Animal Husbandry & Dairying: भारत कृषि प्रधान देश है, लेकिन पशुओं के स्वास्थ्य के क्षेत्र में अभी भी बहुत कुछ किया जाना बाकी है. ग्रामीण क्षेत्रों में आज भी पशुओं के बीमार होने पर वह स्वास्थ्य सुविधा नहीं मिल पाती है, जिसकी दरकार है. पशुओं के असमायिक मौत के कारण किसानों की जमा पूंजी तक खत्म हो जाती है और किसान वर्षों तक इसकी भरपाई नहीं कर पाते हैं. इससे निपटने के लिए मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय के तहत पशुपालन और डेयरी विभाग (डीएएचडी) ने विश्व पशु स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूओएएच) के सहयोग से दिल्ली में डब्ल्यूओएएच पीवीएस-पीपीपी (पशु चिकित्सा सेवाओं का प्रदर्शन-सार्वजनिक निजी भागीदारी) विषय पर एक कार्यशाला का आयोजन किया, जिसका उद्देश्य पशु चिकित्सा सेवा को मजबूत करने के साथ ही किसानों के लिए एक दीर्घकालिक लाभ सुनिश्चित करना.
पशु चिकित्सा सेवा को मजबूत करने पर जोर
कार्यशाला का उद्देश्य वैक्सीन प्लेटफॉर्म तैयार करना, पशु चिकित्सा कार्यबल का विकास, संस्थागत बुनियादी ढांचे और खुरपका-मुंहपका रोग (एफएमडी) मुक्त क्षेत्रों के निर्माण के लिए सार्वजनिक-निजी भागीदारी (पीपीपी) के माध्यम से पशु चिकित्सा सेवाओं को मजबूत करना था. इसमें मुख्य रूप से इस बात पर सहमति बनी की पीपीपी भागीदारी के माध्यम से पशु चिकित्सा सेवाओं के बीच जो गैप है, उसको खत्म किया जाये. जिसमें जिला स्तर पर एनएबीएल-मान्यता प्राप्त पशु चिकित्सा प्रयोगशालाओं की स्थापना, पशु चिकित्सा के लिए बुनियादी ढांचे का विस्तार, एफएमडी मुक्त क्षेत्र विकास के माध्यम से रोग नियंत्रण कार्यक्रमों को मजबूत करना. साथ ही पशु चिकित्सा संबंधी प्रशिक्षण और एक दूसरे के अनुभव से लाभ उठाने के लिए एक साझा प्लेटफार्म तैयार कर कार्यबल क्षमता का निर्माण करना शामिल है.टीका उत्पादन में आत्म निर्भरता को मजबूत करना तथा पशु चिकित्सा अनुसंधान, निदान और विस्तार सेवाओं में निजी क्षेत्र की विशेषज्ञता को एकीकृत करने के लिए एक व्यापक पीपीपी नीति ढांचे को परिभाषित करना.
पशुपालन क्षेत्र के लिए सुनिश्चित होंगे दीर्घकालिक लाभ
कार्यशाला में राज्य पशुपालन विभागों, पशु चिकित्सा परिषदों, रोग निदान प्रयोगशालाओं, आईसीएआर अनुसंधान संस्थानों, पशुधन उत्पादन के स्वास्थ्य और विस्तार एजेंट (ए-हेल्प), भारतीय कृषि कौशल परिषद, केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन, निजी क्षेत्र के हितधारकों, भारतीय पशु स्वास्थ्य कंपनियों के महासंघ (आईएनएफएएच), वैक्सीन निर्माताओं, खाद्य और कृषि संगठन और विश्व बैंक से 100 से अधिक प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया. कार्यशाला का समापन पशु चिकित्सा क्षेत्र के लिए पीपीपी रोडमैप की प्रस्तुति के साथ हुआ, जिसमें पशु चिकित्सा सेवाओं, रोग निगरानी और पशुधन उत्पादकता को बढ़ाने के लिए कार्रवाई योग्य रणनीतियों की रूपरेखा तैयार की गई. परिणाम नीति विकास, निवेश जुटाने और संरचित पीपीपी कार्यान्वयन में योगदान देंगे, जिससे भारत के पशुपालन क्षेत्र के लिए दीर्घकालिक लाभ सुनिश्चित होंगे.