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Environment: आर्थिक विकास और पर्यावरण संरक्षण के बीच संतुलन बनाना जरूरी

केंद्रीय प्रदूषण बोर्ड ने पिछले पांच दशक में अपनी विश्वसनीयता बनाये रखने के लिए बेहतर काम किया है. अर्थव्यवस्था और पारिस्थितिकी के एक साथ विकास के लिए पर्यावरण नियमों और मानदंडों को विकसित करना जरूरी है. देश में नयी तकनीकों के विकास और पर्यावरण प्रयोगशालाओं के विस्तार के लिए आईआईटी, प्रतिष्ठित शैक्षणिक संस्थानों और प्रमुख अनुसंधान निकायों के बीच सहयोग होना चाहिए.

Environment: देश 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने के लक्ष्य की ओर बढ़ रहा है. ऐसे में अर्थव्यवस्था और पारिस्थितिकी के एक साथ विकास के लिए पर्यावरण नियमों और मानदंडों को विकसित करना जरूरी है. देश में नयी तकनीकों के विकास और पर्यावरण प्रयोगशालाओं के विस्तार के लिए आईआईटी, प्रतिष्ठित शैक्षणिक संस्थानों और प्रमुख अनुसंधान निकायों के बीच सहयोग होना चाहिए. मेक-इन-इंडिया को मजबूत बनाने और प्रदूषण कम करने के लिए नए विकल्पों और स्वच्छ तकनीकों की व्यापक उपलब्धता सुनिश्चित करना समय की मांग है. 


केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के 51वें स्थापना दिवस कार्यक्रम को संबोधित करते हुए केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव ने कहा कि पिछले पांच दशक में देश में अपनी विश्वसनीयता बनाये रखने के लिए केंद्रीय प्रदूषण बोर्ड ने बेहतर काम किया है और इसपर आम लोगों के साथ देश की अदालतों को भी भरोसा है. राज्य बोर्डों और एजेंसियों के क्षमता निर्माण में सीपीसीबी की प्रमुख भूमिका है. सीपीसीबी को देश के पर्यावरण मामलों में क्षमता निर्माण के लिए मार्गदर्शक की भूमिका निभानी चाहिए. 


जन विश्वास अधिनियम, 2023 (प्रावधानों में संशोधन) और पर्यावरण लेखा परीक्षा नियम, 2025 के रूप में सरकार द्वारा हाल ही में किए गए सुधारों पर विचार करते हुए नियमों को प्रभावी बनाने का काम किया है. पर्यावरण संरक्षण हमारी सामूहिक पर्यावरणीय चेतना का एक हिस्सा होना चाहिए. सामाजिक विकास और व्यवहार में बदलाव लाने के लिए सामाजिक विज्ञान को विज्ञान और प्रौद्योगिकी से जोड़ने की जरूरत है. 


सीपीसीबी के दो नये क्षेत्रीय निदेशालय में बना दो लैब

भूपेंद्र यादव ने सीपीसीबी के नए भवन की आधारशिला रखी और साथ ही पुणे और शिलांग स्थित सीपीसीबी के क्षेत्रीय निदेशालयों में दो नये लैब का उद्घाटन किया गया. यह लैब 70 और 62 पर्यावरणीय मानदंडों की निगरानी करने में सक्षम है. इससे महाराष्ट्र एवं पूर्वोत्तर राज्यों मणिपुर, असम, मेघालय, नागालैंड, अरुणाचल प्रदेश, मिजोरम, त्रिपुरा और सिक्किम को लाभ मिलेगा.

कार्यक्रम के दौरान समीर ऐप की (संस्करण 2.0) भी शुरुआत की गई, जिसमें उपयोगकर्ता-अनुकूल इंटरफेस, व्यक्तिगत अलर्ट, स्थान-आधारित सेवाएं और बेहतर नागरिक सहभागिता की सुविधाएं शामिल है. यह ऐप एंड्रॉइड और आईओएस प्लेटफॉर्म पर उपलब्ध होगा. 

केंद्रीय पर्यावरण मंत्री ने राष्ट्रीय जल गुणवत्ता निगरानी आंकड़ों पर आधारित ‘प्रदूषित नदी खंडों का वर्गीकरण, 2025’ शीर्षक से एक तकनीकी रिपोर्ट जारी की और ‘आइडेंटिफिकेशन ऑफ नॉन पोल्यूटेड एंड पोल्यूटेड स्ट्रेचेज एंड वाटर बॉडी थ्रू फ्रेश वाटर बेन्थिक माइक्रो वर्टेब्रेट्स इन इंडिया शीर्षक से एक मैनुअल भी जारी किया. कार्यक्रम में पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के सचिव तन्मय कुमार, पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के महानिदेशक (वन) एवं विशेष सचिव सुशील कुमार अवस्थी, मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी और अन्य लोग मौजूद रहे. 

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