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Bihar: कोसी पर बन रहे पुल का अगले वित्त वर्ष में चालू होने की है संभावना

कोसी नदी पर 13.3 किलोमीटर लंबा भेजा-बकौर कोसी पुल का अब निर्माण हो रहा है और इसके निर्माण का काम अंतिम चरण में है. इस पुल के बनने के बाद यात्रा की दूरी लगभग 44 किलोमीटर कम होगी और इस क्षेत्र के विकास को नयी गति मिलेगा. कोसी नदी के किनारे बसे लोग कई दशक से बाढ़, अलगाव और कहीं आने-जाने के लिए लंबी यात्रा की परेशानी का सामना कर रहे हैं. लेकिन कोसी नदी पर बन रहे पुल के चालू होने के बाद इस इलाके के लोगों का वर्षों पुराना सपना पूरा होगा.

Bihar: बिहार में हर साल बाढ़ के कारण व्यापक पैमाने पर जान-माल का भारी नुकसान होता है. बाढ़ को रोकने के लिए कई स्तर पर प्रयास हो रहे हैं. आम लोगों की आवाजाही बेहतर करने के लिए नदियों पर पुल बनाने का काम तेजी से हो रहा है. इस कड़ी में कोसी नदी पर 13.3  किलोमीटर लंबा भेजा-बकौर कोसी पुल का अब निर्माण हो रहा है और इसके निर्माण का काम अंतिम चरण में है. इस पुल के बनने के बाद यात्रा की दूरी लगभग 44 किलोमीटर कम होगी और इस क्षेत्र के विकास को नयी गति मिलेगा.


कोसी नदी के किनारे बसे लोग कई दशक से बाढ़, अलगाव और कहीं आने-जाने के लिए लंबी यात्रा की परेशानी का सामना कर रहे हैं. लेकिन कोसी नदी पर बन रहे पुल के चालू होने के बाद इस इलाके के लोगों का वर्षों पुराना सपना पूरा होगा. इस पुल के निर्माण से बाढ़ प्रभावित, सुविधाओं से वंचित मधुबनी और सुपौल क्षेत्रों को सीधे एनएच-27 और पटना से जोड़ देगा. इससे नेपाल और पूर्वोत्तर के लिए भी सफर आसान होगा. 


पुल बनने से सीमा पार व्यापार, क्षेत्रीय वाणिज्य और इलाके में निवेश को बढ़ावा मिलेगा. यह विकास बिहार में भारतमाला परियोजना के पहले चरण की बस रैपिड ट्रांजिट (बीआरटी) योजना के तहत इंजीनियरिंग, प्रोक्योरमेंट एंड कंस्ट्रक्शन(ईपीसी) मोड में हो रहा है और इसके निर्माण पर लगभग 1101.99 करोड़ रुपये खर्च होने की संभावना है. वित्त वर्ष 2026-27 में इस पुल का निर्माण काम पूरा होने का लक्ष्य है. 


बाढ़ प्रभावित क्षेत्र में विकास की गति होगी तेज

इस पुल के निर्माण से क्षेत्र में कनेक्टिविटी काफी अच्छी हो जाएगी. तीर्थयात्रियों को भगवती उच्चैत, बिदेश्वर धाम, उग्रतारा मंदिर और सिंहेश्वर स्थान जैसे पवित्र स्थलों तक आसानी से पहुंच सुनिश्चित होगी. किसानों को बाढ़ के दौरान फंसे रहने का डर नहीं होगा और छात्र बिना किसी डर के स्कूल जा सकेंगे. साथ ही व्यापारी समुदाय को भी अपना सामान पहुंचाने की दुविधा से मुक्ति मिल जाएगी. पुल के निर्माण से छोटे दुकान की संख्या बढ़ेगी, परिवहन सेवा बेहतर होगी और स्थानीय युवाओं को रोजगार के नये अवसर मिलेंगे. 


यह पुल मधुबनी, सुपौल, सहरसा और आसपास के जिलों के लोगों के लिए एक जीवन रेखा है, आशा की एक अटूट कड़ी है, जो कोसी नदी के बाढ़ के मैदानों की चुनौतियों से प्रभावित समुदायों के लिए जीवन को सुगम बनाने का काम करेगी. इलाके के लोग पुल के निर्माण को लेकर काफी उत्साहित हैं. यह पुल किसान, युवा, व्यापारी वर्ग के लिए नयी संभावनाओं का दरवाजा खोलने का काम करेगा. इससे इस क्षेत्र की सामाजिक और आर्थिक स्थिति में व्यापक बदलाव आने की संभावना है. 

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