One Nation-One Election : एक देश-एक चुनाव को लेकर केंद्र सरकार द्वारा बनी कमिटी की पहली बैठक देश के पूर्व राष्ट्रपति और समिति के अध्यक्ष रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में पूरी हुई. देश में एक साथ चुनाव (One Nation-One Election) कराने की व्यवहार्यता का पता लगाने के लिए पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद नीत उच्च-स्तरीय समिति ने अपनी कार्य योजना पर निर्णय लेने और हितधारकों के साथ विचार-विमर्श करने के तौर-तरीकों पर चर्चा करने के वास्ते शनिवार को यहां बैठक की. समिति की बैठक के बाद बयान में कहा गया है कि एक साथ चुनाव कराने की व्यवहार्यता का पता लगाने के लिए गठित समिति ने इस मुद्दे पर विचार जानने के लिए मान्यता प्राप्त राष्ट्रीय, राज्य दलों को आमंत्रित करने का निर्णय लिया है. साथ ही बयान में यह भी कहा गया है कि समिति एक साथ चुनाव (One Nation-One Election) कराने के मुद्दे पर सुझाव देने के लिए विधि आयोग को भी आमंत्रित करेगी. बता दें कि सरकार ने लोकसभा, राज्य विधानसभाओं, नगर निकायों और पंचायतों के चुनाव एक साथ कराने के मुद्दे पर सिफारिश करने के लिए दो सितंबर को आठ सदस्यीय ‘उच्च-स्तरीय समिति’ अधिसूचित की थी.
तौर-तरीकों पर चर्चा करने के लिए बैठक आयोजित
सूत्रों ने यह भी बताया कि यह बैठक प्रारंभिक प्रकृति की थी और (समिति के) सदस्य समिति को दी गई शक्ति के संदर्भ में आगे बढ़ने के तौर-तरीकों पर चर्चा करने के लिए बैठक आयोजित की गई थी. हितधारकों के साथ विचार-विमर्श, विषय पर शोध और दस्तावेज तैयार करने के तौर-तरीकों पर चर्चा बैठक के एजेंडे में थी. गृह मंत्री अमित शाह, राज्यसभा में पूर्व नेता प्रतिपक्ष गुलाम नबी आजाद और वित्त आयोग के पूर्व अध्यक्ष एन. के. सिंह समिति के सदस्यों में शामिल हैं.
कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी भी इसके सदस्य
लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी भी इसके (One Nation-One Election) सदस्य थे. लेकिन उन्होंने हाल में गृह मंत्री शाह को लिखे एक पत्र में समिति का हिस्सा बनने से इनकार कर दिया है. अधीर रंजन चौधरी ने पत्र में कहा था, ‘‘मुझे उस समिति में काम करने से इनकार करने में कोई झिझक नहीं है, जिसका कार्यक्षेत्र उसके निष्कर्षों की गारंटी प्रदान करने के लिए तैयार किया गया है. यह पूरी तरह से छलावा है.’’
रिपोर्ट सौंपे जाने की समय सीमा तय नहीं
सरकार की अधिसूचना में कहा गया है कि समिति तुरंत ही कामकाज शुरू कर देगी और यथाशीघ्र सिफारिश करेगी, लेकिन रिपोर्ट सौंपे जाने की समय सीमा तय नहीं है. विपक्षी गठबंधन ‘I.N.D.I.A.’ ने सरकार के इस फैसले को देश के संघीय ढांचे के लिए एक खतरा करार दिया है. उच्च स्तरीय समिति के सदस्यों में लोकसभा के पूर्व महासचिव सुभाष काश्यप, वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे और पूर्व सतर्कता आयुक्त संजय कोठारी भी हैं.
कानून सचिव नितिन चंद्रा समिति के सचिव
कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल समिति की बैठक में विशेष आमंत्रित सदस्य के तौर पर शरीक होंगे, जबकि कानून सचिव नितिन चंद्रा समिति के सचिव होंगे. समिति पड़ताल करेगी और संविधान, जन प्रतिनिधित्व अधिनियम तथा एक साथ चुनाव कराने के उद्देश्य के लिए अन्य कानूनों या नियमों में संशोधन की जरूरत पर विशेष संशोधनों की सिफारिश करेगी. संविधान में कुछ विशेष संशोधन करने के लिए कम से कम 50 प्रतिशत राज्य विधानसभाओं से अनुमोदन की जरूरत होती है.
मतदाता सूची खर्च घटाने में मदद
समिति एक साथ चुनाव (One Nation-One Election) कराने पर त्रिशंकु सदन, अविश्वास प्रस्ताव स्वीकार किये जाने या दलबदल जैसी स्थिति उभरने पर भी गौर करेगी और सिफारिश करेगी. संसद की एक समिति ने हाल में कहा था कि एक साझा मतदाता सूची खर्च घटाने में मदद करेगी और एक ऐसे कार्य पर मानव संसाधन को तैनात करने से रोकगी, जिस पर दूसरी एजेंसी पहले से ही काम कर रही है. निर्वाचन आयोग (ईसी) को संसदीय और विधानसभा चुनाव कराने का अधिकार है, राज्य निर्वाचन आयोग (एसईसी) को स्थानीय निकाय चुनाव कराने का अधिकार है.
अमित शाह और मेघवाल की रामनाथ कोविंद से मुलाकात
मूल प्रस्ताव लोकतंत्र के तीनों स्तरों - लोकसभा (543 सांसद), विधानसभा (4,120 विधायक) और पंचायतों एवं नगर पालिकाओं (30 लाख सदस्य) के लिए एक साथ चुनाव कराने का है. समिति की अधिसूचना जारी होने के बाद अमित शाह और मेघवाल ने कोविंद से मुलाकात भी की थी. सूत्रों ने कोविंद के साथ उनकी मुलाकात को ‘‘शिष्टाचार भेंट’’ बताया था.