Naxalism: दिल्ली में कुछ लोग वर्षों तक यह भ्रांति फैलाते रहे कि नक्सलवाद का जन्म विकास की लड़ाई के लिए हुआ है. हालांकि सच्चाई यह है कि विकास से वंचित रहने का मूल कारण नक्सलवाद है. मौजूदा समय में देश के हर गांव में बिजली, पेयजल, सड़क, हर घर में शौचालय, पांच लाख रुपये तक का स्वास्थ्य बीमा और पांच किलो मुफ्त अनाज के साथ-साथ चावल को 3100 रुपए प्रति क्विंटल की दर से खरीदने की व्यवस्था की गयी है. लेकिन बस्तर प्रगति की इस दौड़ में पीछे रह गया.
छत्तीसगढ़ के जगदलपुर में आयोजित बस्तर दशहरा महोत्सव को संबोधित करते हुए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि 31 मार्च, 2026 के बाद नक्सलवादी न तो बस्तर के विकास और न ही बस्तर के लोगों के अधिकारों को रोक पायेंगे. छत्तीसगढ़ शासन ने देश की सबसे बेहतर सरेंडर नीति बनाई है. पिछले एक महीने में ही 500 से अधिक लोग सरेंडर कर चुके हैं. उन्होंने नक्सलियों से अपील की कि वे सरेंडर कर दें. जिस गांव में नक्सलवाद पूरी तरह खत्म हो जाएगा, वहां छत्तीसगढ़ शासन द्वारा गांव के विकास के लिए 1 करोड़ रुपए दिए जायेंगे. नक्सलवाद से किसी का भला नहीं हुआ है और यह समस्या अब काफी हद तक कम हो चुकी है.
नक्सल प्रभावित क्षेत्र के विकास को प्राथमिकता
अमित शाह ने कहा कि कि केंद्र और छत्तीसगढ़ सरकार बस्तर सहित सभी नक्सल प्रभावित क्षेत्रों के विकास के लिए पूरी तरह समर्पित हैं. प्रधानमंत्री मोदी ने छत्तीसगढ़ के विकास के लिए पिछले 10 साल में लगभग 4 लाख 40 हजार करोड़ रुपए की धनराशि प्रदान की है. उद्योग स्थापित हो रहे हैं, शिक्षा के संस्थान बन रहे हैं, और स्वास्थ्य संस्थानों का विकास हो रहा है। साथ ही, हमारे लघु उद्योगों को भी बढ़ावा दिया जा रहा है. उन्होंने नक्सलियों से हथियार डालने की अपील की. यदि नक्सलियों ने ऐसा नहीं किया तो सशस्त्र बल करारा जवाब देंगे. नक्सलवाद को इस देश से पूरी तरह 31 मार्च 2026 तक समाप्त कर दिया जाएगा.
मोदी सरकार ने आदिवासियों के सम्मान में अनेक योजनाएं शुरू की हैं. प्रधानमंत्री मोदी ने पहली बार देश के सर्वोच्च पद पर आदिवासी समुदाय की बेटी द्रौपदी मुर्मू को राष्ट्रपति बनाकर गौरवपूर्ण कार्य किया है. महामहिम द्रौपदी मुर्मू जी विश्व के राष्ट्राध्यक्षों से मिलती हैं, तो न केवल आदिवासी समाज, बल्कि हम सभी का हृदय गर्व से भर जाता है. लोकतंत्र के सर्वोच्च पद पर ओडिशा के एक गरीब परिवार की बेटी का महामहिम के रूप में आसीन होना हम सभी के लिए गौरव का विषय है. भगवान बिरसा मुंडा की 150वीं जयंती को जनजातीय गौरव वर्ष के रूप में मनाने का निर्णय लिया. उनकी जयंती को आदिवासी गौरव दिवस के रूप में स्थापित किया गया.
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