CJI Suryakant: भारत के नए मुख्य न्यायाधीश (CJI) के तौर पर जस्टिस सूर्यकांत ने आज शपथ ली है. वह जस्टिस बी. आर. गवई की जगह लेंगे. जस्टिस सूर्यकांत को 30 अक्टूबर को अगला CJI नियुक्त किया गया था और वह लगभग 15 महीने तक इस पद पर रहेंगे. उनका कार्यकाल 9 फरवरी, 2027 तक चलेगा, जब वह 65 वर्ष के होने पर रिटायर होंगे. जस्टिस सूर्यकांत ने कई बड़े फैसलों में बड़ी भूमिका निभाई है.
साधारण परिवार से देश के सर्वोच्च न्यायिक पद तक का सफर
10 फरवरी 1962 को हरियाणा के हिसार के एक मध्यमवर्गीय परिवार में जन्मे जस्टिस सूर्यकांत का सफर प्रेरणादायक रहा है. एक छोटे शहर में वकालत शुरू करने वाले सूर्यकांत आगे चलकर राष्ट्रीय महत्व के कई मामलों में फैसले देने वाले न्यायाधीश बने. उन्हें 2011 में कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय से एलएलएम में ‘फर्स्ट क्लास फर्स्ट’ आने का गौरव भी प्राप्त है.
पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट में कई महत्वपूर्ण फैसले लिखने के बाद 5 अक्टूबर 2018 को उन्हें हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट का मुख्य न्यायाधीश बनाया गया. सुप्रीम कोर्ट में अपने कार्यकाल के दौरान जस्टिस सूर्यकांत ने आर्टिकल 370 हटाने, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और नागरिक अधिकारों से जुड़े मामलों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.
आर्टिकल 370 से लेकर बिहार तक क्या है कनेक्शन
जस्टिस सूर्यकांत उस बेंच में शामिल थे जिसने देशद्रोह कानून (सेडिशन लॉ) को स्थगित रखते हुए केंद्र सरकार को इसके पुनर्विचार तक नई FIR दर्ज न करने का निर्देश दिया. उन्होंने चुनाव आयोग को बिहार के ड्राफ्ट वोटर रोल से बाहर किए गए 65 लाख मतदाताओं का डेटा सार्वजनिक करने का भी आदेश दिया था. साथ ही वो आर्टिकल 370 को हटाने वाली बेंच के भी हिस्सा रहे थे.
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