Defense: रक्षा क्षेत्र में भारत आत्मनिर्भर बनने के लिए लगातार कदम उठा रहा है. रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता हासिल करने के लिए सरकार की ओर से मेक इन इंडिया उत्पाद को बढ़ावा दिया गया. रक्षा उपकरण के क्षेत्र में स्वदेशी निर्माण को बढ़ावा देने के लिए डिफेंस रिसर्च एंड डेवलेपमेंट ऑर्गेनाइजेशन(डीआरडीओ) ने पिछले तीन साल में 148 नये तकनीकी प्रोजेक्ट को मंजूरी दी है. इसके लिए रक्षा मंत्रालय की ओर से बजटीय आवंटन को बढ़ावा देने के साथ ही विशेष सहायता मुहैया कराने के लिए योजना चलायी जा रही है. केंद्र सरकार की ओर से रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने के लिए कई स्तर पर प्रयास किया जा रहा है. इसका परिणाम दिख रहा है.
पिछले तीन साल में रक्षा मंत्रालय के डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट का बजट काफी बढ़ा है. वर्ष 2022-23 में इस मद में आवंटन 20578.78 करोड़ रुपये था, जो वर्ष 2023-24 में बढ़कर 24694.94 करोड़ रुपये और वर्ष 2024-25 में बढ़कर 26816.82 करोड़ रुपये हो गया. इसके अलावा टेक्नोलॉजी डेवलपमेंट फंड के लिए 500 करोड़ रुपये का अतिरिक्त खर्च को मंजूरी दी गयी. ताकि नयी तकनीक के विकास के लिए छोटे, लघु, मध्यम और नये स्टार्टअप को बढ़ावा दिया जा सके. सोमवार को राज्यसभा में पूछे गए एक सवाल के जवाब में रक्षा राज्य मंत्री संजय सेठ ने यह जानकारी देते हुए कहा कि सरकार की कोशिश नये तकनीक के क्षेत्र में देश को आत्मनिर्भर बनाने की है.
मेक इन इंडिया को बढ़ावा देना है मकसद
टेक्नोलॉजी डेवलपमेंट फंड के तहत मंजूर किए गए प्रोजेक्ट की सफलता उत्साहवर्धक रही है. इस फंड के तहत 26 तकनीक का विकास किया गया है और दो प्रोजेक्ट पीएसएलवी मिशन का हिस्सा रहे हैं. आने वाले समय में डीआरडीओ नयी तकनीक के विकास के लिए स्टार्टअप के साथ काम करने की नयी नीति तैयार कर रहा है. इस नीति का मकसद रक्षा क्षेत्र में नये तकनीक के विकास के लिए स्टार्टअप इकोसिस्टम का विकास करना है.
इनोवेशन को बढ़ावा देने के लिए रक्षा क्षेत्र के 25 फीसदी रिसर्च एंड डेवलपमेंट बजट का उपयोग उद्योग, स्टार्टअप और शिक्षा क्षेत्र के लिए खोला गया गया. रक्षा राज्य मंत्री ने कहा कि पिछले तीन साल में रक्षा क्षेत्र के उपकरण, प्लेटफार्म के विकास के लिए मेक इन इंडिया के तहत 70 प्रोजेक्ट को मंजूरी दी गयी है. डीआरडीओ के लैब में विश्व स्तरीय रक्षा उपकरण का विकास हुआ है और लगभग देश के 2 हजार के अधिक उद्योग देश के रक्षा उपकरण का निर्माण कर रहे हैं.
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