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Railway Safety: आधुनिक तकनीक से ट्रैक व स्टेशनों की सुरक्षा मजबूत

रेलवे द्वारा अपनाई गई उन्नत तकनीक, राज्य पुलिस व खुफिया एजेंसियों के साथ समन्वय, बजट में तीन गुणा से अधिक की वृद्धि, कोहरे से बचाव के लिए उपकरणों की संख्या में अप्रत्याशित वृद्धि का असर दुर्घटनाओं में में लगातार कमी के रूप में देखा जा सकता है. 2004-14 में कुल 1,711 दुर्घटनाएं (औसतन 171 सालाना) हुई थीं, जबकि 2025-26 में अब तक यह संख्या सिर्फ 11 दर्ज की गई है.

Railway Safety: भारतीय रेलवे ने सुरक्षा मानकों में उल्लेखनीय सुधार दर्ज किया है. 2004-14 के दौरान जहां वार्षिक औसत 171 रेल दुर्घटनाएं होती थीं, वहीं 2025-26 में (नवंबर 2025 तक) यह संख्या घटकर मात्र 11 रह गई है. वर्ष 2024-25 में भी दुर्घटनाओं की संख्या घटकर सिर्फ 31 रही. इसका एक कारण सुरक्षा बजट में तीन गुणा की वृद्धि भी रही है. 2013-14 में जहां सुरक्षा बजट 39,463 करोड़ रुपये था, वहीं चालू वित्त वर्ष में यह बढ़कर 1,16,470 करोड़ रुपये हो गया है.


दुर्घटनाओं का एक कारण कोहरा भी रहा है. कोहरे के कारण ड्राइवर को देखने में दिक्कत आती थी जिसके कारण भी दुर्घटनाओं की आशंका बनी रहती थी. कोहरे से बचाव के लिए रेलवे में आमूलचूल परिवर्तन तकनीक के जरिये किया गया है. इसके लिए तकनीकी रूप से रेलवे को सुदृढ बनाया गया है. इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि कोहरे से बचाव के उपकरणों की संख्या में 288 गुना की वृद्धि हुई है. वर्ष 2014 में ऐसे उपकरणों की संख्या जहां 90 थी, वहीं 2025 में यह बढ़कर 25,939 हो गई है. 


आधुनिक तकनीक का उपयोग

रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बताया कि सुरक्षा को और मजबूत करने के लिए पिछले चार महीनों में 21-21 स्टेशनों  पर केंद्रीकृत इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग और ट्रैक-सर्किट का काम पूरा किया गया है, जिससे ट्रेन संचालन और सुरक्षित एवं व्यवस्थित हुआ है.
साथ ही तोड़फोड़ और असामान्य घटनाओं पर सख्त निगरानी बढ़ाई गयी है. यात्रियों की सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता देते हुए किसी भी असामान्य घटना की गहन जांच की जाती है. 

तकनीकी कारणों के साथ-साथ अन्य संदेह होने पर राज्य पुलिस की सहायता ली जाती है.  कुछ मामलों में सीबीआई और एनआईए का मार्गदर्शन भी लिया जाता है, हालांकि प्राथमिक जांच राज्य पुलिस द्वारा ही की जाती है. वर्ष 2023 और 2024 में रेलवे ट्रैक से छेड़छाड़/तोड़फोड़ की सभी घटनाओं में राज्य पुलिस/जीआरपी व अन्य एजेंसियों ने अपराध दर्ज कर उचित कार्रवाई की.


पुलिस व खुफिया एजेंसियों के साथ बेहतर समन्वय


सुरक्षा को मजबूत करने के लिए रेलवे की ओर से राज्य पुलिस व खुफिया एजेंसियों के साथ समन्वय बनाया गया है. संवेदनशील इलाकों में रेल कर्मियों, आरपीएफ, जीआरपी और सिविल पुलिस की संयुक्त गश्त बढ़ायी गयी है साथ ही स्थानीय लोगों में जागरूकता बढ़ाने के लिए विशेष कार्यक्रम चलाया गया है और आगे भी यह जारी रहेगा.


गौरतलब है कि रेलवे द्वारा अपनाई गई उन्नत तकनीक, समन्वित गश्त और बढ़े सुरक्षा निवेश का असर दुर्घटनाओं में लगातार गिरावट के रूप में सामने आया है. 2004-14 में कुल 1,711 दुर्घटनाएं (औसतन 171 सालाना) हुई थीं, जबकि 2025-26 में अब तक यह संख्या सिर्फ 11 दर्ज की गई है.

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