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सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला: देशभर में हाइवे के किनारे अब नहीं मिलेगी शराब

नयी दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा और अहम फैसला सुनाते हुए आज राष्ट्रीय राजमार्गों और राज्य राज्यमार्गों पर शराब की दुकानों को बंद करने का आदेश दिया है. इसके साथ ही अदालत ने हाइवे पर शराब की ब्रिकी पर भी रोक लगा दी है. अब हाइवे पर शराब नहीं मिलेगी. कोर्ट ने देश भर […]

नयी दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा और अहम फैसला सुनाते हुए आज राष्ट्रीय राजमार्गों और राज्य राज्यमार्गों पर शराब की दुकानों को बंद करने का आदेश दिया है. इसके साथ ही अदालत ने हाइवे पर शराब की ब्रिकी पर भी रोक लगा दी है. अब हाइवे पर शराब नहीं मिलेगी. कोर्ट ने देश भर में राष्ट्रीय और राज्यों के राजमार्गो पर शराब की सभी दुकानें बंद करने का आज आदेश दिया और साथ ही स्पष्ट किया कि शराब की मौजूदा दुकानों के लाइसेंस का 31 मार्च, 2017 के बाद नवीनीकरण नहीं किया जायेगा.

प्रधान न्यायाधीश तीरथ सिंह ठाकुर, न्यायमूर्ति धनंजय वाई चंद्रचूड और न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव की तीन सदस्यीय खंडपीठ ने राष्ट्रीय और राज्य के राजमार्गो पर शराब की दुकानों की मौजूदगी का सकेत देने वाले सारे बोर्ड और संकेतकों पर प्रतिबंध लगाने का भी निर्देश दिया है.

शीर्ष अदालत ने पिछले सप्ताह ही हर साल डेढ लाख से अधिक घातक सडक दुर्घटनायें होने पर चिंता व्यक्त करते हुये कहा था कि वह राष्ट्रीय और राज्य राजमार्गो पर शराब की दुकानें बंद करने और इनके बारे में जानकारी देने वाले संकेतकों को हटाने का निर्देश दे सकती है. शीर्ष अदालत ने राजमार्गो पर शराब की बिक्री प्रतिबंधित करने के लिये आबकारी कानून में संशोधन करने का निर्देश देने संबंधी याचिकाओं पर सात दिसंबर को सुनवाई पूरी की थी.

कोर्ट ने अपने फैसले में इस तरह के निर्देश में ढील देने और राजमार्गो के निकट शराब की दुकानों , यदि वे थोडी उंचाई पर स्थित हों, की अनुमति देने का अनुरोध करने पर पंजाब सरकार की तीखी आलोचना की. पीठ ने कहा, ‘‘जरा लाइसेंस की उस संख्या पर गौर कीजिये जो आपने :पंजाब ने: दिये हैं. चूंकि शराब लाबी बहुत ताकतवर है, इसलिए सब खुश हैं. आबकारी विभाग, आबकारी मंत्री और राज्य सरकार खुश है कि उन्हें पैसा मिल रहा है. यदि एक व्यक्ति की इस वजह से मृत्यु होती है तो आप उसे एक या डेढ लाख रुपये दे देते हैं. बस… आपको ऐसा दृष्टिकोण अपनाना चाहिए जो समाज के लिये मददगार हो.”

कोर्ट ने शराब की बिक्री निषेध करने के सांविधानिक दायित्व के बारे में राज्य सरकार को याद दिलाया और कहा कि राज्य को हर साल करीब डेढ लाख व्यक्त्यिों की हो रही मौत को ध्यान में रखते हुये आम जनता के लिये कछ करना चाहिए. पीठ ने सडकों के किनारे स्थित शराब की दुकानें हटाने के मामले में विभिन्न राज्यों की कथित निष्क्रियता पर भी अप्रसन्न्ता व्यक्त की जिनकी वजह से शराब पीकर वाहन चालने की प्रवृत्ति बढ रही है और जिसका नतीजा घातक हो रहा है.

कोर्ट ने कहा था कि राज्य या केंद्र शासित प्रदेश के लिये राजमार्गो पर शराब की दुकानों के लाइसेंस देने के लिये राजस्व के अवसर बढाना ‘‘वैध कारण” नहीं हो सकता है. न्यायालय ने कहा कि प्राधिकारियों को इस समस्या को खत्म करने के लिये सकारात्मक नजरिया अपनाना चाहिए.

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