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Railway: यात्री सुरक्षा के लिए एआई के उपयोग को तरजीह देने की कोशिश

सिग्नल सिस्टम को बेहतर बनाने के लिए रेलवे एआई तकनीक को अपना रही है. इसके लिए नॉर्थ फ्रंटियर रेलवे के 141 किलोमीटर ट्रैक पर हाथियों की मौजूदगी का पता लगाने के लिए एआई तकनीक का प्रयोग हो रहा है. इस तकनीक से लोको पायलट, स्टेशन मास्टर और कंट्रोल रूम को हाथियों के आवाजाही की सटीक जानकारी मिल जाती है.

Railway: भारतीय रेलवे यात्री सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए लगातार कदम उठा रही है. यात्री सुरक्षा को बेहतर बनाने के लिए तकनीक के प्रयोग को बढ़ावा दिया जा रहा है. इस काम के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस(एआई) तकनीक का भी प्रयोग किया जा रहा है. नॉर्थ फ्रंटियर रेलवे के 141 किलोमीटर ट्रैक पर हाथियों की मौजूदगी का पता लगाने के लिए एआई तकनीक का प्रयोग हो रहा है और इस तकनीक की सफलता को देखते हुए 981 किलोमीटर ट्रैक पर इस तकनीक को अपनाने के लिए निविदा आमंत्रित की गयी है. इस तकनीक से लोको पायलट, स्टेशन मास्टर और कंट्रोल रूम को हाथियों के आवाजाही की सटीक जानकारी मिल जाती है. 


इस जानकारी के आधार पर हादसे को रोकने के लिए समय रहते कदम उठाने में मदद मिलती है. सुरक्षा को बेहतर बनाने के लिए रेलवे की ओर से रोलिंग स्टॉक की ऑनलाइन मॉनिटरिंग व्यवस्था मौजूद है. इस बाबत रेलवे और डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर के बीच जुलाई 2025 में एक एमओयू पर हस्ताक्षर किया गया है ताकि आधुनिक इंस्पेक्शन सिस्टम को लागू किया जा सके. दिल्ली मेट्रो के साथ भी ऑटोमोटिव व्हील प्रोफाइल मेजेरमेंट सिस्टम के लिए समझौता किया गया है. 


कवच सिस्टम को दिया जा रहा है बढ़ावा

रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बताया कि रेलवे की ओर से आपसी टक्कर रोकने के लिए कवच सिस्टम का विकास किया जा रहा है. मौजूदा समय में दिल्ली-मुंबई मार्ग पर पलवल-मथुरा-नागदा सेक्शन (633 मार्ग किमी) और दिल्ली-हावड़ा मार्ग पर हावड़ा-बर्धमान सेक्शन (105 मार्ग किमी) पर कवच सिस्टम को लागू कर दिया गया. साथ ही 15512 मार्ग किमी पर ट्रैकसाइड पर कवच का क्रियान्वयन शुरू किया गया है. 
सुरक्षा के मद्देनजर कवच 4.0 में उच्च स्थान सटीकता, बेहतर यार्ड सिग्नल सूचना, ओएफसी-आधारित स्टेशन इंटरफेस और इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग एकीकरण के लिए सीधा इंटरफेस शामिल किया गया है. यह एक स्वदेशी रूप से विकसित स्वचालित ट्रेन सुरक्षा (एटीपी) प्रणाली है. कवच, लोको पायलट द्वारा ब्रेक लगाने में असफल रहने की स्थिति में स्वचालित ब्रेक लगाकर रेलगाड़ियों को रोकने का काम करेगा. यह लोको पायलट की सहायता करता है तथा खराब मौसम के दौरान रेलगाड़ियों को सुरक्षित रूप से चलाने में भी मदद करता है. 


गौरतलब है कि यात्री ट्रेनों पर पहला परीक्षण फरवरी 2016 में शुरू किया गया था. कवच को जुलाई 2020 में राष्ट्रीय स्वचालित ट्रेन सुरक्षा प्रणाली के रूप में अपनाया गया. इस सिस्टम के तहत सभी स्टेशन, ब्लॉक सेक्शन पर स्टेशन कवच, संपूर्ण ट्रैक लंबाई में रेडियो फ्रीक्वेंसी आइडेंटिफिकेशन (आरएफआईडी) टैग की स्थापना करने के अलावा ट्रैक के साथ ऑप्टिकल फाइबर केबल बिछाना है. 

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