Indus Water Treaty : पाकिस्तान पानी के लिए तरस रहा है. इसका पता उसके द्वारा लिखे गए पत्र से चलता है. खबर है कि पाकिस्तान ने सिंधु जल संधि बहाल करने को लेकर अब तक भारत को चार पत्र भेजे हैं. NDTV ने अपने सूत्रों के हवाले से यह खबर दी है. रिपोर्ट के अनुसार, इनमें से एक पत्र ऑपरेशन सिंदूर के बाद भेजा गया था. सूत्रों के मुताबिक, ये चारों पत्र पाकिस्तान के जल संसाधन मंत्रालय के सचिव सैयद अली मुर्तजा ने भारत के जल शक्ति मंत्रालय को लिखा. इन पत्रों को बाद में विदेश मंत्रालय (MEA) को सौंप दिया गया.
पाकिस्तान में जल संकट मंडराया
22 अप्रैल को पहलगाम में आतंकी हमले के बाद भारत ने 1960 की सिंधु जल संधि को स्थगित कर दिया था, जिसे अब ‘सिंधु जल संधि स्थगन’ कहा जा रहा है. इसके तहत सिंधु वाटर सिस्टम की 3 पूर्वी नदियों का पानी भारत यूज कर सकता है और बाकी 3 पश्चिमी नदियों के पानी पर पाकिस्तान को अधिकार दिया गया था. अब जल संधि स्थगित होने से पाकिस्तान में जल संकट मंडराता नजर आ रहा है.
खून और पानी एक साथ नहीं बह सकते : भारत
मामले से जुड़े सूत्रों ने बताया कि पाकिस्तान गंभीर जल संकट से जूझ रहा है और इससे निपटने के लिए हताश नजर आ रहा है. भारत ने स्पष्ट कर दिया है कि आतंक और व्यापार, खून और पानी एक साथ नहीं बह सकते. सिंधु जल संधि आपसी सद्भावना के लिए बनाई गई थी, लेकिन पाकिस्तान ने सीमा पार आतंकवाद को बढ़ावा देकर इसकी मूल भावना को कमजोर किया है.
सिंधु जल समझौता क्या है?
1947 में भारत-पाकिस्तान के बंटवारे से पहले ही पंजाब और सिंध के बीच नदियों के जल बंटवारे को लेकर विवाद शुरू हो गया था. इसके बाद 1951 से 1960 तक भारत और पाकिस्तान के बीच पानी के बंटवारे को लेकर वर्ल्ड बैंक की मध्यस्थता में लगातार बातचीत चलती रही. अंततः 19 सितंबर 1960 को कराची में भारत के प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू और पाकिस्तान के राष्ट्रपति अयूब खान के बीच एक ऐतिहासिक समझौते पर हस्ताक्षर हुए. इस समझौते को ही इंडस वाटर ट्रीटी या सिंधु जल संधि के नाम से जाना जाता है.