Agriculture: कृषि शिक्षा और अनुसंधान, कृषि उत्पादन बढ़ाने और लागत घटाने में अहम भूमिका निभाता है. कृषि क्षेत्र 5 फीसदी के विकास दर से आगे बढ़े, इसके लिए कृषि संस्थान, कृषि वैज्ञानिक और सभी को मिलकर काम करना होगा. कृषि भारतीय अर्थव्यवस्था की सिर्फ रीढ़ ही नहीं बल्कि आजीविका का सबसे बड़ा साधन है. प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष तौर पर देश की 50 फीसदी आबादी कृषि पर निर्भर है. जीडीपी में कृषि क्षेत्र का योगदान 18 फीसदी है. आने वाले समय में भी खेती अर्थव्यवस्था के केंद्र में रहेगी.
कृषि विश्वविद्यालयों के कुलपतियों और आईसीएआर संस्थानों के निदेशक के वार्षिक सम्मेलन को संबोधित करते हुए केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण व ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने यह बात कही. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का संकल्प है विकसित भारत का निर्माण और विकसित भारत के लिए विकसित खेती और समृद्ध किसान सरकार का मूलमंत्र है.
उत्पादन बढ़ाने और उत्पादन की लागत कम करने में अनुसंधान की अहम भूमिका है. केंद्र, राज्यों के कृषि विश्वविद्यालय, कृषि विभाग, आईसीएआर के 113 संस्थान हो या 731 कृषि विज्ञान केंद्र सबका बहुत महत्वपूर्ण योगदान है. कोशिश है कि लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए सभी संस्थान एक दिशा में काम करें. एक राष्ट्र-एक कृषि-एक टीम के रूप में काम करने विचार किया जा रहा है. अगर कृषि के क्षेत्र में 2047 तक विकसित भारत का लक्ष्य प्राप्त करना है तो 5 फीसदी की कृषि विकास दर (एलाइड सेक्टर) को लगातार बनाए रखना होगा.
दलहन और तिलहन का उत्पादन बढ़ाने पर हो ध्यान
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि देश के 93 फीसदी हिस्से में अनाज की बुआई होती है, लेकिन दलहन और तिलहन के मामले में विकास दर काफी कम, लगभग 1.5 फीसदी है. उत्पादकता के लिहाज से भी अलग-अलग राज्यों में काफी अंतर है. पंजाब, हरियाणा, छत्तीसगढ़ में विभिन्नताएं हैं. मक्के की ग्रोथ रेट तमिलनाडु में अधिक है तो उत्तर प्रदेश में कम है. इसलिए उत्पादकता के इस अंतर को कम करने पर भी विचार करने की जरूरत है. इसके लिए विभिन्न कृषि संस्थानों और विभागों की भूमिका तय करने पर विचार किया जा रहा है.
देश को अगर 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाना है तो कृषि अर्थव्यवस्था एक ट्रिलियन डॉलर की बनानी होगी. उसके हिसाब से लक्ष्य तय किए जा रहे हैं. अभी कृषि उत्पादों का 6 फीसदी निर्यात होता है, जिसे बढ़ाकर 20 फीसदी करने की कोशिश हो रही है. इसके लिए लैब को सीधे-सीधे किसान से जोड़ने का प्रयास होना चाहिए.
खेतों की जरूरत के अनुसार शोध की आवश्यकता
शोध ऐसे होने चाहिए जो किसानों को फायदा पहुंचा सके. मौजूदा समय में सिर्फ 0.4 फीसदी शोध पर खर्च होता है. खेत की आवश्यकता के अनुसार अनुसंधान होना चाहिए. देश में लैंड होल्डिंग काफी कम है और यह लगातार घटती जा रही है. वर्ष 2047 तक लैंड होल्डिंग घटकर 0.6 हेक्टेयर तक होने का अनुमान है. ऐसी परिस्थिति में सिर्फ खाद्यान्न उत्पादन से काम नहीं चलेगा, उसके साथ मधुमक्खी पालन, पशुपालन, मत्स्य पालन, बागवानी इत्यादि को भी बढ़ावा देना होगा. प्रति हेक्टेयर कम पानी में अधिक उत्पादन करने जैसे मुद्दों पर भी गहराई से चिंतन और विचार-विमर्श किया जा रहा है.