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CJI farewell : चीफ जस्टिस ललित ने कहा, मैंने जस्टिस चंद्रचूड़ के पिता के सामने SC में शुरू की थी वकालत

सुप्रीम कोर्ट में अपने पुराने दिनों को याद करते हुए भारत के 49वें प्रधान न्यायाधीश जस्टिस उदय उमेश ललित ने कहा कि उस समय मैं मुंबई में वकालत कर रहा था और सुप्रीम कोर्ट में प्रधान न्यायाधीश यशवंत विष्णु चंद्रचूड़ के सामने एक मामले को रखने आया था.

नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को भारत के वर्तमान प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) उदय उमेश ललित के सेवानिवृत्त होने के अवसर पर विदाई समारोह का आयोजन किया गया. सीजेआई जस्टिस उदय उमेश ललित मंगलवार को अपने पद से सेवानिवृत्त हो रहे हैं. अपने विदाई भाषण के दौरान उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में अपने 37 साल की यात्रा को याद किया. उन्होंने इस भावुक क्षण के दौरान उन पुराने दिनों के बारे में लोगों को बताया, जब उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में पहली बार अपनी वकालत की शुरुआत की थी. अपने संबोधन के दौरान सीजेआई ललित ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट में पहली बार उन्होंने जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ के पिता और भारत के 16वें प्रधान न्यायाधीश यशवंत विष्णु चंद्रचूड़ के सामने वकालत की शुरुआत की थी.

सुप्रीम कोर्ट आने से पहले मुंबई में करते थे वकालत

सुप्रीम कोर्ट में अपने पुराने दिनों को याद करते हुए भारत के 49वें प्रधान न्यायाधीश जस्टिस उदय उमेश ललित ने कहा कि उस समय मैं मुंबई में वकालत कर रहा था और सुप्रीम कोर्ट में प्रधान न्यायाधीश यशवंत विष्णु चंद्रचूड़ के सामने एक मामले को रखने आया था. उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के सबसे वरिष्ठ न्यायाधीश जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ को कमान सौंपना विशेष अनुभूति है, क्योंकि उन्होंने सर्वोच्च अदालत में जस्टिस चंद्रचूड़ के पिता और 16वें प्रधान न्यायाधीश यशवंत विष्णु चंद्रचूड़ के सामने अपनी वकालत शुरू की थी.

सुप्रीम कोर्ट में किया वकील और जज का काम

भारत के प्रधान न्यायाधीश उदय उमेश ललित ने कहा कि उन्होंने वकील और जज दोनों रूप में अपने कार्यकाल में उत्साह के साथ काम किया. प्रधान न्यायाधीश ललित आठ नवंबर को सेवानिवृत्त हो रहे हैं. वह अपने निर्वाचित उत्तराधिकारी न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति बेला एम त्रिवेदी के साथ सोमवार दोपहर में आखिरी बार सर्वोच्च अदालत की रस्मी पीठ पर बैठे और संबोधित किया.

जस्टिस ललित ने सुप्रीम कोर्ट में बिताए 37 साल

जस्टिस उदय उमेश ललित ने कहा कि मैंने इस अदालत में करीब 37 साल बिताये हैं. इस अदालत में मेरी यात्रा अदालत संख्या 1 से शुरू हुई. मैं बंबई में वकालत कर रहा था और यहां सीजेआई वाईवी चंद्रचूड़ के सामने एक मामले को रखने आया था. उन्होंने कहा कि इस अदालत से मेरी यात्रा शुरू हुई और आज इसी अदालत में समाप्त हो रही है. अनेक संविधान पीठों के गठन का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि ‘बार के लिए कुछ करना बहुत यादगार और संतोषजनक अनुभव रहा है.

जजों को संविधान पीठ में शामिल होने का मिले अवसर

जस्टिस ललित ने कहा, ‘मुझे लगता है कि सुप्रीम कोर्ट में जज बनने वाले कोई भी जज किसी भी काम के लिए पर्याप्त रूप से सक्षम होते हैं और उन्हें संविधान पीठों में शामिल होने का समान अवसर मिलना चाहिए. भारत के 50वें सीजेआई बनने जा रहे जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि जस्टिस ललित की यह खासियत रही कि वह इस अदालत में वरिष्ठ अधिवक्ता के रूप में काम करने के बाद यहां जस्टिस बने.

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जस्टिस ललित के सुधारों पर बनी रहेगी निरंतरता : जस्टिस चंद्रचूड़

जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने जस्टिस ललित को आश्वासन दिया कि सर्वोच्च अदालत में उन्होंने जिन सुधारों पर काम किया, उन्हें लेकर निरंतरता बनी रहेगी. जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि जस्टिस उमेश उदय ललित को न केवल कानून की, बल्कि भारतीय सामाजिक जीवन की अद्भुत समझ है और इससे इस अदालत को स्थिरता मिली है. अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमानी ने कहा कि वह प्रधान न्यायाधीश के अत्यंत आभारी हैं. सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि प्रधान न्यायाधीश ललित का वकील और न्यायाधीश के रूप में सफल कार्यकाल रहा है.

KumarVishwat Sen
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कुमार विश्वत सेन प्रभात खबर डिजिटल में डेप्यूटी चीफ कंटेंट राइटर हैं. इनके पास हिंदी पत्रकारिता का 25 साल से अधिक का अनुभव है. इन्होंने 21वीं सदी की शुरुआत से ही हिंदी पत्रकारिता में कदम रखा. दिल्ली विश्वविद्यालय से हिंदी पत्रकारिता का कोर्स करने के बाद दिल्ली के दैनिक हिंदुस्तान से रिपोर्टिंग की शुरुआत की. इसके बाद वे दिल्ली में लगातार 12 सालों तक रिपोर्टिंग की. इस दौरान उन्होंने दिल्ली से प्रकाशित दैनिक हिंदुस्तान दैनिक जागरण, देशबंधु जैसे प्रतिष्ठित अखबारों के साथ कई साप्ताहिक अखबारों के लिए भी रिपोर्टिंग की. 2013 में वे प्रभात खबर आए. तब से वे प्रिंट मीडिया के साथ फिलहाल पिछले 10 सालों से प्रभात खबर डिजिटल में अपनी सेवाएं दे रहे हैं. इन्होंने अपने करियर के शुरुआती दिनों में ही राजस्थान में होने वाली हिंदी पत्रकारिता के 300 साल के इतिहास पर एक पुस्तक 'नित नए आयाम की खोज: राजस्थानी पत्रकारिता' की रचना की. इनकी कई कहानियां देश के विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हुई हैं.

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