NITI AAYOG: राज्य परिवर्तन संस्थानों (एसआईटी) के माध्यम से नीति आयोग और राज्यों तथा केंद्र शासित प्रदेशों के बीच सहभागिता को बढ़ावा देने पर विस्तार से विचार किया गया. नीति आयोग और उत्तराखंड सरकार के सहयोग से मंगलवार को देहरादून में आयोजित राज्य सहायता मिशन (एसएसएम) के अंतर्गत इस एक दिवसीय क्षेत्रीय कार्यशाला का उद्देश्य राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को राज्य सहायता मिशन की पहलों के अनुभव साझा करने और एक-दूसरे से सीखने के लिए एक मंच प्रदान करना था.
कार्यशाला में राज्यों के विकास और राज्य के दृष्टिकोण को आगे बढ़ाने में राज्य परिवर्तन संस्थानों की महत्वपूर्ण भूमिका पर जोर दिया गया. बिहार, चंडीगढ़, दिल्ली, गुजरात, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, जम्मू और कश्मीर, लद्दाख, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, पंजाब और उत्तराखंड के वरिष्ठ अधिकारियों ने भी विचार-विमर्श में भाग लेकर अपने सुझाव दिये. उद्घाटन सत्र में नीति आयोग के सदस्य डॉ. वी.के. सारस्वत, सेतु आयोग के उपाध्यक्ष राज शेखर जोशी, उत्तराखंड के मुख्य सचिव आनंद वर्धन, सेतु आयोग के मुख्य कार्यकारी अधिकारी श्री शत्रुघ्न सिंह और नीति आयोग के वरिष्ठ अधिकारियों ने भाग लिया.
राष्ट्रीय प्राथमिकताओं के साथ तालमेल बढ़ाने पर व्यापक चर्चा
कार्यशाला में विभिन्न राज्यों से आये वरिष्ठ अधिकारियों ने अपने सलाह दिये. राज्य स्तर और राष्ट्रीय लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए राज्य परिवर्तन संस्थानों (एसआईटी) की भूमिका पर केंद्रित एक सत्र का आयोजन किया गया. जिसमें एसआईटी की संरचना, मार्गदर्शक सिद्धांतों और प्राथमिकता वाले क्षेत्रों पर विचार किया गया साथ ही राज्य के दृष्टिकोण का समर्थन करने तथा सामाजिक-आर्थिक परिवर्तन को आगे बढ़ाने के लिए राष्ट्रीय प्राथमिकताओं के साथ तालमेल बिठाने पर भी विस्तार से चर्चा की गयी. डेटा-आधारित शासन से सम्बंधित सत्र में साक्ष्य-आधारित निर्णय लेने के लिए नीति आयोग के राज्यों के लिए पोर्टल और विकसित भारत रणनीति कक्ष जैसे प्लेटफार्म पर प्रकाश डाला गया.
बिहार लोक प्रशासन और ग्रामीण विकास संस्थान, गया के महानिदेशक और लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासन अकादमी, मसूरी के वरिष्ठ अधिकारी ने नीति निर्माताओं के प्रशिक्षण में डेटा शासन को एकीकृत करने के व्यावहारिक उदाहरण साझा किए. क्षेत्रीय कार्यालय में जलवायु परिवर्तन में कमी, निगरानी और मूल्यांकन, राज्य दृष्टिकोण निर्माण, क्षमता निर्माण जैसी महत्वपूर्ण प्राथमिकताओं पर चर्चा की गई, साथ ही राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को एसआईटी कार्यान्वयन पर विचार करने, महत्वपूर्ण अंतर्दृष्टि साझा करने और सहयोग को बढ़ावा देने के लिए एक मंच प्रदान किया गया.