Parliament: देश की प्रगति में महिलाओं का अहम योगदान है. मौजूदा समय में महिलाएं सिर्फ विकास में भागीदार नहीं है, बल्कि शासन, विज्ञान, रक्षा, शिक्षा और उद्यमिता जैसे क्षेत्रों में भी अहम भूमिका निभा रही है. महिलाएं जमीनी स्तर के लोकतंत्र से लेकर सत्ता के सर्वोच्च पदों तक प्रत्येक स्तर पर नेतृत्व कर रही हैं. अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा कि संविधान निर्माण में महिलाओं की भूमिका महत्वपूर्ण रही है. संविधान सभा में शामिल 15 महिला सदस्यों ने देश को नयी दिशा देने का काम किया. यह भावी पीढ़ियों के लिए मार्गदर्शन के तौर पर काम कर सकता है.
इतिहास हमें आगे का रास्ता दिखाता है और इन अग्रणी महिलाओं ने भारत में महिला-पुरुष समानता, समावेशी शासन और महिला सशक्तिकरण की नींव रखने का काम किया. महिला सशक्तिकरण भारत की विकास यात्रा का आधार है. लोकसभा अध्यक्ष ने कहा कि जब देश संविधान का 75 वर्ष पूरे होने का जश्न मना रहा है, ऐसे में संविधान सभा की 15 महिला सदस्यों के योगदान को मान्यता देना मायने रखता है. इन महिलाओं ने दूरदर्शिता और निष्ठा से भारत के लोकतांत्रिक ढांचे के निर्माण में अहम योगदान दिया. मातृत्व, शक्ति, त्याग और वात्सल्य हमारे सामाजिक मूल्यों का अभिन्न भाग रहा है.
हर क्षेत्र में महिलाओं की बढ़ रही है भूमिका

बिरला ने विभिन्न क्षेत्रों में महिलाओं द्वारा की गई उल्लेखनीय प्रगति को रेखांकित करते हुए कहा कि महिलाएं बेहद चुनौतीपूर्ण और जटिल कार्य को अपने संकल्प और सहनशीलता के साथ पूरा कर रही हैं. रक्षा क्षेत्र में महिलाएं अब लड़ाकू विमान उड़ा रही हैं, युद्धक्षेत्र से जुड़ी भूमिकाओं में अपनी सेवाएं दे रही हैं. नौसेना अभियानों की कमान संभाल रही हैं. अंतरिक्ष मिशन, रक्षा, शिक्षा, चिकित्सा, खेल के क्षेत्र में महिलाओं ने देश का नाम रौशन किया है. शासन में महिलाओं का नेतृत्व पहले से कहीं अधिक मजबूत है और ग्रामीण स्थानीय निकायों में अधिकांश निर्वाचित प्रतिनिधि महिलाएं हैं.
एक दिन आएगा जब महिलाएं बिना किसी आरक्षण के सिर्फ योग्यता और क्षमता के आधार पर निर्वाचित निकायों में बहुमत हासिल करेंगी. नारी शक्ति वंदन अधिनियम के बारे में बोलते हुए बिरला ने कहा कि यह भारत के लोकतांत्रिक चरित्र को बदलने में सहायक होगा. यह अधिनियम महिला-पुरुष समानता के प्रति देश की प्रतिबद्धता को सामने लाने में अहम योगदान मुहैया कराएगा. उद्यमिता, स्वयं सहायता समूहों और सूक्ष्म उद्यमों में महिलाओं की भूमिका के कारण ग्रामीण अर्थव्यवस्थाओं में बदलाव आ रहे हैं और अनगिनत परिवारों को वित्तीय स्वतंत्रता मिल रही है.