Karnataka Congress Crisis: कर्नाटक कांग्रेस का एकमात्र मजबूत गढ़ बचा हुआ है. अब पार्टी के अंदरूनी टकराव की वजह से राजनीतिक संकट नजर आ रहा है. मुख्यमंत्री पद को लेकर सिद्दारमैया और उनके डिप्टी डीके शिवकुमार के बीच जारी खींचतान अब राष्ट्रीय स्तर की खबर बन चुकी है.
कर्नाटक में कांग्रेस का सबसे बड़ा गढ़ कमजोर होता दिख रहा है
कांग्रेस इस समय केवल हिमाचल प्रदेश और तेलंगाना में सत्ता में है. ऐसे में कर्नाटक का राजनीतिक परिदृश्य पार्टी के लिए अहम माना जाता है. लेकिन पार्टी के शीर्ष नेताओं के बीच जारी सार्वजनिक टकराव ने पार्टी की छवि को बुरी तरह प्रभावित किया है. सिद्दारमैया और डीके शिवकुमार दोनों ही नेता सार्वजनिक मंचों पर बयानबाजी कर रहे हैं. इसका असर कांग्रेस के आने वाले भविष्य पर भी पड़ सकता है.
BJP ने नहीं खोले अपने पत्ते
भाजपा नेता एन.वी. सुभाष ने भी कहा- सिद्धरमैया की सरकार के अब गिनती के दिन रह गए हैं. सिद्दारमैया गुट और डी. के. शिवकुमार गुट के बीच मुख्यमंत्री पद के बंटवारे को लेकर अंदरूनी खींचतान चल रही है. इसके अलावा केंद्रीय मंत्री वी. सोमन्ना ने स्पष्ट कहा कि भाजपा को डीके शिवकुमार की जरूरत नहीं है. भाजपा नेता एन.वी. सुभाष ने भी कहा- .सिद्धरमैया की सरकार के अब गिनती के दिन रह गए हैं क्योंकि सिद्धरमैया गुट और डी के शिवकुमार गुट के बीच मुख्यमंत्री पद के बंटवारे को लेकर अंदरूनी खींचतान चल रही है। हमें लगता था कि 5 साल के कार्यकाल के पहले 2.5 साल में सिद्धरमैया मुख्यमंत्री होंगे और दूसरे हाफ में डी. के. शिवकुमार… BJP का दावा है कि यह सिर्फ़ सीट शेयरिंग की बात नहीं है, जहाँ हर कोई कर्नाटक का मुख्यमंत्री बनना चाहता है. वे(कांग्रेस) अच्छी तरह जानते हैं कि कर्नाटक के आने वाले चुनावों में कांग्रेस की सरकार नहीं बनने वाली है, क्योंकि जिन भी राज्यों में कांग्रेस चुनाव में हिस्सा ले रही है.

