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Defense: भावी चुनौतियों से निपटने के लिए तीनों सेनाओं के बीच एकीकरण जरूरी

युद्ध का विकसित होता स्वरूप, पारंपरिक और गैर-पारंपरिक खतरों के जटिल होने के कारण तीनों सेनाओं के बीच तालमेल समय की जरूरत बन गया है. यह राष्ट्रीय सुरक्षा और संचालन की प्रभावशीलता के लिए जरूरी है.

Defense: ऑपरेशन सिंदूर के दौरान तीनों सेनाओं के तालमेल ने एक एकीकृत, साझा और त्वरित संचालन की तस्वीर पेश की. इसके कारण कमांडरों को समय पर निर्णय लेने, स्थितिजन्य जागरूकता बढ़ाने और अपने नुकसान के जोखिम को कम करने में मदद मिली.  ऑपरेशन सिंदूर निर्णायक परिणाम देने वाली एकजुटता का जीवंत उदाहरण है और यह सफलता भविष्य के सभी अभियानों के लिए एक मानक बनेगी. 

भारतीय वायु सेना द्वारा आयोजित एक सेमिनार को संबोधित करते हुए रक्षा मंत्री राजनाथ ने भारतीय वायुसेना की एकीकृत वायु कमान और नियंत्रण प्रणाली के महत्व पर जोर देते हुए कहा कि भारतीय सेना के आकाश तीर और भारतीय नौसेना के त्रिगुण के साथ मिलकर काम कर रही है और ऑपरेशन के दौरान एक संयुक्त संचालन का आधार बना रही है. युद्ध का विकसित होता स्वरूप, पारंपरिक और गैर-पारंपरिक खतरों के जटिल होने के कारण तीनों सेनाओं के बीच तालमेल समय की जरूरत बन गया है. यह राष्ट्रीय सुरक्षा और संचालन की प्रभावशीलता के लिए जरूरी है. 

तीनों सेना स्वतंत्र रूप से जवाबी कार्रवाई की क्षमता रखती है, वहीं जमीनी, समुद्री, हवा, अंतरिक्ष और साइबर स्पेस में सहयोगात्मक शक्ति विजय की सच्ची गारंटी बनाती है. रक्षा मंत्री ने हर संभव तरीके से संयुक्तता का समर्थन करने की सरकार की प्रतिबद्धता दोहराते हुए भारतीय तटरक्षक बल (आईसीजी), सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) और नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (डीजीसीए) सहित सभी सेनाओं और संस्थानों से इस दिशा में निर्णायक रूप से काम करने को कहा. जब देश की सशस्त्र सेनाएं एकजुटता, सामंजस्य और पूर्ण समन्वय के साथ काम करेगी तो सभी क्षेत्रों में दुश्मनों का मुकाबला कर सकेंगे. 


सेना को भविष्य के लिए तैयार रहने की जरूरत 

रक्षा मंत्री ने कहा कि हाल ही में कोलकाता में आयोजित संयुक्त कमांडरों के सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संयुक्तता और एकीकरण के महत्व पर जोर दिया था. सरकार की कोशिश है कि सशस्त्र बल न केवल मूल्यों और परंपराओं के मामले में दुनिया में सर्वश्रेष्ठ हों, बल्कि भविष्य के लिए तैयार प्रणालियों के अग्रदूत बनें. सरकार का मकसद तीनों सेनाओं के बीच संयुक्तता और एकीकरण को और बढ़ावा देना है. यह केवल नीतिगत मामला नहीं है, बल्कि तेजी से बदलते सुरक्षा परिवेश में अस्तित्व का सवाल है.

सेना के कंप्यूटरीकृत इन्वेंट्री नियंत्रण समूह (सीआईसीजी), वायु सेना की एकीकृत सामग्री प्रबंधन ऑनलाइन प्रणाली (आईएमएमओएलएस) और नौसेना की एकीकृत रसद प्रबंधन प्रणाली की सराहना करते हुए उन्होंने कहा कि इन प्रणालियों ने स्वचालन, जवाबदेही और पारदर्शिता लाने का काम किया है. 

साइबर युद्ध और विमानन सुरक्षा के प्रति सचेत रहना होगा


राजनाथ सिंह ने कहा कि विमानन सुरक्षा और साइबर युद्ध जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्र में मानक में भिन्नता विनाशकारी साबित हो सकती है. एक छोटी-सी भी गलती का व्यापक असर हो सकता है. अगर हमारी साइबर रक्षा प्रणालियां विभिन्न सेनाओं में भिन्न हैं, तो विरोधी इस अंतर का फायदा उठा सकते हैं. ऐसे में सेनाओं को अपने मानक में सामंजस्य स्थापित करके इन कमजोरियों को दूर करना होगा.

एकीकरण में प्रत्येक बल की विशेषता का सम्मान होना चाहिए. हिमालय की ठंड, रेगिस्तान की गर्मी से अलग होती है. नौसेना को थल सेना और वायुसेना से अलग चुनौतियों का सामना करना पड़ता है. जहां उपयुक्त न हो, वहां एकरूपता नहीं थोप सकते. 

एकीकरण हासिल करने के लिए न केवल संरचनात्मक सुधार बल्कि मानसिकता में बदलाव की भी आवश्यकता है. संयुक्तता अपनाने में कई चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा. लेकिन संवाद, समझ और परंपराओं के सम्मान के जरिए इन बाधाओं को पार किया जा सकता है. इस दौरान चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ अनिल चौहान, नौसेना प्रमुख एडमिरल दिनेश के त्रिपाठी, वायु सेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल एपी सिंह, महानिदेशक (निरीक्षण एवं सुरक्षा) एयर मार्शल मकरंद रानाडे, सशस्त्र बल, आईसीजी, बीएसएफ, डीजीसीए के वरिष्ठ अधिकारी मौजूद रहे. 

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