्रतीक होगा

क्या है पूरी कहानी

अठारह नवंबर 1962 को सुबह साढ़े तीन बजे के करीब छह हजार से अधिक चीनी सैनिकों ने लद्दाख पर कब्जा करने के लिए चुशुल पर हमला किया था चुशुल एयरफील्ड की सुरक्षा का जिम्मा संभालने वाले 3 कुमाउं रेजीमेंट की चार्ली कंपनी के 120 वीरों ने कड़ी ठंड में परमवीर चक्र विजेता मेजर शैतान सिंह की कमान में मोर्चा संभाला था.

बर्फ से लदी अठारह हजार फीट उंची रेजांग ला चोटी पर भरतीय सैनिकों ने अंतिम गोली अंतिम सांस तक लड़ते हुए चीन के सात हमले नाकाम कर उसके 1300 सैनिकों को मार गिराया था. देश के 114 सैनिक देश के शहीद हो गये थे. दो दिन बाद 20 नवंबर को उसने सीज फायर कर दिया.

क्या है खास

पुराना वार मेमोरियल छोटा था. नये रेजांग ला वार मेमोरियल पर लगा 108 फीट उंचा तिरंगा पूर्वी लद्दाख के पार बैठे चीनी सैनिकों को भी भारतीय सैनिकों की वीरता याद दिलाता है. नये वॉर मेमोरियल का विस्तार कर इसमें सभी 114 शहीदों के नामों वाली पत्थर की पट्टिकाएं लगा दी गयी हैं.

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वार मेमोरियल में मेजर शैतान सिंह आडिटोरियम बनाया गया है. यहां 35 लोगों के बैठने की क्षमता रखी गयी है. वार मेमोरियल में 1962 के युद्धों की यादों को ताजा करने वाले सामान व फोटो प्रदर्शित करने के लिए गैलरी है. नये वॉर मेमोरियल में हैलीपैड का भी विस्तार किया गया है.

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