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Ministry of Home Affairs: सीमा से सटे गांवों के विकास के लिए केंद्र की बड़ी पहल

वाइब्रेंट विलेजेज़ प्रोग्राम का मकसद केवल सीमावर्ती क्षेत्रों का भौतिक विकास नहीं, बल्कि वहां रहने वाले लोगों के जीवन स्तर को ऊंचा उठाना है. सरकार का यह कदम रणनीतिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है क्योंकि इससे सीमाओं पर बसी बस्तियों की मजबूती और सुरक्षा सुनिश्चित होगी.

Ministry of Home Affairs: भारत की अंतरराष्ट्रीय सीमाओं से सटे गांव अब उपेक्षा का प्रतीक नहीं बल्कि विकास और प्रगति के नए केंद्र बनने की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं. केंद्र सरकार ने सीमा से सटे गांवों के सर्वांगीण विकास के लिए “वाइब्रेंट विलेजेज़ प्रोग्राम” (वीवीपी) की दूसरी कड़ी को मंजूरी दी है.  2 अप्रैल 2025 को वाइब्रेंट विलेजेज़ प्रोग्राम-2 की स्वीकृति दी गई है.  

लोकसभा में गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने बताया कि यह एक केंद्रीय योजना होगी, जिसके लिए वित्तीय वर्ष 2028-29 तक 6839 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है.
इससे पहले 15 फरवरी 2023 को सरकार ने वाइब्रेंट विलेजेज़ प्रोग्राम-1 की शुरुआत की थी. इसके तहत 19 जिलों के 46 ब्लॉकों में आने वाले 662 गांवों को प्राथमिकता के आधार पर चुना गया था. इनमें अरुणाचल प्रदेश (455), हिमाचल प्रदेश (75), सिक्किम (46), उत्तराखंड (51) और लद्दाख के (35) गांव शामिल हैं. 

इस प्रोग्राम के ज़रिए गांवों में पर्यटन, सांस्कृतिक धरोहर, कौशल विकास, कृषि-हॉर्टिकल्चर और औषधीय पौधों की खेती जैसी गतिविधियों को बढ़ावा दिया जा रहा है. साथ ही सड़क, स्वास्थ्य, शिक्षा, ऊर्जा, दूरसंचार और इंटरनेट जैसी मूलभूत सुविधाएं सुनिश्चित की जा रही हैं. इसका उद्देश्य सीमावर्ती इलाकों के लोग गांव छोड़ने के बजाय वहीं रहकर अपना रोजगार कर बढ़ा सकें.

बिहार-बंगाल सहित कई राज्यों के गांव शामिल 

वाइब्रेंट विलेजेज़ प्रोग्राम-1 केवल उत्तरी सीमा (चीन से सटे गांवों) तक सीमित था, लेकिन अब वीवीपी-2 के अंतर्गत अन्य अंतरराष्ट्रीय स्थलीय सीमाओं से लगे गांवों को भी शामिल किया गया है. इस योजना का लक्ष्य है कि पूरे देश के रणनीतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण सीमावर्ती गांवों का सर्वांगीण विकास किया जाए. इसके तहत अरुणाचल प्रदेश, असम, बिहार, गुजरात, जम्मू-कश्मीर, लद्दाख, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, नागालैंड, पंजाब, राजस्थान, सिक्किम, त्रिपुरा, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल के गांवों को चुना जाएगा.


केंद्र का मानना है कि सीमावर्ती गांव सिर्फ सुरक्षा की दृष्टि से ही महत्त्वपूर्ण नहीं हैं, बल्कि ये भारत की सांस्कृतिक विविधता और आर्थिक क्षमता के भी केंद्र हैं. सरकार की कोशिश है कि अब ये गांव केवल “आखिरी छोर” (अंतिम गांव ) के रूप में न देखा जाये, बल्कि इन्हें पहला गांव मानकर विकसित किया जाए. इसके लिए रोजगार सृजन, पर्यटन विकास, स्थानीय उत्पादों के लिए बाज़ार और आधुनिक बुनियादी ढांचा तैयार किया जाएगा.

स्थानीय युवाओं को मिलेगा फायदा

वीवीपी-2 से सीमावर्ती राज्यों के युवाओं को लाभ होगा. कौशल विकास, उद्यमिता और सहकारी समितियों के माध्यम से उन्हें स्थानीय स्तर पर ही रोजगार और व्यवसाय के अवसर मिलेंगे. साथ ही गांवों को पर्यटन केंद्र के रूप में विकसित करने से यहां होटल, गाइड और अन्य सेवाओं में भी युवाओं की भागीदारी बढ़ेगी. वाइब्रेंट विलेजेज़ प्रोग्राम का मकसद केवल सीमावर्ती क्षेत्रों का भौतिक विकास नहीं है, बल्कि वहां रहने वाले लोगों के जीवन स्तर को ऊंचा उठाना है. सरकार का यह कदम रणनीतिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है क्योंकि इससे सीमाओं पर बसी बस्तियों की मजबूती और सुरक्षा सुनिश्चित होगी.

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