Agriculture: केंद्र सरकार ने ‘दलहन आत्मनिर्भरता मिशन’ और ‘प्रधानमंत्री धन-धान्य कृषि योजना’ की शुरुआत की है. इस योजना का मकसद दलहन के क्षेत्र में देश को आत्मनिर्भर बनाने और किसानों की आय बढ़ाना है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दोनों योजनाओं की शुरुआत हाल में की है. शुक्रवार को केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण और ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने दोनों योजनाओं को लेकर एक उच्चस्तरीय बैठक का आयोजन किया. बैठक में योजनाओं को चरणबद्ध तरीके से तय समय में लागू करने को लेकर अहम निर्देश दिया गया.
प्रधानमंत्री धन-धान्य कृषि योजना के त्वरित क्रियान्वयन के लिए शिवराज सिंह 11 मंत्रालयों के मंत्रियों के साथ जल्द ही बैठक करेंगे. शुक्रवार की बैठक में जिलेवार क्लस्टर बनाकर ‘दलहन आत्मनिर्भरता मिशन’ पर करने और राज्यों से क्लस्टर निर्माण के लिए सहयोग लेने पर जोर दिया गया. इसके अलावा प्रधानमंत्री धन-धान्य कृषि योजना को जमीनी स्तर पर बेहतर तरीके से लागू करने के लिए अधिकारियों को अहम निर्देश दिये गये. दलहन आत्मनिर्भरता मिशन और प्रधानमंत्री धन-धान्य कृषि योजना का जमीनी स्तर पर क्रियान्वयन जल्द शुरू होने से किसानों को फायदा होगा.
आंकाक्षी जिलों का सर्वांगीण विकास है लक्ष्य
प्रधानमंत्री धन-धान्य कृषि योजना को देश के 100 आकांक्षी जिलों में कृषि उत्थान के लिए 11 मंत्रालय की 36 उप-योजनाओं को समन्वित करते हुए शुरू किया गया है. शिवराज सिंह ने अधिकारियों को निर्देश दिया कि जल्द ही इन 11 मंत्रालयों के मंत्रियों और सचिवों सहित नीति आयोग के अधिकारियों के साथ एक बैठक आयोजित की जाए, जिससे प्रधानमंत्री धन-धान्य कृषि योजना का अधिकतम लाभ देश के किसान को मिल सके. साथ ही ‘दलहन आत्मनिर्भरता मिशन’ के समयबद्ध क्रियान्वयन के लिए इस मिशन से संबंधित राज्यों से जुड़े नोडल अधिकारियों के साथ भी एक बैठक आयोजित करने का अधिकारियों को निर्देश दिया, जिससे कि मिशन को सफलतापूर्वक लागू किया जा सके.
गौरतलब है कि 16 जुलाई 2025 को केंद्रीय मंत्रिमंडल ने प्रधानमंत्री धन-धान्य कृषि योजना को मंजूरी दी थी. वित्त वर्ष 2025-26 से ये योजनाएं छह वर्ष की अवधि के लिए चलाई जाएगी और इस पर 24000 करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान है. वहीं ‘दलहन आत्मनिर्भरता मिशन’ पर 6 साल में 11440 करोड़ रुपये खर्च करने का प्रावधान किया गया है. इस मिशन से 2030-31 तक दलहन क्षेत्रफल को 275 लाख हेक्टेयर से बढ़ाकर 310 लाख हेक्टेयर करने का लक्ष्य रखा गया है.

