Election Commission: केंद्रीय चुनाव आयोग चुनाव को निष्पक्ष और पारदर्शी बनाने के लिए केंद्रीय पर्यवेक्षकों की नियुक्ति करता है. केंद्रीय पर्यवेक्षकों में सामान्य, पुलिस और व्यय पर्यवेक्षकों की तैनाती की जाती है. पर्यवेक्षकों की नियुक्त का मकसद चुनाव में हर उम्मीदवार को समान अवसर मुहैया कराना होता है. बिहार में होने वाले विधानसभा चुनाव को देखते हुए चुनाव आयोग ने मंगलवार को केंद्रीय पर्यवेक्षकों के तौर पर तैनात किए जाने वाले सामान्य, पुलिस और व्यय पर्यवेक्षकों के लिए एक बैठक का आयोजन किया.
चुनाव आयोग के आंख-कान होते हैं पर्यवेक्षक
इस बैठक में 287 आईएएस, 58 आईपीएस, आईआरएस, आईआरएएस, आईसीएएस और अन्य सेवाओं के 80 अधिकारियों सहित 425 अधिकारी शामिल हुए. मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने बैठक को संबोधित करते हुए कहा कि पर्यवेक्षक लोकतंत्र के प्रकाश स्तंभ हैं. साथ वे चुनाव आयोग के आंख और कान है. बैठक में चुनाव आयुक्त डॉक्टर सुखबीर सिंह संधू और डॉक्टर विवेक जोशी भी मौजूद रहे. गौरतलब है कि बिहार में 22 नवंबर तक विधानसभा का गठन होना है. ऐसे में संभावना जताई जा रही है कि इस हफ्ते के अंत तक आयोग चुनाव चुनाव की तारीख की घोषणा कर सकता है.
नियमों का करें सख्ती से पालन
मुख्य चुनाव आयुक्त ने कहा कि केंद्रीय पर्यवेक्षकों को चुनाव से संबंधित सभी कानूनों, नियमों और दिशा-निर्देशों की जानकारी होनी चाहिए और इन नियमों का सख्ती से पालन करने के लिए हर संभव कदम उठाने का काम करना चाहिए. पर्यवेक्षकों को निर्देश दिया गया कि वे राजनीतिक दलों, उम्मीदवारों और मतदाताओं की शिकायतों के निवारण के लिए उपलब्ध रहें. साथ ही पर्यवेक्षकों को मतदान केंद्रों का दौरा करने और मतदाताओं की सुविधा के लिए आयोग द्वारा हाल ही में शुरू की गयी पहलों के क्रियान्वयन को सुनिश्चित करने का निर्देश दिया.
आयोग संविधान के अनुच्छेद 324 और जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 20 बी के तहत मिले अधिकार के तहत स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव कराने में आयोग की सहायता के लिए केंद्रीय पर्यवेक्षकों की नियुक्ति करता है. वे क्षेत्रीय स्तर पर चुनाव प्रक्रिया के कुशल और प्रभावी प्रबंधन की भी देखरेख करते हैं. चुनाव को निष्पक्ष और पारदर्शी बनाने में पर्यवेक्षकों की अहम भूमिका होती है. चुनाव संबंधी किसी तरह की शिकायत राजनीतिक दल के प्रतिनिधि पर्यवेक्षकों से कर सकते हैं.

