Congress: लोकसभा चुनाव में उम्मीद से बेहतर परिणाम हासिल करने के बाद कांग्रेस पूरे उत्साह में थी. पार्टी को उम्मीद थी कि लोकसभा चुनाव परिणाम का लाभ उसे विधानसभा चुनावों में भी मिलेगा. लेकिन हरियाणा में मिली हार कांग्रेस के उत्साह को कमजोर करने का काम किया. पार्टी को फिर महाराष्ट्र में होने वाले विधानसभा चुनाव से बड़ी उम्मीद थी, लेकिन जब परिणाम आये तो कांग्रेस को अब तक की सबसे करारी हार का सामना करना पड़ा.
फिर दिल्ली के विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी और कांग्रेस का गठबंधन नहीं हो पाया और 27 साल बाद दिल्ली की सत्ता पर भाजपा काबिज हो गयी. इस हार से सबक लेते हुए कांग्रेस ने संगठन में व्यापक बदलाव का फैसला लिया और कई राज्यों के प्रभारी को बदल दिया है. इस साल के अंत में बिहार का विधानसभा चुनाव होना है. बिहार में इंडिया और एनडीए गठबंधन के बीच मुख्य मुकाबला होना है.
ऐसे में कांग्रेस विधानसभा चुनाव को देखते हुए संगठन को मजबूत करने का फैसला लिया है. मंगलवार को कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने पार्टी महासचिवों और राज्यों के प्रभारियों के साथ अहम बैठक की. इस बैठक में कांग्रेस नेता राहुल गांधी, प्रियंका गांधी, संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल के अलावा अन्य वरिष्ठ नेता शामिल हुए. बैठक में कांग्रेस अध्यक्ष खड़गे ने कहा कि भविष्य में चुनाव परिणाम के लिए राज्य प्रभारियों को जवाबदेह बनाया जायेगा. उन्होंने कहा कि दूसरे दल से आए वैचारिक तौर पर कमजोर नेताओं को पार्टी में शामिल करने में सावधानी बरतने की जरूरत है. पार्टी को ऐसे लोगों को आगे बढ़ाने का काम करना चाहिए जो कांग्रेस की विचारधारा के प्रति प्रतिबद्ध हों और हर हालात में पार्टी के साथ रह सकते हैं.
कांग्रेस के लिए आने वाला समय होगा चुनौतीपूर्ण
इस साल अब सिर्फ बिहार में विधानसभा चुनाव होना है. बिहार में कांग्रेस का आधार सीमित है और वह राजद की सहयोगी पार्टी के तौर पर चुनाव लड़ेगी. बिहार में कांग्रेस संगठन काफी कमजोर हो चुका है. ऐसे में कांग्रेस के लिए बिहार से खास उम्मीद नहीं है. जबकि वर्ष 2026 में केरल, तमिलनाडु, पुडुचेरी, असम और पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव होना है. कांग्रेस तमिलनाडु में डीएमके की सहयोगी के तौर पर चुनाव लड़ेगी. वहीं पश्चिम बंगाल में कांग्रेस के पास जनाधार नहीं बचा है. कांग्रेस की उम्मीद सिर्फ केरल और असम में हैं.
केरल में कांग्रेस को वाम मोर्चे से मुकाबला करना है तो असम में भाजपा से. लेकिन इन दोनों राज्यों में भी कांग्रेस का संगठन मजबूत नहीं है. केरल में पिछले 10 साल से वाम मोर्चा की सरकार है, जबकि असम में भाजपा की सरकार है. ऐसे में अगर कांग्रेस, असम और केरल में विधानसभा चुनाव में बेहतर प्रदर्शन नहीं कर पायेगी तो पार्टी के भविष्य पर फिर सवाल उठेगा. ऐसे में कांग्रेस की कोशिश राज्यों में संगठन को मजबूत करने पर है.
पार्टी विधानसभा चुनाव से पहले संगठन को चुनाव के लिए पूरी तरह तैयार करना चाहती है. चुनाव दर चुनाव हार से कांग्रेस कार्यकर्ताओं का मनोबल कमजोर होता है और इसका नुकसान पार्टी को उठाना पड़ता है. गौरतलब है कि मल्लिकार्जुन खरगे पहले ही कह चुके हैं कि वर्ष 2025 में संगठन को मजबूत करने पर जोर दिया जायेगा.