नयी दिल्ली : एशिया की दो बड़ी शक्तियों भारत और चीन के बीच इनदिनों काफी तनाव का माहौल है. चीन की ओर से लगातार धमकियां दी जा रही हैं लेकिन भारत अपने कार्य को आगे बढाता जा रहा है. तनाव का यह ताजा दौर दलाई लामा के अरुणाचल प्रदेश दौरे को लेकर आरंभ हुआ. दलाई लामा के इस दौरे को लेकर चीन की आपत्तियों को भारत ने नजर अंदाज करते हुए कहा है कि चीन हमारे अंदरूनी मामलों में दखल न दे.
मामले को लेकर चीन ने कहा है कि भारत के इस कदम से द्विपक्षीय संबंधों को नुकसान पहुंचा है और सीमा पर तनाव बढ़ सकता है. यहां तक कि दलाई लामा के मामले पर चीन ने कश्मीर में दखल देने की भी धमकी दे डाली है. दलाई लामा का दौरा तो मात्र बहाना है यहां हम आपको वह कारक बताते हैं कि जिसके कारण चीन और भारत आमने-सामने हैं…
1. करीब 6 दशकों से भारत और चीन के बीच सीमा विवाद चल रहा है लेकिन खास बात यह है कि तनाव के बावजूद 1962 के युद्ध के बाद एक भी गोली यहां नहीं चली है. दोनों देशों ने सीमा विवाद को सुलझाने के लिए कई मैकेनिज्म पर विचार किया लेकिन अबतक मामले में कुछ ठोस निकलकर सामने नहीं आया.
2. आबादी में दुनिया की दूसरे सबसे बड़े और दुनिया की सबसे तेज ऊभरती अर्थव्यवस्थाओं में से एक भारत यूएनएससी की स्थायी सदस्यता के लिए लगातार प्रयास कर रहा है लेकिन भारत के राह में चीन सबसे बड़ा रोड़ा है. ठीक इसी तरह एनएसजी की सदस्यता की भारत की कोशिशों में चीन लगातार बाधा डाल रहा है. ऐसे में विदेश नीति के मोर्चे पर भी दोनों देशों के बीच तनाव होना वाजिब है.
3. 54 बिलियन डॉलर की लागत से तैयार किये जा रहे चीन-पाकिस्तान का आर्थिक गलियारे को भारत ने साफ तौर पर अवैध बताया है जबकि चीन इस प्रोजेक्ट को किसी भी कीमत पर पूरा करने पर अड़ा हुआ है. ये गलियारा गिलगित-बालटिस्तान से होकर गुजरता है जिसे भारत अपना हिस्सा बताता आ रहा है. भारत इस हिस्से को पाकिस्तान के अवैध कब्जे से छुड़ाने का ऐलान भी कर चुका है. वहीं चीन की बदौलत पाकिस्तान गिलगित-बालटिस्तान को अपना पांचवां राज्य बनाने की कोशिश में लगा हुआ है.
4. मुंबई हमलों के मास्टरमाइंड पाकिस्तानी आतंकी अजहर मसूद और हाफिज सईद पर प्रतिबंध लगाने की यूएन में भारत की कोशिशों को झटका लगा है इसके पीछे चीन का हाथ है. चीन सुरक्षा परिषद का स्थायी सदस्य है और उसके पास वीटो पावर है.
5. दक्षिण चीन सागर क्षेत्र में चीन की दादागीरी के खिलाफ भी भारत आवाज बुलंद कर चुका है. इस क्षेत्र के सहयोगी देशों के साथ व्यापारिक हितों की सुरक्षा के लिए भारत ने दक्षिण चीन सागर में चीन की नीतियों का विरोधी है. अमेरिका-जापान समेत तमाम देश इस मामले में भारत के साथ है.