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महाराष्ट्र के रायगढ़ में भूस्खलन से अबतक 25 लोगों की मौत, 84 अब भी लापता

मुंबई से लगभग 80 किलोमीटर दूर तटीय रायगढ़ जिले की खालापुर तहसील में एक पहाड़ी पर स्थित आदिवासी गांव में भूस्खलन हुआ. गांव के 48 में से कम से कम 17 घर पूरी तरह या आंशिक रूप से मलबे में दब गए.

महाराष्ट्र के रायगढ़ जिले में इरशालवाड़ी गांव में भूस्खलन स्थल पर मलबे से खोज एवं बचाव दलों ने शनिवार को तीन और शव निकाले जिससे मृतकों की संख्या बढ़कर 25 हो गई. एक अधिकारी ने यह जानकारी दी. अधिकारी ने बताया की पुरुष और दो महिलाओं के शव बरामद किये गये.

रायगढ़ हादसे में अब भी 84 लोग लापता

राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) के एक अधिकारी ने कहा, ”इरशालवाड़ी में शनिवार सुबह भूस्खलन स्थल से दो महिलाओं और एक पुरुष के शव बरामद हुए. उन्होंने बताया कि इससे इस घटना में मृतकों की संख्या बढ़कर 24 हो गई है. उन्होंने बताया कि वहीं, 84 व्यक्तियों का अभी भी कुछ पता नहीं चला है और उनके लिए खोज एवं बचाव अभियान जारी है. अधिकारी ने कहा कि दोनों महिलाओं में से एक की पहचान माही मधु तिरकत (32) के रूप में हुई है.

तीन दिन से राहत और बचाव कार्य जारी

एनडीआरएफ और अन्य सरकारी एजेंसियों के दलों ने शनिवार सुबह भूस्खलन स्थल पर खोज एवं बचाव अभियान दोबारा शुरू किया. यह खोज अभियान का तीसरा दिन है.

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भूस्खलन में 17 घर जमींदोज

मुंबई से लगभग 80 किलोमीटर दूर तटीय रायगढ़ जिले की खालापुर तहसील में एक पहाड़ी पर स्थित आदिवासी गांव में भूस्खलन हुआ. गांव के 48 में से कम से कम 17 घर पूरी तरह या आंशिक रूप से मलबे में दब गए. अधिकारियों ने कहा कि सुदूर गांव में पक्की सड़क नहीं है, इसलिए मिट्टी की खुदाई करने वाले यंत्रों को वहां आसानी से नहीं ले जाया जा सकता.

भूस्खलन में 111 लोगों को सुरक्षित बाहर निकाला गया

गौरतलब है कि रायगढ़ में हुए भूस्खलन में पहाड़ की मिट्टी से गावं के 17 घर जमींदोज हो गये थे. जिसमें गांव के 229 निवासियों में से 22 की मृत्यु हो गई है, दस घायल हुए. हादसे में 111 को सुरक्षित बाहर निकाला गया था. उनमें से कुछ लोग एक शादी में शामिल होने के लिए गांव से बाहर गए थे, जबकि कुछ घटना के समय धान की रोपाई के काम से बाहर थे. हादसे में तीन पशुओं की भी मौत हो गई जबकि 21 को बचा लिया गया.

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राहत और बचाव कार्य में हुई परेशानी

एनडीआरएफ की टीम को राहत और बचाव कार्य करने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा. पहाड़ी के नीचे से इरशालवाड़ी तक पहुंचने में लगभग डेढ़ घंटे का समय लगता है. अधिकारियों ने कहा कि चूंकि सुदूर गांव में पक्की सड़क नहीं है, इसलिए मिट्टी खोदने वाले यंत्र आसानी से घटनास्थल पर नहीं ले जाये जा सके. इरशालवाड़ी गांव में भूस्खलन में मृतकों की संख्या बढ़ने के बीच मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने शुक्रवार को विधानसभा में कहा कि सरकार ने राज्य के सभी भूस्खलन संभावित क्षेत्रों से लोगों को सुरक्षित स्थानों पर स्थानांतरित करने का निर्णय लिया है. उन्होंने कहा कि रायगढ़ जिले का इरशालवाड़ी गांव भूस्खलन संभावित क्षेत्रों की सूची में शामिल नहीं था. रायगढ़ जिले के महाड़ तहसील के तलिये गांव में 22 जुलाई, 2021 को हुए भूस्खलन में 87 लोगों की मौत हो गई थी.

भूस्खलन से जम्मू-श्रीनगर राजमार्ग पर यातायात निलंबित

जम्मू स्थित आधार शिविर से 3,000 से अधिक अमरनाथ यात्रियों का एक जत्था शनिवार सुबह कश्मीर के लिए रवाना हुआ, लेकिन भारी बारिश और भूस्खलन के कारण अधिकारियों ने जम्मू-श्रीनगर राष्ट्रीय राजमार्ग को बंद करते हुए उसे रामबन में रोक दिया. अधिकारियों ने बताया कि 270 किलोमीटर लंबे जम्मू-श्रीनगर राष्ट्रीय राजमार्ग पर मेहर और दलवास इलाकों में बारिश के कारण भूस्खलन होने की सूचना मिली है. यह कश्मीर को हर मौसम में देश के बाकी हिस्सों से जोड़ने वाली एकमात्र सड़क है. अधिकारियों के मुताबिक, शनिवार तड़के 3,472 तीर्थयात्रियों का 20वां जत्था 132 वाहनों के जरिये जम्मू के भगवती नगर आधार शिविर से कश्मीर के लिए रवाना हुआ, लेकिन राजमार्ग बंद होने के कारण उसे चंद्रकोट में रोक दिया गया.

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