Defense: सेना कमांडरों का सम्मेलन नयी दिल्ली में आयोजित किया जा रहा है. इस आयोजन में मौजूदा सुरक्षा स्थिति, सीमाओं पर हालात और मौजूदा सुरक्षा तंत्र के समक्ष चुनौतियों पर सेना के शीर्ष अधिकारियों का मंथन चल रहा है. सम्मेलन में संगठनात्मक पुनर्गठन, रसद, प्रशासन, मानव संसाधन प्रबंधन, स्वदेशीकरण के माध्यम से आधुनिकीकरण, आधुनिक तकनीक को शामिल करने और विभिन्न मौजूदा वैश्विक स्थितियों के प्रभाव के आकलन से संबंधित मुद्दों पर चर्चा की गयी. सेना कमांडरों का सम्मेलन 1-4 अप्रैल तक चलेगा.
गुरुवार को सम्मेलन को संबोधित करते हुए रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि देश के नागरिकों का सेना पर अटूट भरोसा है. सीमाओं की रक्षा करने और आतंकवाद से लड़ने के अलावा नागरिक प्रशासन को हर समय सहायता प्रदान करने में सेना ने अहम भूमिका निभाई है.
राष्ट्र निर्माण में भारतीय सेना की भूमिका अतुलनीय
रक्षा मंत्री ने कहा कि राष्ट्र निर्माण और समग्र राष्ट्रीय विकास में भारतीय सेना की भूमिका अतुलनीय है. राष्ट्र, वीर सैनिकों और उनके परिवार द्वारा किए गए बलिदानों का ऋणी है. उन्होंने मौजूदा भू-रणनीतिक अनिश्चितताओं और जटिल वैश्विक स्थिति का जिक्र करते हुए कहा कि वर्तमान विश्व एक दूसरे से जुड़ा हुआ है और ऐसी घटनाएं चाहे हमारे पड़ोस में हो या दूर के देशों में सभी को प्रभावित करती है. हाइब्रिड युद्ध सहित अपरंपरागत और असममित युद्ध, भविष्य के पारंपरिक युद्धों का हिस्सा होंगे. साइबर, सूचना, संचार, व्यापार और वित्त सभी भविष्य के संघर्षों का अभिन्न अंग बन गए हैं. ऐसे में सशस्त्र बलों को योजना और रणनीति बनाते समय इन सभी पहलुओं को ध्यान में रखना होगा.
भविष्य के लिए सेना को तैयार करना जरूरी
उत्तरी सीमाओं पर मौजूदा स्थिति को लेकर रक्षा मंत्री ने सैनिकों पर भरोसा जताया. साथ ही बीआरओ के कठिन परिस्थितियों में काम करते हुए पश्चिमी और उत्तरी दोनों सीमाओं पर सड़क संपर्क सुविधाओं में सुधार के लिए सराहना की. पश्चिमी सीमाओं की मौजूदा स्थिति का जिक्र करते हुए उन्होंने सीमा पार आतंकवाद को लेकर भारतीय सेना के कड़े रुख की सराहना की साथ ही जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद के खतरे से निपटने में अर्धसैनिक बलों, पुलिस बलों और सेना के बीच बेहतरीन तालमेल की प्रशंसा की.
तकनीकों के साथ सामंजस्य बनाने की जरूरत
स्वदेशीकरण के माध्यम से आधुनिकीकरण और आत्मनिर्भरता का लक्ष्य हासिल करना जरूरी है. रक्षा कूटनीति, स्वदेशीकरण, सूचना युद्ध, रक्षा ढांचा और सेना के आधुनिकीकरण से संबंधित मुद्दों पर ऐसे मंच पर विचार-विमर्श किया जाना चाहिए. सेना को भविष्य के लिए तैयार करने के लिए जब भी जरूरत हाे सैद्धांतिक परिवर्तन किया जाना चाहिए. उन्होंने उभरती हुई तकनीकों के साथ सशस्त्र बलों को सामंजस्य बनाने को कहा.