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संसद की सदस्यता जाने के बाद राहुल गांधी के पास क्या है विकल्प? पढ़ें रिपोर्ट

कपिल सिब्बल ने बताया कि 2013 में लिली थॉमस बनाम भारत संघ मामले में सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया था कि कोई भी सांसद, विधायक या विधानपार्षद जिसे अपराध का दोषी ठहराया जाता है और न्यूनतम 2 साल की जेल की सजा होती है, तो तत्काल प्रभाव से सदन की सदस्यता चली जाती है.

नई दिल्ली : मानहानि के मामले में सूरत की निचली अदालत की ओर से गुरुवार को दो साल की सजा सुनाए जाने के बाद शुक्रवार को कांग्रेस के नेता राहुल गांधी की लोकसभा की सदस्यता रद्द कर दी गई है. लोकसभा सचिवालय की ओर से राहुल गांधी को अयोग्य घोषित करने संबंधी अधिसूचना जारी भी कर दी गई है. इस बीच सवाल यह पैदा हो रहा है कि अब जबकि राहुल गांधी को अयोग्य घोषित कर दिया गया है, तो अब उनके पास या फिर कांग्रेस पार्टी के पास क्या-क्या विकल्प बचा है?

सजा सुनाने के साथ अयोग्य हो गए थे राहुल?

पूर्व केंद्रीय मंत्री और सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ कपिल सिब्बल की मानें, तो गुरुवार को सूरत की निचली अदालत की ओर से राहुल गांधी के खिलाफ दो साल की सजा सुनाई, तो सजा सुनाने के साथ ही वे सांसद के रूप में स्वतः अयोग्य हो गए थे. वह केरल के वायनाड निर्वाचन क्षेत्र से सांसद थे. उन्होंने कहा कि अदालत ने केवल सजा को निलंबित किया है, जो पर्याप्त नहीं है. निलंबन या दोषसिद्धि पर रोक होनी चाहिए.

दोषसिद्धि पर रोक और सजा कम होने पर बच सकती है सदस्यता

कपिल सिब्बल आगे कहते हैं कि राहुल गांधी की संसद की सदस्यता तभी बची रह सकती है, जब दोषसिद्धि पर रोक लग जाए. उन्होंने बताया कि 2013 में लिली थॉमस बनाम भारत संघ मामले में सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया था कि कोई भी सांसद, विधायक या विधानपार्षद जिसे अपराध का दोषी ठहराया जाता है और न्यूनतम 2 साल की जेल की सजा होती है, तो तत्काल प्रभाव से सदन की सदस्यता चली जाती है. राहुल गांधी को अपनी सदस्यता वापस पाने का एकमात्र तरीका यह है कि अगर कोई हाईकोर्ट सजा कम कर देता है.

क्या जेल भी जा सकते हैं राहुल गांधी

मीडिया की रिपोर्ट की मानें, तो लोकसभा की सदस्यता रद्द किए जाने के बाद कांग्रेस के पूर्व सांसद राहुल गांधी अगर कानूनी तरीके से आगे नहीं बढ़ते हैं, तो आने वाले दिनों में उन्हें जेल भी जाना पड़ सकता है. सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता अश्विनी उपाध्याय कहते हैं कि राहुल गांधी के पास अभी सिर्फ दो विकल्प है. उन्होंने बताया कि अगर राहुल गांधी कानूनी तरीके से आगे नहीं बढ़ते हैं, तो आने वाले दिनों में उन्हें जेल भी जाना पड़ सकता है.

क्या है विकल्प

अश्विनी उपाध्याय मीडिया से बातचीत करते हुए कहते हैं कि संसद की सदस्यता बचाने के लिए राहुल गांधी हाईकोर्ट या सुप्रीम कोर्ट जा सकते हैं. सूरत की अदालत का फैसला आने के साथ ही राहुल गांधी की लोकसभा सदस्यता खत्म हो गई थी. अब उनके पास दो ही विकल्प बचे हैं.

