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Defence Ministry: ऑपरेशन सिंदूर तीनों सेनाओं की एकजुटता और एकीकरण का असाधारण प्रदर्शन

नागरिक-सैन्य एकीकरण को केवल एकीकरण के रूप में नहीं, बल्कि एक रणनीतिक प्रवर्तक के रूप में देखा जाना चाहिए जो इनोवेशन को बढ़ावा देता है, प्रतिभा को संरक्षित करता है और राष्ट्र को तकनीकी आत्मनिर्भरता की ओर अग्रसर करता है.

Defence Ministry: तीनों सेनाओं की असाधारण एकजुटता और एकीकरण का प्रतीक था ‘ऑपरेशन सिंदूर’, जिसने उभरती वैश्विक चुनौतियों से निपटने के लिए भारत की समन्वित, अनुकूलनीय और पूर्व-निवारक रणनीतियों के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता को सशक्त किया है. ऑपरेशन सिंदूर में दिखाई गई संयुक्तता ने दुनिया को भारत की सैन्य क्षमता का प्रमाण दिया. पाकिस्तान आज भी हमारे सशस्त्र बलों द्वारा दी गई करारी हार से उबर नहीं पाया है.


बुधवार को एक समारोह में लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) राज शुक्ला द्वारा लिखित पुस्तक ‘सिविल-मिलिट्री फ्यूजन ऐज़ ए मेट्रिक ऑफ नेशनल पावर एंड कॉम्प्रिहेंसिव सिक्योरिटी’ के विमोचन के अवसर पर बोलते हुए रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि आज का युद्ध केवल सीमाओं तक सीमित नहीं है, बल्कि इसका स्वरूप मिश्रित और विषम हो गया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में सरकार ने भविष्य के लिए तैयार सशस्त्र बलों के निर्माण हेतु कई साहसिक सुधार किए हैं, जिससे राष्ट्रीय सुरक्षा और रणनीतिक स्वायत्तता को सुदृढ़ किया जा सके.


तीनों सेनाओं के बीच तालमेल रहा बेहतर

रक्षा मंत्री ने कहा कि  चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ के पद का सृजन ऐतिहासिक कदमों में से एक था, जो तीनों सेनाओं के बीच समन्वय और तालमेल को मजबूत करने में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित हुआ. आज दुनिया ‘श्रम विभाजन’ से आगे बढ़कर ‘उद्देश्य एकीकरण’ की ओर बढ़ रही है और अलग-अलग जिम्मेदारियां निभाने के बावजूद, एक साझा दृष्टिकोण के साथ काम करने की ज़रूरत है. उन्होंने कहा, “श्रम विभाजन के संदर्भ में हमारा नागरिक प्रशासन और सेना निश्चित रूप से अलग-अलग हैं, लेकिन सत्ता में आने के बाद से  प्रधानमंत्री ने इस बात पर ज़ोर दिया है कि कोई भी प्रशासन अलग-अलग काम नहीं कर सकता, उसे एक-दूसरे के साथ मिलकर काम करना होगा.”


वर्तमान प्रौद्योगिकी-संचालित युग में नागरिक-सैन्य संलयन की प्रकृति को समझने की आवश्यकता पर बल देते हुए, राजनाथ सिंह ने प्रमुख चुनौतियों की पहचान करने और अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलनों को ध्यान में रखते हुए सैन्य क्षेत्र में नागरिक तकनीकी क्षमताओं का प्रभावी ढंग से उपयोग करने के लिए एक केंद्रित दृष्टिकोण अपनाने का भी आह्वान किया.  इस अवसर पर चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान, थल सेनाध्यक्ष जनरल उपेंद्र द्विवेदी तथा यूनाइटेड सर्विस इंस्टीटूशन ऑफ इंडिया के महानिदेशक मेजर जनरल (सेवानिवृत्त) बी.के. शर्मा भी उपस्थित रहे.

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