21.1 C
Ranchi

लेटेस्ट वीडियो

India’s Slowest Train: क्या आपको पता है भारत की सबसे धीमी ट्रेन का नाम? सिर्फ 9 km तय करने में लग जाते हैं 1 घंटे

India's Slowest Train: दक्षिण भारत की धुंध भरी पहाड़ियों के बीच एक पुरानी लेकिन खूबसूरत ट्रेन अब भी धीरे-धीरे चलती रहती है. इतनी धीमी कि शहरों में साइकिल चलाने वाले भी इससे तेज निकल जाएं. यह ट्रेन नीलगिरी माउंटेन रेलवे से गुजरती है, जो और मेट्टुपलायम से ऊटी तक का पांच घंटे का खूबसूरत सफर पेश करती है.

India’s Slowest Train: फास्ट स्पीड ट्रेनों के दौर में, दक्षिण भारत की धुंध भरी पहाड़ियों के बीच एक पुरानी लेकिन खूबसूरत ट्रेन अब भी धीरे-धीरे चलती रहती है. इतनी धीमी कि शहरों में साइकिल चलाने वाले भी इससे तेज निकल जाएं. करीब 9 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चलने वाली मेट्टुपालयम–ऊटी नीलगिरि पैसेंजर देश की सबसे धीमी ट्रेन है. इसे ऊटी टॉय ट्रेन के नाम से भी जाना जाता है. लेकिन यही धीमी चाल हर साल हजारों टूरिस्टों को अपनी ओर खींच लाती है. आइए जानते हैं इस ट्रेन से जुड़ी कुछ रोचक बातें. 

1908 में शुरू हुई थी भारत की सबसे धीमी ट्रेन

1854 में इसका प्रस्ताव रखा गया था, लेकिन नीलगिरि माउंटेन रेलवे (NMR) को हकीकत बनने में लगभग पांच दशक लग गए. मुश्किल पहाड़ी इलाकों और इंजीनियरिंग चुनौतियों से लड़ते हुए इसका काम 1891 में शुरू हुआ, और 1908 तक यह मीटर-गेज की सिंगल-ट्रैक लाइन तैयार हो गई. तमिलनाडु की इन नीली पहाड़ियों में बनी यह रेल लाइन मेहनत और जज्बे की एक अनोखी मिसाल है.

UNESCO के Mountain Railways of India हेरिटेज समूह का हिस्सा मानी जाने वाली नीलगिरि रेलवे, दार्जिलिंग हिमालयन रेलवे और कालका-शिमला रेलवे की तरह ही अपनी शानदार इंजीनियरिंग और यात्रियों को मिलने वाले पुराने जमाने के रोमांस के लिए मशहूर है.

लगभग 5 घंटे में पूरा करती है 46km का सफर 

मेट्टुपालयम से ऊटी (उधगमंडलम) तक की 46km की यह यात्रा लगभग पांच घंटे लेती है. यानि सबसे तेज वंदे भारत एक्सप्रेस से करीब 18 गुना धीमी. लेकिन इसके नीले रंग के आइकॉनिक डिब्बों में सफर कर रहे यात्रियों के लिए समय जैसे थम सा जाता है, क्योंकि खिड़कियों के बाहर धुंध से ढकी घाटियां, ऊंचे नीलगिरि के जंगल और सीढ़ीनुमा ढलानें धीरे-धीरे गुजरती रहती हैं.

किन-किन जगहों से गुजरती है ये ट्रेन 

मैदानों से ऊपर चढ़ते हुए यह रूट तेजी से ऊंचाई पकड़ता है और कल्लर, कुनूर, वेलिंगटन, लवडेल होते हुए आखिर में ऊटी (Ootacamund) तक पहुंचता है. इस पूरी चढ़ाई के दौरान ट्रेन 208 मोड़ों से गुजरती है, 250 पुलों को पार करती है और 16 सुरंगों में घुसकर फिर बाहर निकलती है. हर पल नीलगिरि की पहाड़ियों को एक सुंदर पोस्टकार्ड जैसा बना देता है. वापसी की ढलान में उतना जोर नहीं लगता, क्योंकि रैक-एंड-पिनियन सिस्टम पर लोड कम होता है, इसलिए वापसी का सफर करीब एक घंटे तेज हो जाता है.

Ravi Shastri On Pk 4
प्रभात खबर पॉडकास्ट में रवि शास्त्री 7 दिसंबर को

यह भी पढ़ें: Auto Rickshaws में सिर्फ 3 ही टायर क्यों होते हैं? अच्छे-अच्छों को नहीं पता इसके पीछे की वजह

Ankit Anand
Ankit Anand
अंकित आनंद ने GGSIP यूनिवर्सिटी से जर्नलिज्म एंड मास कम्यूनिकेशन में ग्रेजुएशन की है. वर्तमान में, वह प्रभात खबर.कॉम में टेक और वायरल सेक्शन की खबरें कवर करते हैं. प्रभात खबर में शामिल होने से पहले उन्होंने ZEE न्यूज़ में असिस्टेंट प्रोड्यूसर के तौर पर काम किया है. इन्हें लाइफस्टाइल, ट्रैवल, स्पोर्ट्स और पॉलिटिक्स जैसे विषयों पर लिखने में रुचि है. इसके अलावा अंकित को नई चीजें सीखना, किताबे पढ़ना, फिल्में और क्रिकेट देखना पसंद है.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

संबंधित ख़बरें

Trending News

जरूर पढ़ें

वायरल खबरें

ऐप पर पढें
होम आप का शहर
News Snap News Reel