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दिल्ली कहीं कोरोना का नया हॉट स्पॉट न बन जाएं, रिफ्यूजी कैंप में बिना किसी दवा और इलाज के रह रहे रोहिंग्या मुसलमान

दिल्ली के मदनपुर खादर स्थित रिफ्यूजी कैंप में म्यांमार से भागकर आने वाले करीब 270 के आसपास रोहिंग्या मुसलमान रहते हैं. यहां की झुग्गी बस्तियों में रहने वाले लोगों का कहना है कि कोरोना महामारी के संक्रमण को कम करने के लिए वे घरेलू इलाज का सहारा ले रहे हैं. संक्रमित होने पर वे दिन में कई बार नमक-पानी से गरारा करते हैं और स्थिति जब गंभीर हो जाती है, तो तंग झुग्गियों में ही खुद को कोरेंटिन कर लेते हैं.

नई दिल्ली : भारत में कोरोना महामारी की दूसरी लहर अपने चरम पर है. इस दौरान देश में रोजाना लाखों की संक्रमित में लोग सामने आ रहे हैं. ऐसे में, खबर यह भी है कि दिल्ली के रिफ्यूजी कैंपों में रह रहे रोहिंग्या मुसलमान बिना दवा, टीका और इलाज के ही महामारी का सामना कर रहे हैं. कहीं ऐसा न हो कि दिल्ली के ये रिफ्यूजी कैंप कोरोना का नया हॉट स्पॉट न बन जाए.

बताया यह भी जा रहा है कि उनके पास इलाज के लिए पैसे भी नहीं है और न ही कोरोना रोधी टीका लगवाने के लिए जरूरी दस्तावेज. हालांकि, सरकार ने उनके लोगों के लिए टेस्ट और टीकाकरण के लिए गाइडलाइन को आसान बनाया है, जिनके पास इसके लिए जरूरी दस्तावेज नहीं हैं, लेकिन वास्तविकता में जमीनी हकीकत कुछ और स्थिति बयान कर रही है.

समाचार एजेंसी पीटीआई की एक खबर के अनुसार, दिल्ली के मदनपुर खादर स्थित रिफ्यूजी कैंप में म्यांमार से भागकर आने वाले करीब 270 के आसपास रोहिंग्या मुसलमान रहते हैं. यहां की झुग्गी बस्तियों में रहने वाले लोगों का कहना है कि कोरोना महामारी के संक्रमण को कम करने के लिए वे घरेलू इलाज का सहारा ले रहे हैं. संक्रमित होने पर वे दिन में कई बार नमक-पानी से गरारा करते हैं और स्थिति जब गंभीर हो जाती है, तो तंग झुग्गियों में ही खुद को कोरेंटिन कर लेते हैं.

समाचार एजेंसी की खबर के अनुसार, दिहाड़ी पर काम करने वाला युवक आमिर में कई दिनों से कोरोना के लक्षण दिखाई दे रहे हैं. अपनी खांसी को दूर करने के लिए वह नमक-पानी के गरारे का सहारा ले रहा है. उसे यह भी पता नहीं है कि स्थिति गंभीर होने पर उसे क्या करना है. उसके पास न आधार कार्ड है और न ही कोई जरूरी दस्तावेज.

खबर में कहा गया है कि ऐसी ही स्थिति मदनपुर खादर के रिफ्यूजी कैंप में रहने वाले दूसरे लोगों की भी है. पिछले महीने जब महामारी चरम पर थी, तो मदनपुर खादर में करीब 50-60 रोहिंग्या मुसलमान कोरोना से संक्रमित हो गए थे. फिलहाल, करीब 20-25 लोगों में इसका लक्षण दिखाई दे रहा है.

गैर-सरकारी संगठनों की रिपोर्ट के अनुसार, भारत में करीब 40,000 रोहिंग्या मुसलमान रह रहे हैं. इसमें दिल्ली के मदनपुर खादर, कालिंदी कुंज और शाहीन बाग के रिफ्यूजी कैंपों में करीब 900 व्यक्ति रह रहे हैं. इन्हीं रिफ्यूजी लोगों में शामिल नासिर की पत्नी की छह महीने पहले मौत हो गई थी. उसे इस बात का शक है कि उसकी पत्नी की कोरोना से ही मौत हुई है. अब चूंकि उसके पास कोई दस्तावेज नहीं था, वह उसका इलाज किसी सरकारी अस्पताल में नहीं करवा सका.

रोहिंग्या ह्यूमैन राइट्स इनीशिएटिव के एक प्रतिनिधि के अनुसार, स्वास्थ्य सुविधाएं हमेशा रोहिंग्या रिफ्यूजियों के लिए एक समस्या रही है. वे कोरोना संक्रमण की चपेट में ज्यादा आते हैं, क्योंकि वे तंग जगहों पर रहते हैं. उन्होंने कहा कि कोरोना वायरस ही नहीं, बल्कि वे दूसरी बीमारियों के भी शिकार हो जाते हैं. हाल ही में इन रिफ्यूजी कैंपों में बच्चों के बीच डायरिया के कई मामले सामने आए थे.

उन्होंने पहचान न बताने की शर्त पर कहा कि हम ऐसे मामलों की पहचान करते हैं, जहां कोरोना संक्रमण के लक्षण अधिक देखे जाते हैं, लेकिन आवश्यक दस्तावेजों के बिना इलाज कराना बहुत बड़ी समस्या है और उन्हें टीका लगाना उससे भी बड़ी चिंता. उन्होंने कहा कि अभी तक मदनपुर खादर में कोरोना संक्रमण से किसी की मौत होने की खबर नहीं है. स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से अभी हाल ही में जारी की गई गाइडलाइन के अनुसार जिनके पास आईडी कार्ड नहीं है, उन्हें भी टीका लगाया जाएगा, लेकिन इसमें अभी यह साफ नहीं है कि इनमें रिफ्यूजियों को शामिल किया जाएगा या नहीं?

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Posted by : Vishwat Sen

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