Defence: भारत और सिंगापुर के बीच 16वीं रक्षा कार्य समूह की बैठक में दोनों देशों के बीच पूर्व में रक्षा मंत्रियों की बैठक के दौरान लिए गए फैसलों और द्विपक्षीय रक्षा सहयोग से जुड़े विभिन्न कार्यक्रमों की प्रगति की समीक्षा की गई. इस दौरान रणनीतिक दृष्टिकोणों का आदान-प्रदान के साथ ही बहुआयामी रक्षा संबंधों को और सुदृढ़ करने पर सहमति बनी. यह विचार-विमर्श हाल ही में नयी दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और सिंगापुर के प्रधानमंत्री लॉरेंस वोंग की बैठक के बाद जारी संयुक्त वक्तव्य के अनुरूप रहा. दोनों पक्षों ने मौजूदा रक्षा सहयोग पर संतोष व्यक्त किया और प्रशिक्षण, क्षमता निर्माण, रक्षा उद्योग एवं प्रौद्योगिकी, समुद्री सुरक्षा और बहुराष्ट्रीय सहयोग जैसे क्षेत्रों में इसे और मजबूत करने पर जोर दिया.
साथ ही उभरते वैश्विक सुरक्षा मुद्दों और साझा हितों पर सहयोग बढ़ाने की दिशा में भी कदम उठाने पर सहमति बनी. सिंगापुर में हुई इस बैठक की सह-अध्यक्षता रक्षा मंत्रालय के संयुक्त सचिव (अंतर्राष्ट्रीय सहयोग) अमिताभ प्रसाद और सिंगापुर रक्षा मंत्रालय के नीति कार्यालय के निदेशक कर्नल डैक्सन याप ने की.
बहुराष्ट्रीय सहयोग और उभरते वैश्विक मुद्दों पर जोर
बैठक इस मायने में महत्वपूर्ण है कि वर्ष 2025 भारत और सिंगापुर के बीच राजनयिक संबंधों की स्थापना के 60 वर्ष पूरे होने का प्रतीक है. इसी संदर्भ में दोनों देशों ने रक्षा सहयोग को नयी ऊंचाइयों तक ले जाने का संकल्प लिया. यह बैठक भारत की ‘एक्ट ईस्ट पॉलिसी’ की पृष्ठभूमि में भी महत्वपूर्ण है, जिसमें सिंगापुर क्षेत्रीय रणनीतिक, आर्थिक और सांस्कृतिक संपर्क को मजबूत करने में अहम भागीदार है.
बैठक के दौरान अमिताभ प्रसाद ने सिंगापुर रक्षा मंत्रालय के उप-सचिव नीति बी.जी. फ्रेडरिक चू से भी मुलाकात की. उन्होंने चांगी नौसैनिक अड्डे पर सूचना संलयन केंद्र और आसियान रक्षा मंत्रियों की बैठक से जुड़े साइबर सुरक्षा एवं सूचना उत्कृष्टता केंद्र का दौरा कर सहयोग की संभावनाओं पर चर्चा की. भारत-सिंगापुर रक्षा संबंधों को और गहराई देने और क्षेत्रीय सुरक्षा ढांचे में सहयोग की नयी संभावनाएं खोलने पर भी विस्तार से विचार-विमर्श किया गया.
| ReplyForwardShare in chatNew |

