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NHRC: पहलगाम हमले के दोषियों के खिलाफ हो सख्त कार्रवाई 

राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने शुक्रवार को बयान जारी कर कहा कि अब समय आ गया है कि आतंकवाद में प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से शामिल लोगों पर कार्रवाई की जाए तथा मानवता के विरूध इस खतरे के लिए उन्हें जिम्मेदार ठहराया जाए. उम्मीद है कि सरकार जवाबदेही तय करने, अपराधियों को कानून के दायरे में लाने तथा पीड़ित परिवारों को हरसंभव सहायता प्रदान करने के लिए सभी आवश्यक कदम उठाने का काम करेगी.

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NHRC: पहलगाम में हुए आतंकी हमले को लेकर देश में आक्रोश है. इस हमले के बाद सरकार आतंकियों और उनके आकाओं को सबक सिखाने की तैयारी में जुट गयी है. केंद्र सरकार की ओर से कई कदम उठाए गए हैं. इस बीच राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) ने घाटी में छुट्टियां मनाने आए निहत्थे और मासूम नागरिकों पर हुए इस कायरतापूर्ण हमले की निंदा की है. आयोग ने कहा है कि इस घटना ने सद्भावन में विश्वास रखने वाले हर व्यक्ति की अंतरात्मा को झकझोर कर रख दिया है और यह पीड़ितों तथा उनके परिवारों के मानवाधिकारों के उल्लंघन का एक गंभीर मुद्दा है. 

आयोग ने कहा है कि विभिन्न मंचों पर बार-बार कहा गया है कि आतंकवाद दुनिया में मानवाधिकारों के उल्लंघन के सबसे बड़े कारणों में से एक है. आतंकवाद को बढ़ावा देने और उसका समर्थन करने वालों के विरुद्ध कार्रवाई करने और इस खतरे के लिए उन्हें जवाबदेह ठहराने का समय आ गया है. गौरतलब है कि पहलगाम में हुए आतंकी हमले में धर्म के आधार पर 28 लोगों को जान गंवानी पड़ी है. इस हमले के बाद सरकार की ओर से पाकिस्तान के खिलाफ सख्त कदम उठाए गए है. 


आतंकवाद लोकतंत्र के लिए गंभीर खतरा

मानवाधिकार आयोग का कहना है कि आतंकवाद पर अगर रोक नहीं लगायी गयी तो यह लोकतंत्र को कमजोर करेगा. धमकी, प्रतिशोध, समुदायों के बीच सद्भाव और जीवन, स्वतंत्रता, समानता, बंधुत्व और आजीविका के अधिकार सहित विभिन्न मानवाधिकारों का गंभीर उल्लंघन हो सकता है. आयोग ने उम्मीद जतायी है कि राज्य जवाबदेही तय करने के लिए सभी आवश्यक कदम उठाएगा और अपराधियों को कानून के दायरे में लाएगा और पीड़ित परिवारों को हरसंभव सहायता प्रदान करेगा. आयोग का कहना है कि आतंकवाद दुनिया के सामने मानवाधिकार के लिए सबसे बड़ा खतरा है.

आतंकवाद में शामिल लोगों की जवाबदेही तय होनी चाहिए और कानून के अनुसार ऐसे लोगों के खिलाफ कार्रवाई की जानी चाहिए. समय आ गया है कि आतंकवाद में शामिल, इसे बढ़ावा देने और समर्थन करने वालों को कानून के दायरे में लाया जाए ताकि आम लोगों के मानवाधिकार को सुनिश्चित किया जा सके. 

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