Defence: भारत का तकनीकी क्षेत्र प्रगति कर रहा है और अगले पांच वर्षों में इसके 300-350 अरब डॉलर तक पहुंचने की उम्मीद है. देश में 1.25 लाख से अधिक स्टार्टअप और 110 यूनिकॉर्न (एक अरब डॉलर यानी 8200 करोड़ रुपए से ज़्यादा वैल्यूएशन वाली स्टार्टअप कंपनी) के साथ भारत दुनिया में तीसरे सबसे बड़े स्टार्टअप प्रणाली के रूप में उभर रहा है. जरूरत इस बात की है कि छात्र विकास और अवसर के इस दौर का लाभ उठायें. छात्र न केवल भारत की तकनीकी प्रगति में योगदान करें, बल्कि अनुसंधान और विकास के प्रमुख क्षेत्रों में वैश्विक स्तर पर नेतृत्व भी करें. सोमवार को आईआईटी मंडी के 16 वें स्थापना दिवस पर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने ये बात कही.
उन्होंने उद्यमशीलता और नवाचार की संस्कृति को बढ़ावा देने के महत्व पर जोर देते हुआ कहा कि इससे भारत को आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, मशीन लर्निंग और डिजिटल प्रौद्योगिकियों जैसे उभरते क्षेत्रों में नेतृत्व करने का मौका मिलेगा. उन्होंने डीआरडीओ के साथ मौजूदा सहयोग की सराहना करते हुए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) संचालित युद्ध, स्वदेशी एआई चिप विकास, साइबर सुरक्षा और क्वांटम प्रौद्योगिकी जैसे क्षेत्रों में और अधिक योगदान देने का आह्वान किया.
रक्षा निर्यात 50 हजार करोड़ करने का लक्ष्य
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने रक्षा क्षेत्र में भारत की आत्मनिर्भरता के विषय में कहा कि “भारत ने गोला-बारूद उत्पादन में 88 प्रतिशत आत्मनिर्भरता हासिल कर ली है, और 2023-24 में रक्षा निर्यात लगभग 23,000 करोड़ रुपये तक पहुंच गया है. सरकार का लक्ष्य 2029 तक रक्षा निर्यात को 50,000 करोड़ रुपये तक पहुंचाना है.” उन्होंने भारत में एक मजबूत रक्षा उद्योग विकसित करने की सरकार की प्रतिबद्धता का समर्थन किया, जो राष्ट्र की सुरक्षा का समर्थन करता है और देश की आर्थिक वृद्धि में योगदान देता है.
रक्षा मंत्री ने 2047 तक देश को विकसित बनाने के लिए तकनीकी नवाचार में उत्कृष्टता प्राप्त करने का आग्रह करते हुए उन्हें पहल, सुधार और परिवर्तन (आईआईटी) के सिद्धांतों का पालन करने की सलाह दी. उन्होंने कहा कि ज्ञान की खोज में साहसी बनने और चुनौतियों का सामना दृढ़ता से करने की आवश्यकता है.