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AAP: सत्येंद्र जैन के खिलाफ मामला चलाने को राष्ट्रपति ने दी मंजूरी

दिल्ली में सत्ता परिवर्तन के बाद आप नेताओं के सामने मुश्किल बढ़ गयी है. सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय आबकारी नीति मामले में आरोप पत्र दाखिल कर चुका है और तकनीकी कारणों से सुनवाई की प्रक्रिया आगे नहीं बढ़ पायी है. लेकिन दिल्ली में सत्ता परिवर्तन के बाद आप नेताओं के लिए परेशानी बढ़ने वाली है.

AAP: दिल्ली की सत्ता से बाहर होने के बाद आम आदमी पार्टी के नेताओं की मुश्किलें बढ़ती दिख रही है. दिल्ली के पूर्व मंत्री और आम आदमी पार्टी के नेता सत्येंद्र जैन के खिलाफ मुकदमा चलाने के आवेदन को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने मंगलवार को मंजूरी दे दी. केंद्रीय गृह मंत्रालय ने 14 फरवरी को राष्ट्रपति से जैन के खिलाफ धनशोधन के मामले में मुकदमा चलाने के लिए मंजूरी का आवेदन किया था. सूत्रों का कहना है कि गृह मंत्रालय ने राष्ट्रपति को भेजे आवेदन में कहा था कि प्रवर्तन निदेशालय को जांच के दौरान मिले साक्ष्य के आधार पर सत्येंद्र जैन के खिलाफ अभियोजन चलाने के पर्याप्त सबूत है. राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद जैन के खिलाफ मुकदमा चलाने का रास्ता साफ हो गया है.

गौरतलब है कि हवाला कारोबार से जुड़े धन शोधन मामले में सीबीआई ने मामला दर्ज किया था. सीबीआई के एफआईआर के आधार पर प्रवर्तन निदेशालय ने भी मामला दर्ज कर जांच शुरू की है और वर्ष 2022 के मई महीने में जैन को गिरफ्तार किया गया था. महीनों जेल में रहने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने जैन को जमानत पर रिहा किया और फिलहाल वे जमानत पर बाहर हैं. आम आदमी पार्टी के प्रमुख नेताओं में शुमार जैन एक बार फिर दिल्ली के शकूर बस्ती से चुनाव मैदान में थे, लेकिन उन्हें भाजपा प्रत्याशी के खिलाफ करारी शिकस्त का सामना करना पड़ा और अब वे कानूनी पचड़े में फंसते दिख रहे हैं. 

कई आप नेताओं की बढ़ सकती है मुश्किलें

दिल्ली के आबकारी नीति में कथित भ्रष्टाचार के मामले में आप के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल, पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया, आप सांसद संजय सिंह और अन्य नेता जांच के दायरे में हैं. इन नेताओं को इस मामले में जेल भी जाना पड़ा है. केजरीवाल, सिसोदिया और संजय सिंह सुप्रीम कोर्ट से मिली जमानत के बाद बाहर हैं. भले ही आम आदमी पार्टी इस मामले को फर्जी करार देती रही है, लेकिन दिल्ली में सत्ता परिवर्तन के बाद आप नेताओं के सामने मुश्किल बढ़ गयी है. सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय आबकारी नीति मामले में आरोप पत्र दाखिल कर चुका है और तकनीकी कारणों से सुनवाई की प्रक्रिया आगे नहीं बढ़ पायी है. लेकिन दिल्ली में सत्ता परिवर्तन के बाद आप नेताओं के लिए परेशानी बढ़ने वाली है.

इस मामले में दिल्ली की भाजपा सरकार सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट में दायर मुकदमों की समीक्षा कर रही है और आने वाले समय में ऐसे कई मुकदमों को हटाने के लिए आवेदन दे सकती है. इस फैसले का सीधा असर आम आदमी पार्टी पर पड़ना तय है. अब आम आदमी पार्टी के नेताओं को अदालत के समक्ष पक्ष रखने के लिए खुद पैसा जुटाना होगा. ऐसे में आम आदमी पार्टी के नेताओं को कानूनी उलझन के निकलने के लिए अब सरकारी सहायता नहीं मिलेगी. सत्ता परिवर्तन के बाद सबसे अधिक नुकसान आप नेताओं को ही उठाना होगा. ऐसी खबरें है कि आप सरकार ने अदालतों में मुकदमों की पैरवी करने पर लगभग 300 करोड़ रुपये की राशि खर्च की है. 

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