Black Box: गुरुवार को एयर इंडिया की फ्लाइट AI-171 अहमदाबाद से लंदन जा रही थी, लेकिन टेकऑफ के कुछ ही पलों बाद हादसे का शिकार हो गई. बोइंग 787-8 ड्रीमलाइनर विमान ने दोपहर 1:39 बजे रनवे 23 से उड़ान भरी थी और महज 625 फीट की ऊंचाई तक ही पहुंच पाया था कि अचानक मेघानी नगर इलाके में दुर्घटनाग्रस्त हो गया. विमान में 232 यात्री और 10 क्रू मेंबर्स सवार थे. हादसे के तुरंत बाद बड़ा राहत-बचाव अभियान शुरू किया गया और साथ ही ब्लैक बॉक्स की तलाश भी. लेकिन यह सवाल हर किसी के मन में आता है – आखिर यह ब्लैक बॉक्स होता क्या है और क्यों होता है इतना अहम?
Black Box क्या होता है?
ब्लैक बॉक्स असल में दो अहम उपकरणों का कॉम्बिनेशन होता है.
- फ्लाइट डेटा रिकॉर्डर (FDR) – यह विमान की गति, ऊंचाई, इंजन की स्थिति, थ्रस्ट, विंग्स की स्थिति, पिच, यॉ जैसी 88 से अधिक तकनीकी जानकारियों को रिकॉर्ड करता है.
- कॉकपिट वॉयस रिकॉर्डर (CVR) – यह पायलटों के बीच बातचीत, कॉकपिट में आने वाली अलार्म्स और सभी ऑडियो को रिकॉर्ड करता है.
- हालांकि इसे “ब्लैक” कहा जाता है, लेकिन असल में इसका रंग चमकीला नारंगी होता है ताकि दुर्घटना स्थल पर इसे आसानी से खोजा जा सके.
ब्लैक बॉक्स कैसे करता है काम?
ब्लैक बॉक्स विमान के पिछले हिस्से में लगाया जाता है, क्योंकि दुर्घटना के दौरान विमान का पिछला हिस्सा सबसे अंत में प्रभावित होता है और डेटा सुरक्षित रहने की संभावना ज्यादा होती है. ये रिकॉर्डर मजबूत टाइटेनियम या स्टील केसिंग में बंद होते हैं जो 1100°C तक की गर्मी और भारी दबाव को भी झेल सकते हैं. इसके अंदर एक ‘अंडरवॉटर लोकेटर बीकन’ भी होता है जो पानी में गिरने पर 30 दिन तक सिग्नल भेजता रहता है.
Black Box से कैसे होता है हादसे का विश्लेषण?
ब्लैक बॉक्स में रिकॉर्ड हुए डेटा को विशेषज्ञ लैब में डिकोड किया जाता है. इससे पता चलता है कि विमान के सिस्टम में कोई तकनीकी गड़बड़ी थी या मानवीय भूल, मौसम की भूमिका क्या रही, और पायलट्स ने आखिरी क्षणों में क्या निर्णय लिए. DGCA और एयरक्राफ्ट मैन्युफैक्चरर, दोनों मिलकर इसकी जांच करते हैं.