पहला विकल्प: इसमें पहला यह है कि अगर वह अपनी सदस्यता वापस हासिल करना चाहते हैं, तो उन्हें हाईकोर्ट या सुप्रीम कोर्ट जाना होगा. हालांकि, हाईकोर्ट या सुप्रीम कोर्ट से राहुल गांधी को इस मसले पर राहत मिलने की उम्मीद कम ही है, क्योंकि राहुल गांधी पर दोष सिद्ध हो चुका है. राहुल गांधी को अगर मानहानि केस में सजा से राहत मिल जाते, तभी उनकी सदस्यता बची रह सकती है. इसके साथ ही, अदालत कुछ समय के लिए लोकसभा अध्यक्ष के फैसले पर रोक लगा सकती है.

दूसरा विकल्प: दूसरा विकल्प यह है कि सजा के खिलाफ सेशंस कोर्ट में जाना होगा. राहुल गांधी को सजा सुनाने वाली सूरत की अदालत ने उन्हें 30 का समय दिया है. इन 30 दिनों के अंदर राहुल को कोर्ट के फैसले के खिलाफ सेशंस कोर्ट में याचिका दायर करना होगा. इसके बाद कोर्ट के फैसले पर राहुल गांधी का भविष्य निर्भर होगा.

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क्यों अयोग्य घोषित किए गए राहुल गांधी

मीडिया की रिपोर्ट के अनुसार, जनप्रतिनिधि अधिनियम 1951 की धारा 8(3) के तहत अगर किसी नेता को दो साल या इससे ज्यादा की सजा सुनाई जाती है, तो उसे सजा होने के दिन से उसकी अवधि पूरी होने के बाद आगे छह वर्षों तक चुनाव लड़ने पर रोक का प्रावधान है. अगर कोई विधायक या सांसद है, तो सजा होने पर वह अयोग्य ठहरा दिया जाता है. उसे अपनी विधायकी या सांसदी छोड़नी पड़ती है. इसी नियम के तहत राहुल की सदस्यता चली गई. सूरत की जिस अदालत ने राहुल को सजा सुनाई है, उस अदालत ने राहुल गांधी को फैसले के खिलाफ सेशंस कोर्ट में याचिका दायर करने के लिए एक महीने का समय दिया है. तब तक राहुल की सजा पर रोक है, लेकिन चूंकि कोर्ट ने राहुल को दोषी करार कर दिया है. इसलिए नियम के अनुसार राहुल गांधी की सदस्यता चली गई.

KumarVishwat Sen
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कुमार विश्वत सेन प्रभात खबर डिजिटल में डेप्यूटी चीफ कंटेंट राइटर हैं. इनके पास हिंदी पत्रकारिता का 25 साल से अधिक का अनुभव है. इन्होंने 21वीं सदी की शुरुआत से ही हिंदी पत्रकारिता में कदम रखा. दिल्ली विश्वविद्यालय से हिंदी पत्रकारिता का कोर्स करने के बाद दिल्ली के दैनिक हिंदुस्तान से रिपोर्टिंग की शुरुआत की. इसके बाद वे दिल्ली में लगातार 12 सालों तक रिपोर्टिंग की. इस दौरान उन्होंने दिल्ली से प्रकाशित दैनिक हिंदुस्तान दैनिक जागरण, देशबंधु जैसे प्रतिष्ठित अखबारों के साथ कई साप्ताहिक अखबारों के लिए भी रिपोर्टिंग की. 2013 में वे प्रभात खबर आए. तब से वे प्रिंट मीडिया के साथ फिलहाल पिछले 10 सालों से प्रभात खबर डिजिटल में अपनी सेवाएं दे रहे हैं. इन्होंने अपने करियर के शुरुआती दिनों में ही राजस्थान में होने वाली हिंदी पत्रकारिता के 300 साल के इतिहास पर एक पुस्तक 'नित नए आयाम की खोज: राजस्थानी पत्रकारिता' की रचना की. इनकी कई कहानियां देश के विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हुई हैं.

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