Manipur Conflict: मणिपुर में पिछले दो साल से जातीय हिंसा के कारण हालात तनावपूर्ण बने हुए हैं. मणिपुर में कुकी और मैतई समुदाय के बीच आरक्षण को लेकर पैदा हुई दरार के कारण राज्य में हिंसा का दौर शुरू हो गया. राज्य और केंद्र सरकार की ओर से हिंसा के दौर को समाप्त करने के लिए विभिन्न स्तर पर प्रयास किए गए, लेकिन कोई ठोस नतीजा नहीं निकल पाया. हालांकि सरकार की ओर से मणिपुर में शांति बहाली के लिए विभिन्न सामाजिक संगठनों से बातचीत का दौर जारी रहा और अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मणिपुर दौरे के बाद राज्य में शांति बहाली की संभावना काफी बढ़ गयी है.
एक अहम समझौते के तहत कुकी-जो परिषद(केजेडसी) ने गुरुवार को राष्ट्रीय राजमार्ग- 02 को यात्रियों और आवश्यक वस्तुओं की मुक्त आवाजाही के लिए खोलने का फैसला किया है. यह निर्णय केंद्रीय गृह मंत्रालय और केजेडसी के प्रतिनिधिमंडल के बीच कई बैठकों के बाद लिया गया. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मणिपुर दौरे से पहले गुरुवार को सस्पेंशन ऑफ ऑपरेशन (एसओओ) पर केंद्र सरकार, मणिपुर सरकार, कुकी नेशनल ऑर्गनाइजेशन (केएनओ) तथा यूनाइटेड पीपुल्स फ्रंट (यूपीएफ) के प्रतिनिधियों के बीच एक त्रिपक्षीय समझौता किया गया है. इसके साथ ही मणिपुर की क्षेत्रीय अखंडता, राज्य में स्थायी शांति और स्थिरता लाने के लिए बातचीत आधारित समाधान की आवश्यकता पर बल दिया गया.
केएनओ और यूपीएफ के बीच सहमति के मुद्दे
इससे पहले मणिपुर में शांति स्थापित करने के लिए वर्ष 2008 में समझौता किया गया था और नये समझौते के तहत संगठनों को कुछ छूट दी गयी है. मणिपुर में दो साल से अधिक समय से हो रही जातीय हिंसा के कारण पुराने समझौते को लागू नहीं किया गया. अब नये समझौते के तहत मैतई और कुकी-जो समुदाय एक-दूसरे को कई तरह की सुविधा मुहैया कराने पर राजी हो गए हैं. जिसमें सात निर्दिष्ट शिविरों को संघर्ष की आशंका वाले क्षेत्रों से दूर स्थानांतरित करना, निर्दिष्ट शिविरों की संख्या को कम करना, हथियारों को निकटतम सीआरपीएफ या बीएसएफ शिविरों में स्थानांतरित करना, सुरक्षा बलों द्वारा कैडरों की कठोर शारीरिक सत्यापन प्रक्रिया, ताकि विदेशी नागरिकों को, यदि कोई हों, सूची से हटाया जाए, संयुक्त निगरानी समूह अब से ग्राउन्ड रुल्स के प्रवर्तन की बारीकी से निगरानी करेगा, और भविष्य में उल्लंघनों से सख्ती से निपटा जाएगा, जिसमें एसओओ समझौते की समीक्षा भी शामिल है.
2008 में हुआ था समझौता
मणिपुर में आरक्षण को लेकर हाईकोर्ट के फैसले को लेकर राज्य में अशांति फैल गयी. राज्य और केंद्र सरकार के तमाम प्रयास के बावजूद हिंसा का दौर नहीं थमा. हिंसा रोकने में नाकाम रहने के कारण मणिपुर की सरकार ने इस्तीफा दिया और राष्ट्रपति शासन लगाना पड़ा. मणिपुर में हिंसा को लेकर विपक्षी दलों की ओर से केंद्र सरकार पर अनदेखी करने का आरोप लगाया गया. इस बीच खबर है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 12 या 13 सितंबर को मणिपुर का दौरा कर सकते हैं. मई 2023 में जातीय हिंसा भड़कने के बाद यह उनकी पहली यात्रा होगी.
इस यात्रा के दौरान राज्य में व्यापक स्तर पर शांति स्थापित होने की संभावना बन रही है. केंद्र सरकार की ओर से कुकी-जो समूहों के प्रतिनिधियों से बातचीत का दौर जारी है और संभावना है कि प्रधानमंत्री की यात्रा से पहले राज्य में व्यापक शांति समझौता हो सकता है. जानकारों का कहना है कि पूर्व में हुए समझौते की शर्तों में कुछ बदलाव हो सकता है, जिसके तहत कुकी-जो समूहों के कैंपों को दूसरी जगह ले जाने पर सहमति बन सकती है.

